केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने असम सरकार के दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान कहा, “मैं इतिहास का विद्यार्थी हूं, और कई बार सुनने को मिलता है कि हमारा इतिहास सलीके के प्रस्तुत नहीं किया गया, तथा उसे तोड़ा-मरोड़ा गया है…शायद यह बात सच है, लेकिन अब हमें इसे ठीक करना होगा…”
गृहमंत्री ने 17वीं शताब्दी के अहोम जनरल लचित बरफुकन की 400 वीं जयंती पर आयोजित तीन-दिवसीय समारोह के दूसरे दिन यह सब कहा उन्होंने इतिहासकारों से कहा है कि वे इतिहास को भारतीय संदर्भ में दोबारा लिखें साथ ही उन्हें आश्वासन भी दिया है कि सरकार उनके प्रयासों को पूरा समर्थन देगी।
उन्होंने आगे कहा कि, “मैं आपसे पूछता हूं- हमारे इतिहास को सही तरीके से और गौरवशाली तरीके से प्रस्तुत करने से हमें कौन रोक रहा है.. उन्होंने कहा, मैं यहां मौजूद सभी विद्यार्थियों और यूनिवर्सिटी प्रोफेसरों से आग्रह करता हूं कि हमें इस चीज को लोगों के दिमाग से निकालना होगा कि हमारे इतिहास को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया है, और उन्हें भारत के किसी भी भाग में 150 वर्ष से ज्यादा शासन करने वाले 30 साम्राज्यों और मुल्क की आजादी के लिए संघर्ष करने वाली 300 हस्तियों पर शोध करनी चाहिए।”
दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित कार्यक्रम में उपस्थित इतिहासकारों और विद्यार्थियों को आश्वस्त करते हुए उन्होंने आगे कहा कि केंद्र उनकी शोध को पूरा समर्थन देगा। आगे आइए, शोध कीजिए और इतिहास को दोबारा लिखिए…इसी तरह हम अपनी अगली पीढ़ियों को प्रेरणा दे सकते हैं..”
आपको बता दें, 17वीं शताब्दी के अहोम जनरल लचित बरफुकन की 400वीं जयंती को दिल्ली के विज्ञान भवन में मनाया जा रहा हैं। साथ ही केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा से आग्रह कर कहा कि बरफुकन की पुस्तकों का कम से कम 10 भाषाओं में अनुवाद करवाया जाए जिससे कि देश को लचित के साहस और बहादुरी के बारे में जानकारी पूर्ण रूप से प्राप्त हो सकें।