हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय, श्रीनगर, उत्तराखंड में छात्रसंघ में उपाध्यक्ष पद पर आइसा के अंकित उछोली को जीत मिली। वामपंथी रूझान को अंकित ने अपने छात्रोपयोगी आंदोलनों से छात्रों के मन में अंकित करके बनाया। उन्होंने पिछले साल पुस्तकालय का समय पांच बजे शाम की बजाए रात में आठ बजे तक कराया छात्राओं के छात्रावास के बंद होने का समय रात आठ तक कराया।
आइसा ने श्रीनगर में शराब विरोधी आंदोलन चलाया। नगर में पेयजल शुद्ध करके सप्लाई करने और चिकित्सा सेवाओं में सुधार के भी आंदोलन चलाए। शराब विरोधी आंदोलन के दौरान तो आंदोलन कर रहे छात्रों पर मुकदमे भी राज्य सरकार ने दर्ज किए।
छात्रसंघ चुनावों में भी लिंगदोह समिति की सिफारिशों के लागू होने के बाद भी धन बल का भोंडा प्रदर्शन हुआ। लेकिन आइसा ने बेहद सादगी से छात्रसंघ चुनाव को भी कलात्मक प्रचार सामग्री से सजा दिया। चुनावी खर्च के लिए गढ़वाल में श्रीनगर के आम नागरिकों ने भरपूर सहयोग दिया। आईसा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे इंदे्रेश मैखुरी खुद हेमवती नंदन बहुगुणा (गढ़वाल) विश्वविद्यालय छात्रसंघ के अध्यक्ष रह चुके हैं। उन्होंने इस जीत पर खुशी जाहिर करते हुए बताया कि इस जीत को कामयाब करने में उन आम छात्र छात्राओं की भागीदारी थी जो भाजपा के आई टी सेल से नहीं डरे। उनकी विध्वंसक राजनीति का मुकाबला करते हुए दिन-रात खामोशी से एक-एक छात्र और छात्रा से मिलते-जुलते रहे। उन्हें अपना बनाते गए। उनसे जुड़ते गए।
उन्होंने कहा कि यह बात उपाध्यक्ष पद पर जीते अंकित उछोली के बड़े विजय जुलूस में भी दिखी जिसमें शामिल छात्र छात्राओं के नारे थे, ‘नई सदी का नया खून है – आइसा, आइसा, लड़ो पढ़ाई करने को, पढ़ो समाज बदलने को’। शिक्षा पर बजट का दसवां हिस्सा खर्च करो। उन्होंने कहा कि ये नारे बताते हैं कि आइसा छात्रहित और जनहित में भरोसा रखती है।