राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के नजदीकी माने जाने वाले मोदी सरकार में केंद्रीय सड़क और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने एक बार फिर ऐसा बयान दिया है जिसे पीएम मोदी पर अप्रत्यक्ष हमला माना जा रहा है।
लोक सभा चुनाव से पहले गडकरी के यह ब्यान भाजपा में बेचैनी पैदा कर रहे हैं।
अब एक कार्यक्रम में रविवार को गडकरी ने चुनाव में किए गए वादों के बहाने फिर बिना किसी का नाम लिए हमला किया है। गडकरी ने कह – ”लोगों को सपने दिखाने वाले नेता लोगों को अच्छे लगते हैं। सपने दिल के अंदर होते हैं। पर दिखाए हुए सपने अगर पूरी नहीं किये तो जनता उनकी पिटाई भी करती है। इसलिए सपने वही दिखाओ जो पूरी कर सकते हों।”
गडकरी के नए ब्यान के तुरंत बाद विपक्षी नेताओं ने इस पर टिप्णियां देनी शुरू कर दी हैं। उनका मानना है कि गडकरी ने अप्रत्यक्ष रूप से पीएम मोदी पर ”हमला” किया है। गडकरी के ब्यान को सबसे पहले लपका कांग्रेस ने। पार्टी की प्रवक्ता प्रियंका चतुर्वेदी ने ट्वीट किया – ”गडकरीजी हम समझ गए हैं कि आपका निशाना किधर है। उन्होंने गडकरी के बहाने भाजपा को घेरने की कोशिश की।”
एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी ने भी गडकरी के ब्यान पर ट्वीट कर कहा – ”वह काफी चतुराई से पीएम मोदी को आईना दिखाने का काम कर रहे हैं।” इससे पहले गडकरी हाल के दिनों में पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और इंदिरा गांधी की तारीफ कर चुके हैं।
गडकरी के लगातार बयानों से भाजपा तो सांसत में है ही, राजनीतिक पंडित भी इन बयानों के निहितार्थ ढूंढ़ने की कोशिश कर रहे हैं। चूँकि, गडकरी को आरएसएस के नजदीक माना जाता है, राजनीतिक क्षेत्रों में चर्चा है कि क्या गडकरी के इन बयानों के पीछे आरएसएस है ? और क्या आरएसएस गडकरी को मोदी के विकल्प के रूप में आगे कर रहा है ?
वैसे भाजपा सफाई दे रही है कि गडकरी ने वादा न पूरा करने की बात विपक्ष के संदर्भ में कही है। भाजपा ने को मोदी का मास्टर स्ट्रोक कहा था लेकिन गडकरी के एक ब्यान ने इस की हवा निकाल दी।
गडकरी ने विपक्ष के मोदी सरकार पर रोजगार देने में फेल होने के आरोपों पर मराठा आरक्षण को लेकर कहा था – ”आरक्षण देने का क्या फायदा जब नौकरियां ही नहीं हैं। नौकरियां कम हो रही हैं। यदि आरक्षण दे भी दिया तो नौकरी कैसे देंगे। सरकारी भर्तियां रुकी हुई हैं, नौकरियां कहां है?” इससे पहले गडकरी ने पांच राज्यों में भाजपा की करारी की हार के बाद कहा था – ”अगर पार्टी के विधायक या सांसद अच्छा काम नहीं करता हो तो उसकी जिम्मेदारी पार्टी के मुखिया की होती है। सफलता के दावेदार कई होते हैं लेकिन विफलता में कोई साथ नहीं देता है।”