कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और टीडीपी नेता और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्र बाबू नायडू के बीच मुलाकात के बाद विपक्षी गठबंधन की कोशिशें तेज हो गयी हैं। विपक्षी दलों का समान विचारधारा को लेकर मंच और चुनाव से पहले योजना तैयार करने के मकसद से दिल्ली में २२ नवम्बर को इन सभी दलों की बैठक की सम्भावना है।
नायडू शनिवार को दिल्ली पहुंचे थे और रविवार को भी वे इस मसले पर नेताओं से चर्चा करेंगे। उनकी रविवार को डीएमके नेता स्टालिन से मुलाकात की सम्भावना है। गौरतलब है कि राहुल-नायडू की मुलाकात के बाद अचानक विपक्षी एकता की कोशिशें तेज हो गयी हैं। नायडू की पार्टी टीडीपी ने तो तेलंगाना में कांग्रेस के साथ इक्कठे चुनाव लड़ने का भी फैसला कर लिया है और सीटें भी तय हो चुकी हैं। इसके बाद सूबे के विधानसभा चुनाव में इस गठबंधन के जीतने की सम्भावना जताई जाने लगी है।
नायडू शनिवार को राहुल गांधी के दूत कांग्रेस महासचिव अशोक गहलोत के साथ मिले। इसके बाद नायडू ने मीडिया से बातचीत में कहा कि कोशिश भाजपा के खिलाफ एकजुटता से लड़ने के लिए सभी विपक्षी दलों को एक मंच पर लाने की है। सम्भावना है कि नायडू १९-२० नवंबर को बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मिल सकते हैं।
चंद्रबाबू नायडू तीन दिन पहले बेंगलुरु में पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा से बैठक कर चुके हैं जिसमें कर्नाटक के मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी भी थे। कुछ रोज पहले ही कर्नाटक के पांच उपचुनावों में तीन में से २ लोकसभा सीटों जबकि दोनों विधानसभा सीटों पर कांग्रेस-जेडीएस ने जीत दर्ज कर भाजपा को तगड़ा झटका दिया है। भाजपा को सबसे बड़ा झटका बेलारी में कांग्रेस ने २.५० लाख वोटों से जीत कर दिया जिसे भाजपा अपना गढ़ बताती रही थी।
नायडू का कहना है कि देश में संवैधानिक संस्थाओं को ख़त्म किया जा रहा है। ”सीबीआई मुश्किल में है। आरबीआई पर हमला हो रहा है, रेग्युलेटरी बॉडी पर भी खतरा है। ईडी, इनकम टैक्स का इस्तेमाल विपक्षियों पर हमला करने के लिए किया जा रहा है। ऐसे में भाजपा को हराना ज़रूरी है तभी यह संस्थाएं बच पाएंगी”।