किसान आंदोलन के बीच केंद्र सरकार के अधीन आने वाली सरकारी कंपनी ने जैसे ही डीएपी के दामों में भारी इजाफे की खबर सोशल मीडिया पर वायरल हो गई। आनन-फानन में केंद्र सरकार हरकत में आई और उच्च स्तरीय बैठक बुलाकर खाद की कीमतों में बढ़ोतरी नहीं करने का ऐलान किया है। इतना ही नहीं, मामले में इफको ने सफाई देकर कहा है कि सोशल मीडिया पर जो रेट वायरल हो रहे हैं वे किसानों के लिए लागू नहीं हैं। इफको के पास 11.26 लाख टन कॉम्प्लेक्स फर्टिलाइजर (डीएपी,एनपीके) मौजूद है और ये किसानों को पुराने रेट पर ही मिलेंगे। बता दें कि इसमें केंद्र सरकार सब्सिडी भी प्रदान करती है।
केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक राज्य मंत्री मनसुख मांडविया ने पीटीआई से कहा कि भारत सरकार ने मामले में एक उच्च स्तरीय बैठक बुलाई और खाद कंपनियों को डीएपी, एमओपी और एनपीके की कीमतें नहीं बढ़ाने को कहा है। खाद कंपनियों को पुरानी दरों पर बेचने के निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि किसानों को पुरानी दरों पर डीएपी, एमओपी और एनपीके मिलते रहेंगे।
इससे पहले वीरवार को खबरों में कहा गया था कि इफको ने डीएपी की कीमतों में 700 रुपये प्रति बोरी (50 किलो) की बढ़ोतरी कर दी है। इसके अलावा एनपीके की कीमतों में भी इजाफा किया गया है। हालांकि इफको का कहना है कि किसानों को डीएपी समेत उपरोक्त सभी खाद नए आदेश तक पुराने रेट पर ही मिलेंगे।
इफको के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. यूएस अवस्थी ने ट्वीट कर सफाई दी, ‘इफको 11.26 लाख टन कॉम्प्लेक्स उर्वरकों की बिक्री पुरानी दरों पर ही करेगी। बाजार में उर्वरकों की नई दरें किसानों को बिक्री के लिए नहीं हैं। उन्होंने पीएमओ इंडिया को टैग कर लिखा, ‘इफको संगठन यह सुनिश्चित करता है कि बाजार में पुराने मूल्य पर पर्याप्त सामग्री उपलब्ध है। इफको विपणन टीम को यह निर्देश दिया गया है कि किसानों को केवल पुराने मूल्ययुक्त पैकशुदा सामान ही बेचे जाएं। हम हमेशा किसानों के सर्वोपरि हित को ध्यान में रखकर ही कोई निर्णय लेते हैं। ये नया रेट सिर्फ हमारे संयंत्रों द्वारा उर्वरकों के बैग पर अधिकतम समर्थन मूल्य पर प्रिंट करने के लिए था, जो कि अनिवार्य है। बता दें कि बुवाई में डीएपी की सबसे ज्यादा जरूरत होती है।