करीब तीन साल पहले देश में अचानक जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नोटबंदी का ऐलान किया था तो किसी ने सोचा भी नहीं था कि लोगों को अपने ही पैसे लेने के लिए कतारों में खड़ा होने पड़ेगा और राशि भी एक निश्चित मात्रा में ही मिलेगी। कमोवेश कुछ वैसी ही स्थिति आज पंजाब एंड महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव (पीएमसी) के खाताधारक झेल रहे हैं। उनपर अपने ही पैसे निकलने के लिए पाबंदियां लगा दी गयी हैं। इसका सबसे दुखद पहलू यह है कि यह रिपोर्ट फाइल करने तक तीन लोगों की जान पैसे न निकाल पाने के कारण पैड हुए दबाव से जा चुकी है।
क्या है मामला
पीएमसी बैंक की कुल जमा 137 शाखाएं हैं। बात यह है की पीएमसी बैंक देश के टॉप-10 को-ऑपरेटिव बैंकों में शुमार है। आरोप है कि पीएमसी बैंक के मैनेजमेंट ने अपने नॉन परफॉर्मिंग एसेट और लोन वितरण के बारे में आरबीआई को गलत जानकारी दी। इसके बाद आरबीआई ने बैंक पर कई तरह की पाबंदी लगा दी। इन पाबंदियों के तहत लोग बैंक में अपनी जमा राशि सीमित दायरे में ही निकाल सकते हैं। आरोप है कि बैंक के कुछ अधिकारियों ने फर्जी तरीके से ऋण वितरित करने के लिए निजी कंपनी एचडीआईएल के साथ साठगांठ की जिससे बैंक को 4355 करोड़ रुपये का चूना लगा। हजारों निवेशक पैसे निकाल पाने में असमर्थ हो गये और उनका पैसा खतरे में पड़ गया।
मामला सामने आने के बाद 24 सितंबर को भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने नोटिस जारी कर बैंक पर छह महीनों के लिए लेनदेन समेत कई तरह का प्रतिबंध लगा दिया। इसके मुताबिक न तो बैंक कोई नया लोन जारी कर सकता है और न ही इसका कोई ग्राहक 25 हजार रुपये से अधिक की निकासी कर सकता था। इस मामले में कई गिरफ्तारियां हुईं हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने हाउसिंग डेवलपमेंट एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (एचडीआईएल) से संबंधित अन्य कंपनियों के बारे में जांच कर रहा है। रिजर्व बैंक ने 3 अक्टूबर को पीएमसी बैंक के ग्राहकों के लिए कैश निकालने की सीमा 10 हजार रुपये से बढ़ाकर 25 हजार रुपये कर दी थी लेकिन बाद में इसमें फिर तब्दीली की गई और विथड्रॉल रकम की सीमा बढ़ाकर 40 हजार कर दिया गया। बैंक अधिकारियों का कहना है कि खाता धारकों के हित और बैंक का रिवाइवल उनकी पहली प्राथमिकता है।
लेकिन इस मामले का सबसे दर्नाक पहलु यह है कि पैसे न निकाल पाने से फ्रस्ट्रेशन में आये खाताधारकों के बीच जो तनाव पनपा है उसके चलते यह रिपोर्ट फाइल करने तक तीन लोगों की जान जा चुकी है। इनमें से दो की जान दिल का दौरा पडऩे से हुई जबकि एक ने तो आत्महत्या ही कर ली। सबसे पहला मामला 14 अक्टूबर को सामने आया जब एक खाताधारक संजय गुलाटी की दिल का दौरा पडऩे से मौत हो गई। उनकी एक बेटी विशेष बच्ची (स्पेशल चाइल्ड) है और परिवार के सामने बहुत दिक्कत वाली स्थिति पैदा हो गयी है। गुलाटी को खाना खाने के दौरान की चक्कर आने के बाद अस्पताल ले जाय गया था लेकिन उन्हें डाक्टरों ने मृत घोषित कर दिया था। इसके बाद से उनका परिवार गहरे सदमे में है। गुलाटी के साल के शुरू में नौकरी भी चली गयी थी। वे जेट एयरवेज में काम करते थे। संजय गुलाटी के बैंक में 90 लाख रुपये जमा हैं। गुलाटी के बाद 15 अक्टूबर को एक और खाताधारक मुलुंड के रहने वाले फत्तोमल पंजाबी (59) की दिल का दौरा पडऩे से मौत हो गयी। फत्तोमल पंजाबी मुलुंड में हार्डवेयर और इलेक्ट्रिकल स्टोर चलाते थे और उन्होंने भी पीएमसी बैंक में पैसे जमा कराए हुए थे। उनकी मौत मंगलवार दोपहर साढ़े 12 बजे हुई।
मामला यहीं नहीं थमा। अब मुंबई के वरसोवा इलाके में रहने वाली 39 वर्षीय एक डॉक्टर जो कि पीएमसी में खाताधारक भी थीं की आत्महत्या कर ली। डॉक्टर योगिता बिजलानी (39) ने मंगलवार रात नींद की गोलियों की ओवरडोज के जरिए आत्महत्या कर ली। बताया जा रहा है कि योगिता पहले से ही डिप्रेशन में थीं और उनके भी एक करोड़ से ज्यादा रुपए पंजाब एंड महाराष्ट्र कोऑपरेटिव बैंक में जमा थे। हालांकि वरसोवा पुलिस ने इस आत्महत्या का संबंध पीएमसी बैंक घोटाले से होने से इनकार कर दिया। पुलिस का कहना है कि उन्होंने शुरुआती जांच में पाया गया है कि योगिता ने बीते साल अमेरिका में भी सुसाइड करने की असफल कोशिश की थी। आरबीआई की तरफ से एक निश्चित मात्रा में ही पैसे निकालने की पाबंदी के चलते इस बैंक के खाताधारक आंदोलन भी कर रहे हैं। कुछ दिन पहले जब वित्त मंत्री मुम्बई में थीं तो खाताधारकों ने भाजपा दफ्तर के बाहर प्रदर्शन किया था। इसके बाद सीतारमण आरबीआई के गवर्नर से भी मिलीं थीं।