मेघालय के पूर्वी जयंतिया हिल्स जिले की कोयला खदान में फंसे १५ से १७ मजदूरों के मामले पर सर्वोच्च न्यायालय ने शुक्रवार को खदान मालिकों के खिलाफ कार्रवाई करने का आदेश दिया है। इससे पहले इस मामले में सुनवाई के दौरान केंद्र के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट में कहा कि खदान अवैध है और इसका कोई नक्शा भी नहीं है।
सर्वोच्च अदालत ने इस मामले में राज्य और केंद्र सरकारों को ७ जनवरी से पहले जवाब फाइल करने को कहा है। अदालत ने कहा कि सरकारें बताएं कि १५ मजदूरों को बचाने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं। सॉलिसिटर जनरल तुषार महत्ता ने अदालत को बताया कि खदान की देखरेख सही ढंग से नहीं की जा रही थी। फंसे हुए मजदूरों को बचाने के लिए नौसेना के गोताखोर बुलाए गए हैं, लेकिन बचाव कार्य में मुश्किलें आ रही हैं क्योंकि खदान के पास ही नदी भी है।
गौरतलब है कि सर्वोच्च अदालत ने बुधवार को इस मामले की सुनवाई के दौरान इसे बहुत गंभीर मामला बताया था। साथ ही अदालत ने कहा था कि यह खदान में फंसे १५ खनिकों की जिंदगी और मौत का सवाल है।
इस बीच शनिवार सुबह तक भी इन खनिकों को खदान से निकालने की कोइ कोशिश सफल नहीं हुई थी। इन मजदूरों के बचने की संभावना अब बहुत ही क्षीण बताई जा रही है। मजदूरों को खदान में फंसे अब २२ दिन हो गए हैं। परिजन भी उनके जिन्दा बचने की उम्मीद लगभग खो चुके हैं।