यदि आप सोशल मीडिया पर हैं, तो आपकी निजता यानी निजी और गोपनीय जानकारी अब खतरे में पड़ चुकी है। ऐसी कुछ खबरें हाल ही में पॉपुलर इंस्टेंट मैसेजिंग ऐप यानी व्हाट्स ऐप उपयोक्ता (उपभोक्ता) के बीच चल रही हैं। कहा जा रहा है कि ऐसा व्हाट्स ऐप की एक ऐसी नयी गोपनीय नीति (प्राइवेसी पॉलिसी) में कहा गया है।
दरअसल एक और बात सामने आयी कि व्हाट्स ऐप ग्रुप ने अपनी गोपनीयता नीति और नियमों में बदलाव करके अपने उपयोक्ताओं को 4 जनवरी, 2021 को एक मैसेज भेजना शुरू किया कि व्हाट्स ऐप अपनी अभिभावक कम्पनी फेसबुक से सम्बद्ध पाँच कम्पनियों को व्हाट्स ऐप इस्तेमाल करने वालों का डेटा उपलब्ध करायेगा। जो उपभोक्ता इन सेवा-शर्तों पर 8 फरवरी तक अपनी सहमति नहीं देंगे, उनकी व्हाट्स ऐप सेवाएँ से बन्द कर दी जाएँगी। इससे बाद हँगामा मच गया। व्हाट्स ऐप के उपयोक्ता इस नयी पॉलिसी का पुरज़ोर विरोध कर रहे हैं, लेकिन कम्पनी इससे सरोकार नहीं रख रही है, जिससे लोग व्हाट्स ऐप की गोपनियता पर सवाल उठा रहे हैं।
दरअसल, पहले भी इस तरह की कोशिशें हुई हैं और गूगल ने एक बार फिर से निजी व्हाट्स ऐप ग्रुप चैट के इनवाइट लिंक इंडेक्स किये हैं, जिसका मतलब है कि कोई भी व्यक्ति साधारण सर्च और छोटी-सी कोशिश करने पर विभिन्न निजी चैट ग्रुप में शामिल हो सकता है। हालाँकि इस बात के सार्वजनिक होने से व्हाट्स ऐप कम्पनी के मालिकों को थोड़ी घबराहट भी हुई है। उसने प्राइवेट ग्रुप चैट लिंक पर चिन्ता ज़ाहिर करते हुए गूगल से कहा है कि उसे ऐसी चैट को सार्वजनिक न करने को पहले ही कहा था। उसने अपनी सफाई में यह भी कहा है कि उसने अपने उपयोक्ताओं को सार्वजनिक रूप से सुलभ वेबसाइट्स पर ग्रुप चैट लिंक साझा न करने की सलाह दी है। इसके बाद इंडेक्स व्हाट्स ऐप ग्रुप चैट लिंक को अब गूगल से हटा दिया गया है। बता दें कि हाल ही में ऐसी खबरें सामने आयी हैं कि व्हाट्स ऐप ग्रुप चैट इनवाइट ग्रुप को इंडेक्स करके वेब पर कई प्राइवेट ग्रुप की जानकारियाँ उपलब्ध करा रहा था। आरोप है कि व्हाट्स ऐप अपने शुरुआती नियमों और शर्तों से ही मुकरता दिखायी दे रहा है। किसी लिंक को गूगल पर सर्च करके कोई भी, खासतौर पर साइबर अपराधी एक्सेस करके किसी की प्रोफाइल का दुरुपयोग कर सकते हैं। इसकी एक बानगी तब देखने को मिली, जब गूगल पर व्हाट्स ऐप ग्रुप चैट इनवाइट के इंडेक्स का स्क्रीनशॉट स्वतंत्र साइबर सुरक्षा रिसर्चर राजशेखर राजाहरिया ने आईएएनएस के साथ साझा किया।
हालाँकि यह पहली बार नहीं है कि व्हाट्स ऐप उपयोगकर्ता का निजी ग्रुप चैट गूगल पर दिखा हो। इससे पहले ऐसा ही दावा अतुल जयराम ने पिछले साल एक बग रिपोर्ट किया था। उस समय गूगल के इनडेक्स पर व्हाट्स ऐप उपयोगकर्ता के फोन नंबर और प्रोफाइल फोटो तक लीक हो गये थे। व्हाट्स ऐप ने अपनी बदली हुई गोपनीयता नीति में कहा है कि वह अपने उपयोगकर्ता का डाटा फेसबुक और उसकी सहयोगी कम्पनियों के साथ शेयर करेगा। दिक्कत और डर की बात यह है कि व्हाट्स ऐप अपने उपयोगकर्ता का जो डाटा शेयर करेगा, उसमें उपयोगकर्ता के अकाउंट की जानकारी, डिवाइस की जानकारी, आईपी नंबर, उपयोगकर्ता की लोकेशन और किये तथा लिये गये भुगतान जैसी गोपनीय जानकारियाँ सार्वजनिक हो जाएँगी या किसी के भी हाथ आसानी से लग जाएँगी। हालाँकि कुछ जानकारों का कहना है कि इससे निजता को खतरा नहीं है। वहीं व्हाट्स ऐप भी अपनी सफाई में विज्ञापन जारी कर रहा है।
चीन के निशाने पर भारतीय
ऐसी खबरें कई बार सामने आयी हैं कि चीन के द्वारा भारतीयों के डाटा का दुरुपयोग किया जाता है। चीन पर पहले कई बार भारतीयों के डाटा चोरी के मौखिक आरोप लग चुके हैं, यहाँ तक कि भारतीयों के बैंक अकाउंट में सेंध लगाने तक के चीन पर आरोप लग चुके हैं। हालाँकि चीन हर बार आरोपों को नकारता रहा है। लेकिन उस पर भरोसा करना भी एक तरह की नादानी ही होगी। विदित हो कि कुछ भारतीयों के बैंक अकाउंट में से व्हाट्स ऐप ने पिछले साल मार्च, 2020 में सेंध सम्बन्धी समस्या को ठीक कर दिया था।
क्या न्याय पालिका की अवहेलना कर रहीं सोशल साइट्स
बता दें कि सन् 2016 में भी व्हाटसऐप एक नयी नीति लेकर आया था, जिसमें कहा गया था कि कम्पनी यानी व्हाट्स ऐप ग्रुप अपने उपयोगकर्ता के डाटा का इस्तेमाल अपने व्यावसायिक फायदे के लिए कर सकता है। व्हाट्स ऐप की इस नयी नीति के खिलाफ श्रेया शेठी और कर्मण्य सिंह सरीन ने दिल्ली हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की थी। याचिकाकर्ताओं की माँग थी कि व्हाट्स ऐप ग्रुप अपनी नयी गोपनीय नीति में बदलाव करे, जिससे उपयोगकर्ता के डाटा का दुरुपयोग न हो। याचिकाकर्ताओं की इस याचिका को दिल्ली हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया। इसके बाद वे सर्वोच्च न्यायालय पहुँचे। सर्वोच्च न्यायालय ने याचिका को स्वीकार करके व्हाट्स ऐप और फेसबुक, दोनों को नोटिस भेजकर उनसे गोपनीय नीति को लेकर जवाब माँगा। सर्वोच्च न्यायालय ने निजता को लोगों का मौलिक अधिकार बताया और कहा कि हमारा संविधान देश के हर नागरिक को निजता का अधिकार देता है, चाहे वह गरीब हो या अमीर। अप्रैल, 2017 में इस मामले की सुनवाई पाँच जजों की संवैधानिक पीठ को सौंपी गयी। इस बेंच ने सोशल मीडिया पर से उपयोगकर्ता की निजी जानकारी सार्वजनिक करने को लेकर फेसबुक और व्हाट्स ऐप को कड़ी फटकार लगायी थी। सर्वोच्च न्यायालय ने प्राइवेसी के एक मामले में फैसला सुनाते हुए कहा था कि फेसबुक, व्हाट्स ऐप अपने उपभोक्ताओं का डाटा किसी भी हाल में किसी तीसरे के हाथ में नहीं दे सकते। इस फैसले के साथ ही सर्वोच्च न्यायालय ने दोनों कम्पनियों से चार हफ्ते के भीतर एक हलफनामा दायर करने को भी कहा था।
दोबारा सन् 2019 में सोशल मीडिया द्वारा उपयोगकर्ता के डाटा के दुरुपयोग पर सख्त नाराज़गी ज़ाहिर करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने फिर कहा कि सोशल मीडिया का दुरुपयोग खतरनाक हो गया है। सर्वोच्च न्यायालय ने साइबर अपराध की श्रेणी में आने वाले संदेशों को ईज़ाद करने वालों का पता लगाने में कुछ सोशल मीडिया मंचों की असमर्थता पर गहरी चिन्ता व्यक्त करते हुए कहा कि अब इसमें सरकार को दखल देना चाहिए। समय आ गया है कि केंद्र सरकार इसमें दखल दे। न्यायालय ने केंद्र सरकार से ऐसे मामलों से निपटने के लिए सख्त दिशा-निर्देश बनाने की बात भी कही और तीन हफ्ते के भीतर वह समय-सीमा बताने के लिए कहा, जिसमें सोशल मीडिया पर किसी की प्राइवेसी का दुरुपयोग रोकने के दिशा-निर्देश तैयार किये जा सकें। इतना ही नहीं, सर्वोच्च न्यायालय ने कहा था कि किसी व्यक्ति की निजता का संरक्षण करना सरकार की ही ज़िम्मेदारी है।
सरकार खामोश क्यों
इन दिनों पूरी दुनिया में निजी डाटा सुरक्षा को लेकर बहस छिड़ी हुई है। कई देशों की सरकारें बड़े-बड़े सोशल मीडिया ग्रुप्स को अपने नागरिकों की डाटा सुरक्षा को लेकर चेतावनी दे चुके हैं। लेकिन भारत सरकार की ओर से सोशल मीडिया पर उपयोगकर्ता की निजता के दुरुपयोग पर कोई खास प्रतिक्रिया अभी तक नहीं आयी है। सवाल यह है कि सरकार इतने बड़े मामले पर खामोश क्यों है? जैसा कि पहले भी कई बार ऐसी खबरें सामने आयी हैं कि सोशल मीडिया के ज़रिये उपयोगकर्ता की निजी जानकारी लीक हो रही है; लेकिन कभी भी इस पर सरकार की ओर से कोई ऐसी रोक नहीं लगी, जिससे कि सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर सोशल साइट्स चलाने वाली कम्पनियों को कानूनी सज़ा या प्रतिबन्ध का डर बैठा हो। बता दें कि सोशल मीडिया की साइट्स चलाने वाली कम्पनियाँ अपने ग्रुप्स के ज़रिये मोटी कमायी करती हैं और उपयोगकर्ता के दम पर ही उन्हें यह कमायी होती है। आपको यह भी हैरानी होगी कि व्हाट्स ऐप और दूसरी सोशल साइट्स पर दुनिया के कई देशों में प्रतिबन्ध है। लेकिन भारत एक ऐसा देश बन चुका है, जहाँ किसी भी सोशल साइट को चलाने की आसानी से इजाज़त मिल जाती है, जिसके चलते यहाँ साइबर क्राइम भी खूब होता है।
धोखे में न रहें सोशल साइट्स
सोशल मीडिया के उपयोगकर्ता की निजता लीक होने का खतरा कोई नयी बात नहीं है। हालाँकि यह गलत और गैर-कानूनी है। लेकिन ऐसा तबसे ही होता रहा है, जबसे इंटरनेट का लोगों ने इस्तेमाल शुरू किया है। लेकिन आज की सभी सोशल साइट्स पर इसकी सम्भावनाएँ और बढ़ गयी हैं। लेकिन फिर भी सोशल मीडिया साइट्स को इस धोखे में नहीं रहना चाहिए कि ऐसा करके उनकी साख बची रह जाएगी। पहले भी व्हाट्स ऐप की तरह उपयोगकर्ता की निजता में सेंध लगाने की कोशिश करने वाली कई साइट्स का आज नाम-ओ-निशान तक नहीं है। अगर आज भी व्हाट्स ऐप या फेसबुक या दूसरी सोशल साइट्स इस तरह की हरकत करेंगी, तो उनका भी अस्तित्व खतरे में पड़ सकता है।
व्हाट्स ऐप पर कैसे रहें सुरक्षित
हालाँकि सोशल साइट्स पर निजता की सुरक्षा की गारंटी तब तक नहीं दी जा सकती, जब तक सोशल साइट्स खुद इसके लिए करार न कर दें। लेकिन फिर भी कुछ उपायों से आप खुद को काफी हद तक सुरक्षित कर सकते हैं। व्हाट्स ऐप पर भी ऐसी ही सावधानियों और अकाउंट मैनेज की कोशिशों से आपको सुरक्षा मिल सकती है। आपकी और आपके मैसेज, फोटो तथा अन्य जानकारी की सुरक्षा के लिए सबसे ज़रूरी कि आपको उन टूल्स और फीचर्स के बारे में जानकारी हो, जिनसे आप सुरक्षित और असुरक्षित हो सकते हैं। पहले तो यह कि जब आप कोई भी ऐप डाउनलोड करें, तो उस ऐप के नियमों और शर्तों को ज़रूर पढ़ लें और यह सुनिश्चित कर लें कि आप उसके नियमों और शर्तों से सन्तुष्ट हैं। हर एक शर्त को आँख बन्द करके यानी बिना पढ़े एलाउ यानी स्वीकृत करते न चलें। अगर ऐसी कोई भी जानकारी अपने किसी साथी, दोस्त या परिचित के साथ सोशल मीडिया पर शेयर न करें, जो अत्यधिक गोपनीय हो। आप उन्हें ऐसी जानकारियाँ ईमेल के ज़रिये भी भेज सकते हैं। व्हाट्स ऐप की सेवा की शर्तों में साफ-साफ बताया गया है कि व्हाट्स ऐप पर क्या करना मना है। जैसे कि व्हाट्स ऐप पर अवैध, अश्लील, धमकी, मानहानि, परेशान करने और नफरत फैलाने वाले सन्देश, नस्ल या जाति के लिए आक्रामक रुख या गैर-कानूनी या अनुचित आचरण करने या करने के लिए दूसरों को उकसाने या प्रोत्साहित करने वाले कंटेंट (स्टेटस, प्रोफाइल फोटो या मैसेज) भेजना / शेयर करना गलत है। व्हाट्स ऐप ने पहले ही कह दिया है कि ऐसा उसकी सेवा की शर्तों का उल्लंघन है। दूसरा व्हाट्स ऐप आपको कुछ ऐसे कंट्रोल टूल्स देता है, जिनका इस्तेमाल करके आप खुद को थोड़ा सुरक्षित रख सकते हैं। जैसे आप अपने अकाउंट की डिटेल को जिसे न दिखाना चाहें, उससे छिपा सकते हैं। ध्यान दें कि आप जिन लोगों या ग्रुप्स से व्हाट्स ऐप पर बात नहीं करना चाहते, आप उन्हें सीधे ब्लॉक भी कर सकते हैं। इतने पर भी आपकी प्राइवेसी कोई जाँच या चुरा रहा है, तो आप व्हाट्स ऐप को रिपोर्ट कर सकते हैं।