कांग्रेस ने बुधवार को ”बागी” बने बैठे सचिन पायलट को एक और मौका देते हुए उन्हें हरियाणा की ”खट्टर सरकार की मेजबानी छोड़कर” तत्काल जयपुर आकर पार्टी के बीच अपनी बात रखने को कहा है। उधर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने वर्तमान हालात और सचिन पायलट की महत्वाकांक्षा पर चुटकी लेते हुए कहा है कि ”प्लेट में सोने की छुरी खाने के लिए नहीं होती है”।
सचिन पायलट को मौका देने का ऐलान कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने मीडिया से बातचीत करते हुए किया और सचिन को ”हरियाणा सरकार की मेजबानी छोड़कर” जयपुर आकर पार्टी के बीच अपनी बात रखने को कहा है। एक तरह से गहलोत से बाजी हार चुके सचिन के लिए निश्चित ही बहुत दुविधा की स्थिति बन गयी है।
पहले यह चर्चा थी कि उनके जो तीन चार समर्थक विधायक पिछले तीन दिन से पाला बदलकर गहलोत के समर्थन में जा खड़े हुए हैं, वे वापस सचिन के पास आ सकते हैं, लेकिन इसके विपरीत ऐसा लग रहा है कि जो विधायक सचिन पायलट के साथ हैं और हरियाणा के होटल में रुके हैं, वो भी सचिन से छिटकने की तैयारी में हैं। उन्हें अपनी चिंता सताने लगी है।
उधर सुरजेवाला ने आज मीडिया से बातचीत में सचिन को लेकर जैसे तेवर बनाये रखे, उससे साफ़ लग रहा है कि उन्हें ”बिना शर्त” कांग्रेस में वापस आना होगा। या फिर, जैसा कि उनपर भाजपा से ”मिलीभगत” का आरोप है, उन्हें अपना कोई रास्ता खोजना पड़ेगा। अभी तक के हालत से लग रहा है कि सचिन बहुत जल्दी और बिना सोचे-बिचारे फैसला कर गए जिससे उनके कांग्रेस में बहुत शानदार चल रहे करियर पर ग्रहण लग गया है, भले वे बार-बार सफाई दे रहे हों कि भाजपा में वे किसी सूरत में नहीं जायेंगे और कांग्रेस में ही हैं।
सुरजेवाला ने आज की मीडिया कांफ्रेंस में सचिन को जिस तरह ”हल्का” बनाकर पेश किया है, उससे साफ़ लग रहा है कि कांग्रेस में सचिन की वापसी बहुत ”कमजोर” रहेगी और राजस्थान में तो शायद ही उन्हें रखा जाए। दिल्ली में भी उन्हें वापसी करने में अभी महीनों लग जायेंगे। हालांकि, हो सकता है कि कुछ महीने का ”ईमानदार धैर्य” उनकी कांग्रेस राजनीति को पटरी पर ले आये। फिलहाल तो देखना यह है कि वे कांग्रेस में ही रहती भी हैं या नहीं।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी आज मीडिया से बातचीत करते हुए सचिन के प्रति बहुत तल्ख़ दिखे हैं। वे साफ़ तौर पर यह आरोप लगा रहे हैं कि ”उप मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष होते हुए भी उन्होंने (सचिन) भाजपा के साथ मिलकर षड्यंत्र किया। गहलोत ने एक तरह से साफ़ कर दिया है कि कांग्रेस में रहे भी तो भी वे सचिन को अब राजस्थान में किसी सूरत में बर्दाश्त नहीं करेंगे। गहलोत ने यह भी साफ़ कहा है कि सारे षड्यंत्र के ”सबूत” उनके पास हैं। उन्होंने मीडिया के एक वर्ग को भी आईना दिखाया कि कैसे ”उलटे सीधे कयासों” के जरिये उनकी सरकार गिराने की ”मुहिम” ही शुरू कर दी गयी और यह अभियान चलाया गया कि राहुल गांधी और गांधी परिवार जानबूझकर सचिन और उन जैसे युवाओं को किनारे करना चाहता है।
उधर सुरजेवाला ने जिस तरह सचिन पायलट पर हमला किया है उससे साफ़ जाहिर है कि पूरी कांग्रेस आलाकमान में सचिन के प्रति ”नाराजगी” है। ऐसा लगता है कि गहलोत ने आराम और बहुत तैयारी से सचिन को आलाकमान के पास ”कमजोर” किया। शायद इसलिए वे कुछ सबूतों का दावा कर रहे हैं।
राजस्थान में भी सचिन पायलट ”सहानुभूति” खोते दिख रहे हैं। उनके साथ रहने वाले ”भाजपा के साथ मिलकर षड्यंत्र रचने” के आरोपों से बेचैन हैं और जानते हैं राजस्थान जैसे मूल्यों वाले प्रदेश में जनता इसके लिए उन्हें सजा दे सकती है। इसलिए खबर आ रही है कि सचिन की साथ वाले विधायक कांग्रेस से माफी मांगने की तैयारी में हैं।
सुरजेवाला ने आज साफ़ कहा कि 14-15 साल में ही कांग्रेस ने उन्हें इतना आगे बढ़ाया। शायद ही कांग्रेस, यहाँ तक कि भाजपा में भी ऐसा प्रोत्साहन किसी नेता को मिला हो। सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने सचिन को अवसर दिया कि भूल हो सकती है और उसे सुधारा जा सकता है लेकिन उन्होंने (सचिन) नहीं माना। सुरजेवाला के मुताबिक सचिन को इतना तक कहा गया कि आपका राजस्थान में विधायक दल में बहुमत है तो साबित करिये और अपना मनपसंद (सीएम) पद पा लीजिये।
इस बीच विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी ने सचिन पायलट समेत 19 विधायकों को नोटिस जारी कर 17 जुलाई को दोपहर एक बजे तक विधानसभा अध्यक्ष के समक्ष लिखित जवाब मांगा है। विधानसभा की ओर से इन 19 विधायकों को तमाम माध्यमों से नोटिस के संबंध में सूचना भिजवाई गयी है। कांग्रेस विधायक दल की व्हिप की अवेहलना करके पार्टी की बैठक में नहीं आने पर मुख्य सचेतक महेश जोशी ने विधानसभा अध्यक्ष के समक्ष मंगलवार देर रात एक मेल के जरिए एक याचिका लगाई थी, जिसके बाद स्पीकर ने यह नोटिस जारी किये।
इस स्थिति में यदि 19 विधायकों की सदन की प्राथमिक सदस्यता खत्म होती है (यदि कोइ विधायक वापस नहीं लौटता है), तो 200 सदस्यों वाली विधानसभा में 19 विधायकों की प्रथमिक सदस्यता खत्म होते ही 181 सदस्य रह जाएंगे। सदन में अभी कांग्रेस के पास 107 विधायक हैं जिनमें से 19 निकलने पर कांग्रेस के पास 88 सदस्य ही बचेंगे। इस तरह 181 की संख्या में बहुमत का आंकड़ा 92 हो जाएगा और कांग्रेस के पास इससे ज्यादा संख्या है।
भाजपा में भी हलचल
भले राजस्थान की सरकार गिराने के आरोप भाजपा पर लगाए जा रहे हों, खुद राजस्थान भाजपा में सब कुछ अच्छा नहीं चल रहा। मुख्यमंत्री रहीं और ताकतवर नेता वसुंधरा राजे सिंधिया आज भाजपा की बैठक में नहीं आईं। वो नाराज बताई जा रही हैं और उन्हें लग रहा है कि पायलट को भाजपा में लाने की ”कोशिश करके” उन्हें कमजोर करने का ”षड्यंत्र” रचा जा रहा है।