दुनियाभर के सभी महाद्वीपों के करीब 200 देशों में कोरोना वायरस का कहर कायम हो गया है। सवाल यह उठने लगा है कि आखिर इससे निजात कैसे पायी जा सकती है। इसका जवाब भी जहां से कोरोना वायरस शुरू हुआ, वहीं से यानी चीन से ही मिल रहा है। अब चीन में जहां दिनोंदिन कोरोना वायरस के संक्रमित मामले साथ ही इससे होने वाली मौत में निरंतर तेजी से गिरावट दर्ज की जा रही है, वहीं दुनिया के अन्य हिस्से में इसका उससे कहीं ज्यादा गति से फैलाव हो रहा है।
अब सवाल उठ रहा है कि चीन ने किस तरह से हालात पर काबू पाया। तो इसका जवाब चीन के मामले में यह है कि उसने पूरी तरह से इलाके को लॉक डाउन कर दिया। लोगों को क्वारंटाइन अपनाने को कहा गया। इसे अपनाया भी गया तो रिजल्ट सबके सामने आ गए। चीन के बाद अब सर्वाधिक प्रभावित इटली और स्पेन भी इसी तरीके को अपना रहे हैं।
अब सवाल उठता है कि ये क्वारंटाइन है क्या? यह कैसे वायरस को रोकने और मरीज के लिए मददगार है? फिलहाल क्वारंटाइन का मतलब ये है कि संदिज्ध मरीज को 14 दिन के अलग-थलग रहना यानी एकांतवास में निगरानी। यह विशेषज्ञों की निगरानी में भी हो सकता है, सरकारी या निजी अस्पताल में भी हो सकता है। इसके अलावा घर पर भी व्यक्ति खुद को अलग रख सकता है।
सरकारें भी आइसोलेशन वार्ड व विशेष शिविर की व्यवस्था कर रही हैं। मसलन, राजधानी नई दिल्ली में विदेश से आने वालों के लिए दिल्ली से सटे छावला में आईटीबीपी ने विशेष शिविर बनाया है। यहां पर सभी सुविधाओं से सुसज्जित आइसोलेशन वार्ड है, जहां पर परदेस से आने वाले संदिज्ध भारतीय व विदेशी 14 दिन का समय बिताते हैं।
इसके अलावा कोई भी व्यक्ति जिसे आशंका हो कि वह इससे पीडि़त हो सकता है यानी खांसी, जुकाम, बुखार या छींक आने की स्थिति में घर में अकेले भी क्वारंटाइन समय बिता सकता है। इससे घर में खुद को क्वारंटाइन के जरिये अपने परिजनों को व मिलने-जुलने वालों को संक्रमित होने से बचा सकते हैं।
होम क्वारंटाइन का मतलब घर पर ही दूसरे लोगों से अपने आपको अलग कर लेना है। यह समय 14 दिन का है, जिस दौरान कई तरह की एहतियात बरतने के साथ ही बहुत से उपाय भी अपनाने होते हैं। इसमें नियमित सफाई के अलावा हवा और पानी का खयाल रखना होता है, किसी के साथ कोई चीज शेयर नहीं करनी होती है। अगर कोई मिलता भी है तो उससे कम से कम एक मीटर की दूरी बनाए रखनी होती है।
क्वारंटाइन शब्द का मतलब
क्वारंटाइन लैटिन मूल का शब्द है। इसका मूल अर्थ 40 दिन का समय है। इसका मतलब संगरोध, संगरोधन, किनारे पर आने-जाने से रोकना और अस्पताल का अलग कमरा भी है। दरअसल, एक जमाने में पानी वाले जहाजों में किसी यात्री के रोगी होने या जहाज के माल में वायरस होने का संदेह होने पर उस जहाज को बंदरगाह से दूर चालीस दिन ठहरना पड़ता था। ग्रेट ब्रिटेन में प्लेग को रोकने के प्रयास के रूप में इस व्यवस्था की शुरुआत हुई थी।