क्रिकेट की लॉबियाँ

चेतन शर्मा के स्टिंग से सामने आयी बातों की जाँच होनी चाहिए

महिला क्रिकेट में आईपीएल नीलामी में खिलाडिय़ों को अच्छा पैसा मिलने की सुखद ख़बर के बीच ही एक और ख़बर आयी कि बीसीसीआई के मुख्य चयनकर्ता चेतन शर्मा का स्टिंग हुआ, जिसमें उन्होंने कई गम्भीर ख़ुलासे किये हैं। स्टिंग से निकले ख़ुलासों का तो पता नहीं क्या होगा? लेकिन ख़ुद चेतन शर्मा को इस कारण से अपनी नौकरी गँवानी पड़ी। स्टिंग से बाहर आयी, जो चीज़ें की इबारत पड़ें, तो लगता है देश की क्रिकेट में दिल्ली और मुंबई लॉबी की जंग और अपना वर्चस्व बनाये रखने के लिए दोनों में मारकाट जारी है। भले इसे बीसीसीआई या खिलाड़ी स्वीकार करने से कतराएँ; लेकिन विराट कोहली की कप्तानी जाने से लेकर अन्य कुछ चीज़ें ऐसी हैं, जो ज़ाहिर करती हैं कि बाहर से भारतीय क्रिकेट में जितनी ख़ूबसूरत दिखती है, भीतर सब कुछ वैसा नहीं है।

चेतन शर्मा के ख़ुलासों पर उनकी मुख्य चयनकर्ता के पद से छुट्टी तो हो गयी। लेकिन क्या बीसीसीआई स्टिंग में आम जनता के बीच आयी कड़वी बातों की जाँच करवाएगा? बड़े दिग्गजों के अहम और चयन में दबाव जैसी चीज़ें क्रिकेट में हो रही हैं, यह जानकर देश के करोड़ों क्रिकेट प्रेमियों को गहरी ठेस लगी है। नैतिकता का तक़ाज़ा है कि बीसीसीआई इस पर सच सामने लाये। भारत की पुरुष क्रिकेट टीम दुनिया में दो फॉर्मेट में नंबर-1 की, जबकि टेस्ट के दूसरे नंबर की टीम है। ऐसे में भीतर की सनसनी से भरी जो जानकारियाँ सामने आयी हैं, वो मन खट्टा करती हैं। कह सकते हैं कि भारतीय क्रिकेट के गौरव को धब्बा लगाती हैं और टीम के दुनिया भर में नंबर-1 होने के मज़े को किरकिरा करती हैं।

चेतन शर्मा, पूर्व राष्ट्रीय मुख्य चयनकर्ता

दरअसल क्रिकेट में कप्तानी छीनने या टीम से बाहर करने जैसे स्टिंग के ख़ुलासे षड्यंत्र रचने जैसे आरोप हैं। दरअसल जैसे टी-20 से सीनियर खिलाडिय़ों को आराम उनके स्वास्थ्य की बेहतरी के लिए नहीं, परन्तु उन्हें टीम से बाहर करने के षड्यंत्र की तरफ़ इशारा करता है। विराट कोहली की कप्तानी एक योजना के तहत छीनी गयी, यह भी एक गम्भीर आरोप है। ज़ाहिर है देश की क्रिकेट में मुंबई और दिल्ली की जो ताक़तवर लॉबियाँ हैं, वह एक दूसरे को कमज़ोर करने में सक्रिय हैं। यह बहुत शर्म की बात है कि देश की टीम में खिलाड़ी का चयन या उसे कप्तानी प्रतिभा से ज़्यादा क्षेत्रों के आधार पर मिलती है, क्योंकि उस क्षेत्र की लॉबी मज़बूत है।

बीसीसीआई में नये अध्यक्ष रोजर बिन्नी, जिन्हें नैतिक स्तर पर बड़ा रुतबा हासिल है; के सामने यह चुनौती है कि देश की क्रिकेट से इस गंदगी की सफ़ाई करें। उन्हें दृढ़ता दिखानी होगी और बीसीसीआई, क्षेत्रों और दिग्गजों की दादागीरी को ख़त्म कर एक साफ़-सुथरा क्रिकेट ढाँचा बनाना होगा। बिन्नी ऐसा कर पाते हैं, तो भारत के क्रिकेट इतिहास में उनका नाम सुनहरे अक्षरों में लिखा जाएगा।

चेतन के ख़ुलासों ने पूरी दुनिया के क्रिकेट प्रशंसकों को हैरान किया है। उन्होंने अनजाने में गांगुली-कोहली विवाद, टीम में खिलाडिय़ों के चयन और फ़र्ज़ी फिटनेस सर्टिफिकेट जैसी कई सच्चाइयों पर से पर्दा उठा दिया है। चेतन का आरोप अगर सही है, तो भारतीय क्रिकेट में कई खिलाडिय़ों के इंजेक्शन लेकर फिट दिखाने वाली बात भी बहुत गम्भीर है। चेतन के मुताबिक, खिलाडिय़ों की फिटनेस 80-85 फ़ीसदी ही होती है; लेकिन फिर भी वह पेशेवर क्रिकेट खेलने के लिए इंजेक्शन लेते हैं और 100 फ़ीसदी फिट हो जाते हैं। इन इंजेक्शन में जो दवा पड़ती है, वह डोप टेस्ट में पकड़ी नहीं जाती। नक़ली फिटनेस सर्टिफिकेट खिलाड़ी बाहर के डॉक्टरों से लेते हैं। निश्चित भी यह गम्भीर आरोप हैं, जो जाँच की माँग करते हैं।

स्टिंग से जो बातें सामने आयीं, उनमें एक यह है कि टी20 फॉर्मेट में विराट कोहली और रोहित शर्मा को इसलिए आराम दिया गया, क्योंकि इसके ज़रिये उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया जाए। नये खिलाडिय़ों को अवसर मिला चाहिए। लेकिन आराम देकर दल से जगह छीनने का यह तरीक़ा सही है? चेतन शर्मा ने यह भी बताया कि रोहित शर्मा उनके बच्चे की तरह हैं और उनसे फोन पर आधा-आधा घंटा बात करते हैं और वे (रोहित) जो भी बात करते हैं, वह इस कमरे से बाहर नहीं जाती। उनके मुताबिक, खिलाड़ी सिलेक्टर्स के टच में रहते हैं और हार्दिक पांड्या उनसे घर पर मिलने आते हैं। पांड्या भारतीय क्रिकेट का भविष्य हैं, इसमें कोई संदेह नहीं और किसी से मिलने में भी कोई बुराई नहीं; लेकिन क्या यह सब चीज़ें शंका पैदा नहीं करतीं?

विराट कोहली की कप्तानी और पूर्व बीसीसीआई अध्यक्ष सौरव गांगुली के साथ हुए विवाद पर भी स्टिंग में काफ़ी कुछ सामने आया है। चेतन के मुताबिक, विराट कोहली को ऐसा लगता था कि उनकी कप्तानी सौरव गांगुली की वजह से गयी; लेकिन ऐसा नहीं था। सिलेक्शन कमेटी की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग मीटिंग में गांगुली ने कोहली से कप्तानी के बारे में कहा था कि फ़ैसले को लेकर एक बार फिर सोच लो। मुझे लगता है कि कोहली ने सौरव की बात सुनी नहीं।

चेतन ने विराट-रोहित के बीच मतभेदों को लेकर स्वीकार किया कि उन दोनों के बीच निश्चित तौर पर अहं की टक्कर है; लेकिन कोई दरार नहीं है। हालाँकि चेतन का यह भी कहना है कि दोनों खिलाडिय़ों ने हमेशा एक-दूसरे का साथ दिया है। चेतन ने जसप्रीत बुमराह की टीम में वापसी को लेकर भी सनसनी भरा ख़ुलासा किया और कहा कि बुमराह ने 2022 में ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ टी20 सीरीज के दौरान अपनी चोट को छिपाया था। फिटनेस सर्टिफिकेट के बावजूद सीरीज के दूसरे मैच से पहले, बुमराह का दर्द बढ़ गया था। चेतन के मुताबिक बुमराह ने इसे सिर्फ़ टी20 विश्व कप 2022 टीम में रहने के लिए छिपाया था।

क्रिकेट की लॉबियाँ

जहाँ तक दिल्ली और मुंबई लॉबी की बात है, यह पहले भी रही है। भारतीय क्रिकेट में लॉबी की चर्चा हमेशा रही है। आरोप यह हैं कि मुंबई लॉबी के पास इतने ताक़तवर लोग हैं, जो विभिन्न क्षेत्रों से बनी राष्ट्रीय चयन समितियों और ग़ैर-मुंबई बीसीसीआई अध्यक्षों को दबाव में लाती हैं। इसमें कोई दो-राय नहीं कि भारतीय क्रिकेट में महाराष्ट्र (मुंबई) लॉबी हमेशा से ताक़तवर रही है। यह कहा जाता है कि विराट कोहली ने जब टी-20 अंतरराष्ट्रीय मैचों की कप्तानी छोडऩे का फ़ैसला किया, तो वास्तव में इसके पीछे मुंबई की ताक़तवर लॉबी थी, जो कप्तानी रोहित शर्मा के हाथ में देना चाहती थी।

हाल के दशकों में गौतम गम्भीर और वीरेंद्र सहवाग और उनके बाद विराट कोहली दिल्ली के मज़बूत चेहरे रहे हैं, जिन्होंने क्रिकेट में दबदबा क़ायम किया। उनकी ताक़त दीवानगर भाजपा नेता और केंद्रीय मंत्री रहे अरुण जेटली थे। उनके जाने के बाद दिल्ली के खिलाडिय़ों को मुश्किलें आयीं। जेटली के निधन पर वीरेंद्र सहवाग ने ट्वीट में लिखा था कि जेटली के सार्वजनिक जीवन में योगदान के अलावा एक बड़ा योगदान यह भी था कि दिल्ली क्रिकेट के कई खिलाड़ी भारत के लिए खेल सके। मुंबई में सुनील गावस्कर और सचिन तेंदुलकर जैसे दिग्गज रहे हैं और अब रोहित शर्मा हैं। अब दिल्ली बनाम मुंबई लॉबी की बात करें, तो लगता है कि विराट कोहली को इसी लॉबी ने निशाना बनाया। तो क्या विराट कोहली के कप्तानी छोडऩे (या दबाव से हटने के लिए मजबूर करने) के पीछे भी लॉबीवाद ही है? लगता तो यही है।

चलते-चलते

महिला आईपीएल 2 मार्च से शुरू हो रहा है। इसके लिए महिला खिलाडिय़ों की नीलामी से ज़ाहिर होता है कि भले वे पुरुषों के मुक़ाबले कम पैसों में बिकी हों, उन्हें आर्थिक संबल प्रदान करने के लिए यह एक अच्छी शुरुआत है। मुंबई में हुई इस ऑक्शन में 448 खिलाडिय़ों में से 87 पर बोली लगी, जिनमें से 57 भारतीय हैं। पाँच फ्रेंचाइजी, मुंबई इंडियंस, दिल्ली कैपिटल्स, यूपी वॉरियर्स, गुजरात जाएंट्स और रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर ने मिलकर 59.50 करोड़ रुपये ख़र्च किये। चार खिलाडिय़ों को फ्रेंचाइजी ने दो करोड़ से तीन करोड़ के बीच और तीन खिलाडिय़ों को तीन करोड़ रुपये से ज़्यादा की राशि में ख़रीदा। भारत की डैशिंग बैटर स्मृति मंधाना पर ऑक्शन में सबसे महँगी 3.40 करोड़ रुपये की बोली लगी। इंग्लैंड की नताली स्कीवर और ऑस्ट्रेलिया की एश्ले गार्डनर 3.20 करोड़, दीप्ति शर्मा 2.60, जेमिमा रॉड्रिग्स 2.20, शेफाली वर्मा और बेथ मूनी 2-2 और रेणुका ठाकुर को उनके फ्रेंचाइजी ने 1.60 करोड़ में ख़रीदा।