क्रिकेट की पिच से अब देश के कप्तान

यह सही है कि भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान में अभी हाल में हुए चुनावों में सबसे ज़्यादा मत पाकर उभरी है पाकिस्तान की तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी। इस पार्टी को सरकार बनाने के लिए ज़रूरी 172 सीटें हासिल नहीं हुई हंै। इसे 116 सीटें मिली हैं लेकिन देश में यह सबसे ज़्यादा सीटें हासिल करने वाला दल है। इसके सुप्रीमो हैं क्रिकेट टीम के कप्तान हरफन मौला इमरान खान। पाकिस्तान की क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान रहते हुए उन्होंने एक ज़माने में विश्व कप भी हासिल किया था। तकरीबन पिछले दो दशक से वे पाकिस्तान की राजनीति में सक्रिय हैं। कहा जाता है कि दूसरी छोटी पार्टियों और इंडिपेंडेंटिली विजयी उम्मीदवारों को साथ लेकर वे सरकार बनाने का जादुई अंक 172 हासिल करने की कशमकश में जुटे हैं। अनुमान है देश की आजादी के दिन से कुछ पहले ही यानी 11 अगस्त को देश की कमान वे अपने हाथ में ले लेंगे।

क्रिकेट में ऑल राउंडर कहलाने वाले इमरान खान पाकिस्तान के अब प्रधानमंत्री। पाकिस्तान की आज़ादी दिवस से ऐन पहले वे पाकिस्तान के नए वजीर-ए-आलम बनेंगे। लंदन की ऑक्सफोर्ड यूूनिवर्सिटी से स्नातक इमरान खान में उदारता है और देश के विधान और लोकतंत्र के लिए प्रेम भी। उनकी इस खासियत को पाकिस्तान के बड़े सैनिक अफसर भी मानते हैं जिनके सहयोग से वे देश की कमान संभाल रहे हैं।

पाकिस्तान के आम चुनाव में रिगिंग और सेना की चाहत पर ही देश की बागडोर की जिम्मेदारी के आरोपों में नया कुछ नहीं है। ये पहले भी लगते रहे हैं। इमरान खान के साथ भी हैं। लेकिन पाकिस्तान चुनाव आयोग के घोषित नतीजों के अनुसार उन्हें 116 सीटों पर विजय हासिल हुई है। यानी वे पाकिस्तान के बड़े कद्दावर नेताओं में आज एक हैं जिनकी पार्टी तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) को जनता की अदालत में मौका मिला है। उनके मुकाबले में रही पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की पार्टी। शरीफ इन दिनों जेल में हैं और फिलहाल अस्पताल में है, उनकी पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) को 64 सीटें हासिल हुई हैं। तीसरे नंबर पर हैं पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) जिसके अध्यक्ष हैं आसिफ अली जरदारी। इसकी ओर से पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो के बेटे बिलावल भी चुनाव मैदान में उतरे थे। उनकी पार्टी को कुल 43 सीटें मिली। हालांकि उन्हेें पाकिस्तानी जनता ने एक पहचान दी है।

पाकिस्तानी संसद में निचला सदन जो नेशनल असेंबली कहलाता है उसकी कुल सीटें 342 हैं। इसमें 272 सीटों के लिए सीधा चुनाव पूरे देश में होता है। विजयी पार्टी को 172 का वह जादुई अंक ज़रूर चाहिए जिससे वह सरकार बना सके। इस बार के चुनाव में कई छोटी पार्टियां और निर्दलीय जीते हैं। जिनकी तादाद 48 से ऊपर है। अब आल राउंडर इमरान इन सभी छोटी पार्टियों और निर्दलीयों से बातचीत में लगे हैं जिनसे उनकी पार्टी के एजंडेे और न्यूनतम साझा कार्यक्रम के आधार पर सहमति बन सके और वे प्रधानमंत्री बनकर देश में शंाति, सुरक्षा, आर्थिक बेहतरी और विकास की तस्वीर को अमली जामा पहना सकें।

पीटीआई के नेता नईमुल हक ने संवाददाताओं को बताया कि विभिन्न छोटी पार्टियों और निर्दलीय नेताओं से विभिन्न चुनावी घोषणा पत्रों और न्यूनतम साझा कार्यक्रमों पर बातचीत बड़े ही तरीके से हो रही है। न्यूनतम साझा कार्यक्रमों के आधार पर ही बन रही सहमति के आधार पर ही हमारा अनुमान है कि इमरान खान पाकिस्तान की आज़ादी के मौके के आने के पहले वजीरे आलम हो जाएंगे।

इमरान खान ने पहले ही घोषणा कर रखी है कि जिन बड़ी पार्टियों ने और दूसरे लोगों ने आम चुनाव में रिगिंग की बात कही है उसकी गंभीरता से जांच कराई जाएगी। उनकी इस पेशकश पर विपक्षी दलों से कोई खास प्रतिक्रिया नहीं मिली है।

हालांकि छिटपुट घटनाओं बतौर इस्लामाबाद के कयुमाबाद इलाके के कूड़ेदान से करीब एक दर्जन बैलट पेपर ज़रूर मिलने की बात कही गई। पीपीपी से नेशनल एसेबली में 241 सीट के उम्मीदवार मोअज्जम अली कुरैशी की इस शिकायत को डॉन अखबार को डीआईजी पुलिस अमीरफारूकी ने बताया। पुलिस ने कुरैशी साहब को जि़ले के रिटर्निग ऑफीसर को इस बारे में जानकारी देने की सलाह भी दी। सियालकोट के कंैटोनमेंट इलाके में कश्मीर पार्क के पास खाली बैलेट बॉक्स मिले हैं।

उधर मोहाजिर समुदाय के नेता और वॉएस ऑफ कराची के चेयरमैन नदीम नुसरत ने आरोप लगाया है कि पाकिस्तानी सेना ने भ्रष्टाचार विरोधी संस्थान और पाकिस्तानी अदालतों का बेइंतहा इस्तेमाल किया जिससे नवाज शरीफ और उनकी बेटी को चुनाव के ऐन पहले पाकिस्तान बुलाकर जेल में बंद कराया। चुनाव प्रचार के दिनों से ही पाकिस्तान में पूरी चुनावी प्रक्रिया में खोट की बात नज़र आ रही थी। इमरान खान और उनकी पार्टी के नेताओं को सेना खास तवज्जुह दे रही थी। उनकी पार्टी और नेताओं के विरोधियों को चुनाव प्रचार के विभिन्न कामों में सेना और पुलिस तरह-तरह के अड़ंगे लगा रही थी। उन्होंने वाशिंगटन से मांग की कि अंतरराष्ट्रीय देखरेख में पाकिस्तान में फिर से चुनाव कराएं जाएं।

पाकिस्तान के विभिन्न बड़े विपक्षी दलों के नेतृत्व में शुक्रवार को एक बैठक हुई। इसमें इस साल जुलाई में हुए चुनाव, चुनाव प्रचार की मुश्किलों और चुनावी नतीजों के अलावा रिगिंग और सेना के दखल के मुद्दों पर बात हुई। तकरीबन सभी दलों के नेताओं ने आम सहमति से पाकिस्तान चुनाव आयोग के चुनावी नतीजों को खारिज कर दिया। इनकी मांग थी कि देश में फिर से चुनाव कराए जाएं और उन्हें ट्रांस्पेरेंट रखा जाए।

इस बैठक की अध्यक्षता पीएमएल एम के अध्यक्ष शाहबाज शरीफ और मुताहिदा मजलिस ए अमाल के अध्यक्ष मौलाना फजलुर रहमान ने की। इस बैठक में जमाम-ए-इस्लामी के प्रमुख सिनेटर सिराजुल हक सिंध के गवर्नर मोहम्मद जुबैद, अवामी नेशनल पार्टी के प्रमुख असफंदमार वली खान, कौमी वतन पार्टी के अध्यक्ष आफताब अहमद खान शेरमाओ, नेशनल पार्टी सिनेटर मीर हाफिज बिजेंजो और कई और नेता थे।

इन सभी नेताओं ने कहा इस चुनाव में आए नतीजे जनता के नतीजे नहीं हैं। हम इसे नहीं मानते। इस पर पीटीआई के अध्यक्ष इमरान खान ने सहयोग की अपील के साथ जांच का भरोसा दिया।

दुनिया के तमाम राजनीतिको की तुलना में इमरान हिंदुस्तान के घर-घर में जाने जाते हैं। उनके विरोधियों का आरोप है कि उनकी जीत इस चुनाव में रिगिंग के चलते हुई।

क्रिकेट के पुराने शौकीनों को याद होगा खेल के मैदान में भी इमरान पर जब बाल के साथ टेंपरिंग करने का आरोप लगता था तो वे कहते,’मंै खेलना बंद कर दूंगा अगर कोई यह साबित कर दे कि मैंने बाल के साथ टेंपरिंग की है।Ó पाकिस्तान की राजनीति में बीस साल की सक्रियता के बाद देश की बागडोर संभालने का उनका वक्त अब आया यह भी बड़ी बात है।

कहा जाता है कि क्रिकेट में ऑल राउंडर कहलाने वाले इमरान साहब इसलिए जीते क्योंकि उनके पीछे पाकिस्तानी सेना थी। कुछ कहते हैं कि वे रिगिंग के चलते जीते। सवाल यह भी है कि फिर वे बमुश्किल क्यों जीते। बहरहाल पाकिस्तान के पुराने प्रधानमंत्रियों की तरह उन्होंने भी कश्मीर का ही मुद्दा उठाया। मगर यह उम्मीद भी जताई कि दोनों मुल्कों में अच्छे रिश्ते होंगे। आपसी व्यापार बढ़ेगा। कश्मीर का मुद्दा हल करने के लिए दोनों देशों में बातचीत का सिलसिला जारी रहे। भारत के साथ हम अपने संबंध बेहतर बनाना चाहते हैं। उन्होंने कहा यह ज़रूर है कि इमरान भारतीय मीडिया के उस रवैए से निराश दिखे। उनका कहना है कि पिछले कुछ सप्ताह में उन्हें बालीवुड की किसी फिल्म के विलेन जैसा पेश किया गया।

भारत और पाकिस्तान में आपसी व्यापार में रुकावट सीमाई तनाव, राजनीतिक जुमलेबाजी और आतंकवाद के चलते आती रही है। ‘मैं चाहता हूं कि भारत और पाकिस्तान के बीच व्यापार बढ़े इससे इस उप महाद्वीप में अर्थव्यवस्था मज़बूत होगी। दक्षिण एशिया की गरीबी दूर होगी। दोनों ही देशों को इससे लाभ होगा। भारत से संबंध हम बेशक सुधारना चाहेंगे बशर्ते वहां का नेतृत्व भी यही चाहे। पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के तकरीबन 65 साल के कप्तान इमरान खान कहते हैं ‘हमारी सरकार बातचीत के ही जरिए मतभेदों को हल करने के लिए तैयार है। इसमें कश्मीर एक बड़ा मुद्दा है। वे (भारत) एक कदम उठाएं तो हम दो कदम उठा सकते हैं। लेकिन बातचीत की शुरूआत तो होÓ।

इमरान खान ने पद संभालने की संभावना के दौरान ही देश में सुशासन और आर्थिक चुनौती से निबटने का संकेत दिया। वे पाकिस्तान के पांचवे प्रधानमंत्री हैं जो लंदन की ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के पढ़े हुए हैं। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान से वे वीआईपी संस्कृति को समाप्त करेंगे। हम आज इसलिए पीछे हैं क्योंकि जो सत्ता में हैं उनके लिए अलग प्रणाली है। व्यवस्था सभी के लिए एक सी होनी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि वर्तमान प्रधानमंत्री आवास को वे जल्दी ही शिक्षा संस्थान में बदल देंगे।

चोरी-छुपे हुए चुनाव,

नतीजा रहा बुरा: शरीफ

इस्लामाबाद की आदियाला जेल में बंद पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने मिलने आए लोगों से बातचीत मेें चुनावों को चोरी छुपे कराया गया बताया और कहा कि इसके जो जाली नतीजे आए हैं उसका असर देश पर बुरा पड़ेगा। उन्होंने फैसलाबाद, लाहौर और रावलपिंडी में आए नतीजों पर आश्चर्य जताया। उन्हें पूरी उम्मीद थी कि इन इलाकों में उनके उम्मीदवार जीतेंगे लेकिन उनकी हार हुई।

अब क्या हैं – चुनौतियां इमरान के सामने

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बतौर अब इमरान खान को अमेरिका के साथ देश के तनावपूर्ण संबंधों को दुरूस्त करना होगा। देश की भूमि से हो रही आतंकवादी गतिविधियों को थामना होगा। चीन के साथ और मधुर संबंध बनाने होंगे। चीन सरकार ने नई सरकार को पूरे सहयोग का वादा भी किया है। पाकिस्तान की आर्थिक हालत बहुत खराब है उसे दुरूस्त करना होगा। पाकिस्तान में नकदी का संकट गहराया हुआ है जिसके कारण 2013 के बाद इसे फिर शायद इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड से दूसरी बार मदद लेनी होगी। इसकी पूरी तैयारी करनी होगी। पाकिस्तान के नए नायक को भारत सरकार से भी अच्छे संबंध बनाने की कोशिश करनी होगी। नई दिल्ली ने इमरान के प्रधानमंत्री होने की संभावना पर बड़ी ही सतर्कता से अपनी शुभकामना भेजी है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने उम्मीद जताई है कि नई सरकार एक सुरक्षित, स्थाई और सुरक्षित दक्षिण एशिया बनाने में अपने पड़ोसियों के साथ सहयोग करेगी। इस पर इमरान ने अपनी प्रतिक्रिया भी दी कि वे दो कदम आगे बढ़कर दोनों देशों में शांति की पहल लेंगे। लेकिन उन्होंने कश्मीर मुद्दे को रेखांकित किया। इस पर भारत चकित भी नहीं है। इमरान के चुनावी दस्तावेज में कश्मीर समस्या का समाधान संयुक्त राष्ट्रसंघ के प्रस्तावों के तहत कराने की बात कही गई है।

लाइबीरिया के बाद पाकिस्तान में खिलाड़ी राष्ट्राध्यक्ष!

अफ्रीका में लाइबीरिया एक देश है जहां के राष्ट्रपति जार्ज विया फुटबाल के नामी अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी रहे हैं। इसी साल के शुुरू में वे जीते और लाइबेरिया के राष्ट्रपति बने। अब एशिया में पाकिस्तान भी एक ऐसा देश है जहां अब प्रधानमंत्री इमरान खान हैं। इस समय इमरान पैंसठ साल के हैं। उन्होंने 1971 में क्रिकेट को अपना कैरियर चुना। वे दुनिया भर में बेस्ट आल राउंडर बतौर ख्यात हैं। क्रिकेट की पिच पर जबरर्दस्त आक्रामक गेंदबाजी के लिए वे मशहूर रहे हैं। तकरीबन बीस साल के बाद उन्होंने खेल से संन्यास ले लिया और राजनीति में आए।

अपनी युवावस्था में इमरान खान लंदन की ऊंची हाईक्लास सोसाइटी के सिरमौर थे। पाकिस्तान की टीम को उनके नेतृत्व में 1992 में विश्वकप जीतने का मौका मिला था। इसी साल के शुरू में उन्होंने अपनी धार्मिक सलाहकार से शादी कर ली। वे पहले भी दो शादियां कर चुके थे। उनकी पहली पत्नी जेमिमा खान थीं।

अपनी छैल-छबीली और बेहद रईस नौजवान की छवि दुरूस्त करने और अच्छा और नेक मुसलमान बनने की कोशिश में उन्हें कुछ समय लगा। लेकिन बाद में वे उत्तरी पाकिस्तान में खास तौर पर कट्टर पख्तून जनसंख्या में उनकी लोकप्रियता बेहद बढ़ी। उन्होंने 1996 में पीटीआई का गठन किया। पाक संसद में 2013 में उन्हें महज एक ही सीट मिली। ऑक्सफोड से ग्रैजुएट होने के कारण उनमें कट्टरता ज्य़ादा नहीं है। उन्होंने हमेशा पाकिस्तान को भ्रष्टाचार से मुक्त संपन्न देश बनाने की बात अपने भाषणों में रखी। पिछले आम चुनाव में पाक नेशनल असेंबली में उनकी पार्टी तीसरी सेह्यबसे बड़ी पार्टी बतौर उभरी। उन्हें पाकिस्तान के उस मध्यम वर्ग ने भी सहयोग दिया जो देश में बढ़ते भ्रष्टाचार से उकता चुका था।

मालानी ही नहीं दो और हिंदू भी जीते

पाकिस्तान के इतिहास में पहली बार मुस्लिम बहुल सिंध प्रांत से तीन हिंदू उम्मीदवार नेशनल एसेंबली में आए। ये सभी पीपीपी के उम्मीदवार हैं। महेश मालानी नेशनल एसेंबली-222 थार से जीते। जबकि हरिराम किश्वरी लाल प्रोविंशनल एसेंबली-147 से मीरपुर खास से जीते। जमशोरो के ज्ञानु मल उर्फ ज्ञानचंद इसरानी प्रोविशनल एसेंबली -81 से जीते। ये सभी निचली जाति के उम्मीदवार हैं जो थार रेगिस्तान की हिंदू जनसंख्या में 90 फीसद है।

चुनावी छटा

पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में कुल 342 सदस्य हैं। इनमें 272 का सीधा मुकाबला होना है। साठ सीटें महिलाओं के लिए सुरक्षित हैं। उसके अलावा दस सीटें अल्पसंख्यक धार्मिक तबकों की होती हैं। चुनाव विभिन्न पार्टियों के प्रतिनिधित्व के हिसाब से होता है। एक सरकार पार्टी तभी बना पाती है जब उसे कम से कम 172 सीटें हासिल हुई हों।

हिंदोस्तां के घर-घर में हैं इमरान!

यह किस्सा तब का है जब क्रिकेट कप्तान इमरान का नाम सुनते ही कोलकाता की खूबसूरत लड़कियों के गाल और कनपटी लाल हो जाती थी। हर लड़की जो लंबाई में पांच-सात और खुद को खूबसूरत मानती, पूछती, दादा, इमरान कोलकाता आएगा क्या? आप मुझे उससे मिला सकेंगे क्या? लेकिन वह ईडेन गार्डेन तो जाएगा। क्या मेरे लिए पास दिला देंगे। फिर वह अपने स्कूल, कालेज में क्रिकेट के शौकीनों से पूछती, कहती ध्यान रखना, मैं साथ चलूंगी। पाकिस्तान ने इमरान की कप्तानी में विश्वकप क्या जीता था। कोलकाता में लड़कियों के सिर अजब सा जुनून था।

महिला क्रिकेट में भले बांग्ला कन्याएं आगे न निकल पाती हों लेकिन उनमें इमरान से मिलना और उसके आटोग्राफ लेने का भूत सवार था। तब कोलकाता में माक्र्सवादी राज ढलान की ओर था। चौरंगी में स्टेटसमैन की बिल्डिंग और उसके विशाल परिसर पर तब के संपादक और प्रापर्टी डीलर्स ने डील की शुरूआत हो गई थी। थोड़ा ही आगे पार्कस्ट्ीट में तब भी पुराने रोमन-यूरोपियन-बांग्ला स्थाापत्य में भव्य मकान बने दिखते थे। वैसे ही होटल और रेस्तरां। देर रात उन पुराने मकानों से अंग्रेजी, बांग्ला, ओडिया गाने और संगीत सड़कों पर भी सुनाई देते। वहीं कहीं उषा भी रहती थी।

इसी जगह एक तिराहे पर लगा था वह बड़ा सा पोस्टर। उससे पता चलता था कि आ रहा है क्रिकेट का ऑल राउंडर ईडेन गार्डेन में तब शायद ही कोई कहता इमरान तो पाकिस्तान का खिलाड़ी है। विश्वकप तो पाकिस्तान को मिला। आश्चर्य तब और होता जब कुलीन बांग्ला मध्य वर्ग की सुंदर सजा-संवरी लड़कियां राह चलते अचानक पोस्टर पढऩे लगती और सिहर उठतीं। क्योंकि पोस्टर में यह तो लिखा ही नहीं था कि कब आना है क्रिकेट के शहंशाह इमरान को ईडेन गार्डेन में!

तब के मशहूर आल राउंडर इमरान खान आज पाकिस्तान के प्रधानमंत्री हैं। सोचिए जरा, कोलकाता में उनकी दीवानी बनीं लड़कियों की उम्र आज क्या होगी? लेकिन यह तय मानिए वे आज भी गहरी सांस लेते हुए, आंखे बंद कर दिल पर हाथ रख कर उसी इमरान को याद करती होगी। जिसके लिए वे पार्क स्ट्ीट में लगे बड़े पोस्टर को देखने आया करती थीं। यह था खेल के प्रति बंगप्रेम। लेकिन तब छैल-छबीले इमरान को न तो तब के ढाई दशक पहले की न तो वह याद होगी जब उनकी एक झलक पाने के लिए किस कदर लड़कियां दौड़ती भागती थीं। कितनों को उन्होंने ऑटोग्राफ  दिए और कितनों को वे दूसरी सुबह याद रख पाए। लेकिन कइयों के पास आज भी छोटी सी डिबिया में उनकी फोटो के साथ उनका ऑटोग्राफ  है। है न, आश्चर्य की बात! मन में जलन तो होती है। लेकिन क्या करें और ऊपर से इमरान यह कहते हैं क्रिकेट के कारण हिंदुस्तान के घर-घर में है मेरी तस्वीर! और यह सच भी है!