क्रिकेट के महाकुंभ का आखिरी अध्याय ऑस्ट्रेलिया के ऐतिहासिक मेलबर्न स्टेडियम में लिखा गया. हालांकि यह अध्याय उतना ऐतिहासिक और शानदार नहीं रहा जितनी क्रिकेट प्रेमियों की अपेक्षा थी. चौके-छक्के और सौ से ऊपर के स्ट्राइक रेट के लिए मशहूर हो चुके क्रिकेट के लिहाज से यह फाइनल थोड़ा बोझिल और लो स्कोरिंग रहा. कंगारुओं ने अपनी धरती पर विजय का परचम लहराया और पांचवीं बार विश्व विजेता बने. डबडबाई आंखों से कप्तान माइकल क्लार्क ने ट्रॉफी चूमी और एकदिवसीय क्रिकेट को एकदम आदर्श स्थितियों में अलविदा कहा. विजय का यह रोमानी उत्सव भावुक स्मृतियों के भी नाम रहा जब कप्तान क्लार्क ने कहा, ‘यह विश्व कप हमने 16 खिलाड़ियों के साथ खेला. टूर्नामेंट में टीम का शानदार सफर और जीत मैं अपने छोटे भाई ‘फिल ह्यूज’ को समर्पित करता हूं’.
न्यूजीलैंड को सात विकेट से हराकर कंगारुओं की सेना ने खुद को क्रिकेट के पॉवर हाउस के रूप में स्थापित कर दिया. बिल्कुल वही रुतबा जो एक समय में फुटबॉल में ब्राजील की टीम का था. ऑस्ट्रेलियाई टीम ने अपनी पहचान के मुताबिक मैच के शुरुआत से ही दबदबा बनाए रखा. कीवी कप्तान मैकुलम बिना खाता खोले पहले ही ओवर में पैवेलियन लौट गए. इस दबाव से न्यूजीलैंड अंत तक उबर नहीं सका. विश्व कप से पहले उन्होंने अपने देशवासियों से कुछ बड़ा और महान सपना देखने की बात कही थी. उस सुंदर सपने को शुरुआती कुछ ओवर में ही कंगारुओं ने आधी रात के बुरे ख्वाब में बदल दिया.
स्टार्क, मिशेल जॉनसन और फॉकनर की तिकड़ी ने घातक गेंदबाजी से कीवी बल्लेबाजों की कमर तोड़ दी. टूर्नामेंट में लगातार अच्छा खेल दिखानेवाली न्यूजीलैंड की टीम 45 ओवर में महज 185 रनों पर ढेर हो गई. हालांकि 33 रन पर तीन विकेट गिरने के बाद ग्रांट इलियट (83 रन) और रॉस टेलर (40 रन) ने चौथे विकेट के लिए 111 रन जोड़े और ऐसा लगा कि शायद न्यूजीलैंड की टीम सम्मानजनक स्थिति में पहुंच जाएगी लेकिन ऐसा हो नहीं पाया. ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजी की शुरुआत भी हाहाकारी रही. मैच के दूसरे ओवर में दो रन पर उनका पहला विकेट फिंच के रूप में गिर गया. लगा कि एक बार फिर से इन दोनों चिर-परिचित प्रतिद्वंद्वियों के बीच लीग राउंड जैसा ही कुछ शानदार खेल देखने को मिलेगा. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों ने न्यूजीलैंड के गेंदबाजों की बेरहमी से धुनाई जारी रखी. वार्नर के तेज खेल और क्लार्क की कप्तानी पारी ने जीत की औपचारिकता पूरी कर दी.
ऑस्ट्रेलियाई मीडिया में उड़ा कीवियों का मजाक
विपक्षी टीम की हार के बाद खिल्ली उड़ाने के लिए मशहूर ऑस्ट्रेलियाई मीडिया एक बार फिर से ऐसा ही करता दिखा. इस बार निशाने पर उनका नजदीकी पड़ोसी न्यूजीलैंड और उसकी टीम के सदस्य रहे. सिडनी मॉर्निंग हेरल्ड ने कीवी टीम को मूर्ख और खाली हाथ रहनेवाला कहा. वहीं हेरल्ड सन ने कहा कि न्यूजीलैंड का राष्ट्रीय पक्षी कीवियों से बदलकर अब ‘डक’ होना चाहिए. वहीं एक अन्य अखबार ने कप्तान मैकुलम का मजाक उड़ाते हुए लिखा- ‘ओह! मेरे भाई मैकुलम! फाइनल में आपका स्कोर शून्य रहा’. टूर्नामेंट में लगातार अच्छा खेल दिखानेवाले मार्टिन गुप्टिल के प्रति भी आस्ट्रेलियाई मीडिया सहृदय नहीं दिखा. उनकी आलोचना करते हुए सभी प्रमुख अखबारों ने कहा कि जब टीम को गुप्टिल, कोरी एंडरसन समेत सभी बड़े खिलाड़ियों से अच्छे प्रदर्शन की जरूरत थी तब वे पूरी तरह नाकाम सिद्ध हुए.
ऑस्ट्रेलिया के जेम्स फॉकनर को फाइनल में शानदार गेंदबाजी के लिए ‘मैन ऑफ द मैच’ चुना गया. वहीं मिशेल स्टार्क को टूर्नामेंट में 22 विकेट झटकने के लिए मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर ने ‘मैन ऑफ द टूर्नामेंट’ की ट्रॉफी प्रदान की. विश्व कप में सबसे अधिक रन बनाने का खिताब कीवी बल्लेबाज मार्टिन गुप्टिल के नाम रहा. वेस्टइंडीज के तूफानी बल्लेबाज क्रिस गेल के नाम सर्वाधिक 26 छक्कों का रिकॉर्ड रहा.
पिछले विश्व कप में ऑस्ट्रेलिया सेमीफाइनल में भी नहीं पहुंची. असफलता के वनवास के बाद यह बादशाहत की पुनर्वापसी है
विश्व कप 2015 इस लिहाज से भी खास है कि कई दिग्गजों ने इस मेगा इवेंट को अपने एकदिवसीय करियर को अलविदा कहने के लिए चुना. कई खिलाड़ियों ने विश्वकप के साथ ही एकदिवसीय क्रिकेट को अलविदा कह दिया. ऑस्ट्रेलियाई कप्तान माइकल क्लार्क मेलबर्न ग्राउंड में आखिरी बार अपने साथियों डेविड वार्नर और एरोन फिंच के कंधो पर मैदान से बाहर गए. श्रीलंका के दो दिग्गज खिलाड़ी कुमार संगकारा और महेला जयवर्धने ने भी एकदिवसीय क्रिकेट से सन्यास लिया. पाकिस्तान के कप्तान मिस्बाह उल हक और शाहिद अफरीदी ने भी पहले ही घोषणा कर दी थी कि यह विश्व कप उनका आखिरी टूर्नामेंट होगा.
यूं तो विश्वकप का फाइनल मुकाबला एकतरफा और लो स्कोरवाला रहा. इसके बावजूद मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड पर खेला गया मैच कुछ यादें छोड़ गया. ऑस्ट्रेलिया एकमात्र देश बन गया है जिसने पांच अलग-अलग महाद्वीपों में विश्वकप जीतने का कारनामा किया है. यह दूसरी बार हुआ जब घरेलू मैदान पर कोई टीम विश्वविजेता बनी. इससे पहले 2011 में मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में भारतीय टीम ने यह करिश्मा दोहराया था. तीन विश्व कप में लगातार बादशाह बनने के बाद 2011 के विश्व कप में ऑस्ट्रेलियाई टीम सेमीफाइनल में भी जगह नहीं बना सकी थी. असफलता के वनवास के बाद यह बादशाहत की पुनर्वापसी की कहानी है. कप्तान माइकल क्लार्क ने वर्ल्ड कप ट्रॉफी के साथ क्रिकेट को भावुक अलविदा कहा. टीम के कोच डेरेन लेहमैन दो बार विश्व विजेता टीम के सदस्य रह चुके हैं. 93 हजार दर्शकों ने विश्व कप फाइनल मेलबर्न स्टेडियम में देखा. खबरें यह भी आईं कि विश्व कप ट्रॉफी देने के लिए आईसीसी के दो वरिष्ठ अधिकारी एम श्रीनिवासन और बांग्लादेश के मुस्तफा कमाल आपस में भिड़ गए. बाद में नाराज मुस्तफा कमाल मैच बीच में ही छोड़कर चले गए.