शिवसेना चीफ उद्धव ठाकरे सत्ता के फेरे में ऐसे उलझे हैं कि अब वह अयोध्या भी नहीं जा पा रहे हैं।
पिछले साल 24 नवंबर को उद्धव ठाकरे अपने परिवार और शिवसैनिकों के दल बल के साथ अयोध्या पहुंचे थे। पहले मंदिर फिर सरकार का नारा उद्धव ने दिया था। राम मंदिर निर्माण के लिए शिवसेना पहले से ही आक्रमक रही है। अपनी पत्नी रश्मि ठाकरे व बड़े पुत्र आदित्य ठाकरे के साथ उद्धव ठाकरे शिवनेरी की मिट्टी भी अयोध्या ले गए थे।
श्री राम मंदिर निर्माण को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से खुश उद्धव ठाकरे ने घोषणा की थी कि वह 24 नवंबर को एक बार फिर अयोध्या जाएंगे। उन्होंने इस दिन को भारत के इतिहास का सुनहरा दिन बताते हुए कहा,’आज के दिन हम ख़ुशी जरूर मनायेंगे लेकिन इस बात का भी ध्यान रखेंगे कि किसी को तकलीफ ना हो!’ उद्धव ने कहा था यदि अयोध्या मेंं कानून व्यवस्था सुव्यवस्थित रही तो 24 नवंबर को अयोध्या जाएंगे।
महाराष्ट्र में चुनावी नतीजों के बाद सरकार बनाने को लेकर जो पेंंच फंसा हुआ है वह जल्द ही सुलझता नजर नहीं आ रहा है। बीजेपी, शिवसेना और एनसीपी द्वारा महाराष्ट्र में सत्ता बनाने का दावा साबित न कर पाने की वजह से महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लागू है।
बावजूद इसके महाराष्ट्रा की सत्ता पर काबिज़ करने के लिए एक ओर शिवसेना अपने मित्र पक्ष बीजेपी का दामन छोड़ एनसीपी, कांग्रेस के संग प्रयासरत है वहीं दूसरी ओर बीजेपी भी पीछे नहीं हट रही है। इस बार शिवसेना किसी भी सूरत में महाराष्ट्र की गद्दी पर काबिज होना चाहती है। हालांकि एनसीपी व कांग्रेस की ओर से बार-बार मदद का आश्वासन मूर्त रूप नहीं ले पा रहा है और सरकार गठन का मामला आगे ही बढ़ता जा रहा है।
ऐसी स्थिति में अब शिवसेना चीफ पहले सत्ता के मुद्दे को प्राथमिकता दे रहे हैं। खबर है कि महाराष्ट्रा की सत्ता पर काबिज़ होने के बाद ही उद्धव ठाकरे गाजे-बाजे के साथ अयोध्या जाना चाहते हैं।