महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव से एन पहले हुए मंत्रिमंडल विस्तार में शिवसेना के दो विधायकों को मंत्री का दर्जा दिया गया। हालांकि शिवसेना ने पहले राज्य के डेप्युटी सीएम पद की मंशा जाहिर की थी और मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की ओर से इसे हरी झंडी मिल गई थी। लेकिन ऐसा क्या हुआ कि स्वयं शिवसेना अपनी बात पर कायम नहीं रह सकी और डेप्युटी सीएम पद का लोभ छोड़ दिया!
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक शिव सेना के भीतर के आपसी मतभेदों के चलते शिवसेना चीफ़ उद्धव ठाकरे को अपना निर्णय बदलना पड़ा। दरअसल शिव सेना की मंशा अपने वरिष्ठ नेता सुभाष देसाई को डेप्युटी चीफ़ मिनिस्टर बनाने की थी। लेकिन शिवसेना के कुछ लीडरान को यह बात रास नहीं आई। उन्होंने अपना विरोध दर्ज कराने से गुरेज नहीं किया। इस पद के लिए अन्य नाम भी उभरने लगे थे। भीतरी गुटबाजी के चलते विधानसभा चुनाव के नतीजे प्रभावित हो सकते थे।इस गुटबाजी से उभरते मतभेदों से शिवसेना को बचाने के लिए उद्धव ने इस पद को पिक्चर से ही हटाने का निर्णय लेते हुए दो मंत्री पदों की मांग की जिसे मुख्यमंत्री फडणवीस ने स्वीकार कर लिया।
इतवार को हुए मंत्रीमंडल विस्तार समारोह में शिवसेना के दो,आर पी आई -ए के एक और बीजेपी के दस विधायकों ने मंतरी के तौर पर अपने पद और गोपनीयता की शपथ ली। भले ही मंत्रिमंडल 13 विधायकों को शामिल किया गया है लेकिन 6मंतरियों की ओर से इस्तीफे भी ले लिए गए हैं हालांकि कहा गया है कि यह इस्तीफे मंत्रियों ने स्वयं ही दिए हैं। यह बात दीगर है कि उनमें से कई मंत्रियों पर करप्शन के चार्ज लग चुके हैं और कईयों का रिकॉर्ड संतोषजनक नहीं है बावजूद इसके, इस्तीफा के चलते बीजेपी के भीतर भी असंतोष की सुगबुगाहट है। कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आए कांग्रेस के कद्दावर नेता राधाकृष्ण विखे-पाटिल को कैबिनेट का दर्जा दिए जाने को लेकर भी सवाल उठाए जा रहे हैं।