शैलेंद्र कुमार ‘इंसान’
इसी वर्ष 30 सितंबर तक 2,000 रुपये के नये नोट चलन में हैं। भारतीय रिजर्व बैंक ने इन बड़े नोटों को 19 मई, 2023 को चलन से बाहर करने की बात कही थी। अब 500 रुपये के नये नोट के बन्द होने की चर्चा छिड़ गयी है। इस दूसरे बड़े नोट के बन्द किये जाने की ख़बरें कई दिनों से सोशल मीडिया पर चल रही हैं। अब संसद के मानसून सत्र में 500 रुपये के बन्द किये जाने को लेकर आशंका जतायी गयी है।
विदित हो कि संसद के मानसून सत्र में वित्त मंत्रालय से 500 रुपये के नये नोट के बन्द करने तथा दोबारा 1,000 रुपये के नोट को चलन में लाने की ख़बरों को लेकर सवाल पूछा गया। इस सवाल का जवाब में वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने लिखित जवाब में कहा कि सरकार की ऐसी कोई योजना नहीं है। सरकार ने 2,000 रुपये के नोटों को चरणबद्ध तरीक़े से बाज़ार से हटाया है। इन नोटों के बदले में सरकार ने 500 रुपये के नोटों का पर्याप्त बफर स्टॉक रखा है। हालाँकि 500 रुपये के नये नोट के बन्द होने के सवाल को नकारने के उपरांत भी यह ख़बर अख़बारों तथा सोशल मीडिया में सुर्ख़ियाँ बन गयी। सवाल वहीं का वही रहा कि क्या 500 रुपये का नया नोट भी बन्द हो जाएगा? हालाँकि ऐसा करना सरकार के लिए आसान भी नहीं होगा तथा यह उसके हित में भी नहीं रहेगा। इसलिए सम्भव है कि 500 के नये नोटों को चलन से बाहर अभी नहीं किया जाए।
आर्थिक मामलों के जानकार एक बैंक मैनेजर ने नाम छापने की शर्त पर कहा कि सरकार ने 2016 में नोटबन्दी का पहला निर्णय ही ग़लत तथा बिना सूझ-बूझ के लिया था। अगर सरकार उसी समय अर्थशास्त्रियों की राय लेती, तो अधिकतर का जवाब न होता। परन्तु उसने अपने हित साधने के लिए ईगो को सामने रखकर यह बड़ा फ़ैसला ले तो लिया, अब उसे इन नये नोटों से तथा बड़ी दिक़्क़त यह आ रही है कि पुराने नोटों के नक़ली नोट कम थे, इनके अधिक आ गये। इसलिए 2,000 रुपये का नोट भी बन्द किया गया, जिससे नक़ली नोटों के जाल से बाहर निकला जा सके तथा अब 500 रुपये के नये नोट के बारे में भी वही सुन रहे हैं, जो 2,000 के नोट का हो चुका है। हालाँकि नक़ली नोटों का मामला केवल 2,000 तथा 500 रुपये के नोटों तक सीमित नहीं है। छोटो नोट भी नक़ली हैं, जिन पर रोक लगाना आसान नहीं है। चलन से बाहर हो रहे 2,000 रुपये के नोटों को बदलने की तारीख़ नहीं बदलने वाली है। यह वित्त मंत्रालय पहले ही कह चुका है। अभी बहुत-से लोगों के पास 2,000 के नये नोट होंगे ही। क्योंकि 2,000 के नोट कुल नोटों के 2.51 प्रतिशत हैं। कहा जा रहा है कि देश में कुल 31,33,000 करोड़ रुपये के नोट चलन में हैं, जिनमें से 2,000 के कुल 3,62,000 करोड़ रुपये के नोट मार्च 2023 में चलन में थे। मार्च, 2018 में 2,000 रुपये के कुल 6,73,000 करोड़ रुपये मूल्य के नोट चलन में थे। अब इनकी संख्या तथा भी कम हो गयी है। हालाँकि 500 रुपये के नये नोट कितने छप चुके हैं, इसकी जानकारी तो नहीं मिल सकी है, परन्तु अनुमानित तौर पर 500 के नोटों की संख्या 2,000 के नोटों से छ:-सात गुना अधिक है। इन नोटों का काग़ज़ पहले के नोटों के काग़ज़ से काफ़ी हल्का तथा सुलभता से उपलब्ध है। नये नोट के काग़ज़ के जैसा काग़ज़ आसानी से उपलब्ध है। इससे बाज़ार में नक़ली नोटों की भरमार हो चुकी है।
पिछले दिनों एक ख़बर वायरल हुई कि 50 से 200 रुपये के नक़ली नोट बाज़ार में धड़ल्ले से चल रहे है। इसके अतिरिक्त 500 तथा 2,000 के नक़ली नोटों की ख़बरें भी आती रहती हैं। जानकारों का कहना तो यहाँ तक है कि बाज़ार में 10, 20, 50, 100, 200, 500 के नक़ली नोट ख़ूब चलन में हैं। चलन से बाहर होने के चलते 2,000 रुपये के नक़ली नोटों पर रोक लग सकी है। अगर सरकार 500 रुपये के नक़ली नोट चलन से बाहर करना चाहती है, तो उसे 500 रुपये के नये नोट चलन से बाहर करने होंगे। नक़ली नोटों की पहचान आम लोगों को नहीं हो पाती है, इसलिए जालसाज़ लोग नक़ली नोटों को बाज़ार में आसानी से चला देते हैं। 10, 20, 50, 100 तथा 200 के नोटों को आम लोग वैसे भी ध्यान से नहीं देखते। हालाँकि कुछ दिन पहले सोशल मीडिया पर एक ख़बर चली थी कि 500 रुपये का स्टार (*) वाला नोट नक़ली है। हालाँकि जब इसकी जाँच की गयी, तो पाया कि ख़बर झूठी है।
परन्तु नक़ली नोटों के ख़बरों के बाद भारतीय रिजर्व बैंक ने ग्राहकों को जागरूक करने की नक़ली नोटों की पहचान जारी है। आरबीआई ने कहा कि ऐसी ख़बरें हैं कि जालसाज़ बड़े नोटों के बजाय छोटे नक़ली नोटों को बड़ी संख्या में बाज़ार में फैला रहे हैं। भारतीय रिजर्व बैंक ने इन नक़ली नोटों की पहचान बताते हुए लोगों से सतर्कतापूर्वक नोटों के लेन-देन की सलाह दी है। नये नोटों के नक़ली नोटों की पहचान जारी करते हुए भारतीय रिजर्व बैंक ने लोगों को बताया है कि 50 रुपये से लेकर 500 रुपये के नोट तक की पहचान जारी की है। हालाँकि पुराने बड़े नोटों के चलन से बाहर होने के बाद तथा पुराने नोटों की जगह हर तरह के नये नोट आने से पुराने नोटों के नक़ली नोटों की संख्या तेज़ी से कम हुई है। परन्तु नये नोटों के नक़ली नोट बढ़े हैं।
कुछ जानकारों का कहना है कि पुराने सभी नोट धीरे-धीरे चलन से बाहर हो चुके हैं तथा जल्द ही पुराने सभी नोट चलन से बाहर हो जाएँगे, इसका कारण पुराने नोटों की छपाई का बन्द होना भी है। हालाँकि भारतीय रिजर्व बैंक ने सन् 2019 में 100 रुपये के नये नोट जारी करने के समय स्पष्ट कहा था कि 100 रुपये के पुराने नोट भी चलते रहेंगे। परन्तु जानकार मान रहे हैं कि भारतीय रिजर्व बैंक धीरे-धीरे पुराने नोट बन्द कर रहा है। यह काम बिना घोषणा के पुराने सभी तरह के नोटों की छपाई बन्द करके किया जा रहा है। कहा जा सकता है कि 2016 में घोषित नोटबन्दी तो 500 तथा 1000 के पुराने नोटों की हुई थी। परन्तु अघोषित नोटबन्दी सभी प्रकार के नोटों की हो गयी थी; क्योंकि उसी समय से सभी प्रकार के पुराने नोटों की छपाई नहीं की जा रही है।
हालाँकि भारतीय रिजर्व बैंक ने इस तरह की कोई जानकारी अथवा सूचना नहीं दी है, परन्तु बाज़ार में कम होते पुराने नोटों से इस तरह की ख़बरों को सच माना जा रहा है। जानकारों का तो यहाँ तक कहना हैं कि पुराने नोटों को जिन उद्देश्यों के लिए बन्द किया गया उनमें नक़ली नोटों को चलन से बाहर करने के सबसे बड़े उद्देश्य का कोई लाभ नहीं हुआ, क्योंकि अब नक़ली नोट अधिक चलन में हैं। जालसाज़ नक़ली नोटों को छोटे कम जानकार लोगों के बीच अधिक संख्या में खपा रहे हैं। इन्हीं नक़ली नोटों की शिकायत के लिए भारतीय रिजर्व बैंक ने एक साइट https//cms.rbi.org.in जारी की है, जिस पर कोई भी व्यक्ति नक़ली नोटों की शिकायत दर्ज कर सकता है।
ख़बरों के अनुसार, नक़ली नोटों को खपाने के लिए जालसाज़ छोटे दुकानदारों, रेहड़ी पटरी वालों तथा आम लोगों के बीच जा रहे हैं। समस्या यह है कि नक़ली नोट पूरी तरह से असली नोट की कॉपी है, जिसके चलते उसकी पहचान नहीं हो पाती। पुराने नोटों में काग़ज़, छपाई, कुछ विशिष्ट पहचान चिह्नों तथा रंग आदि से लोग नक़ली नोटों की पहचान आसानी से कर लेते थे; परन्तु नये असली नोटों का काग़ज़, छपाई, रंग आदि उतना अच्छा है ही नहीं।
इससे कई बार जानकार लोग भी नक़ली नोट की पहचान नहीं कर पाते। 2,000 के नोटों को चलन से बाहर करने की भारतीय रिजर्व बैंक की घोषणा के बाद जबसे लोग उन्हें बैंकों में जमा करने आ रहे हैं, तबसे कई ख़बरें 2,000 के नक़ली नोटों की आ चुकी हैं। जिन लोगों को नक़ली नोटों की पहचान नहीं है, वे 2,000 के नक़ली नोट ले चुके हैं। जब वे 2,000 के नोट बदलवाने के लिए बैंक पहुँचते हैं, तो वहाँ कई बार कुछ नोट नक़ली निकल आते हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि अगर 500 रुपये के नये नोटों को भी बन्द किया गया, तो नक़ली नोटों की एक बड़ी खेप चलन से बाहर होगी।
आर्थिक मामलों के जानकारों का कहना है कि नक़ली नोटों को चलन से बाहर करने के लिए भारत सरकार को पुराने नोटों से भी अच्छे काग़ज़ पर जटिल छपाई प्रक्रिया अपनाते हुए नये नोटों की छपाई करवानी चाहिए थी। परन्तु सरकार ने घाटा छिपाने तथा अपने हित साधने के लिए जल्दबाजी में घटिया काग़ज़ पर घटिया छपाई कराकर नक़ली नोटों के चलन को बढ़ावा तथा नक़ली नोट छापने वालों को अवैध धन्धे के विस्तार का अवसर दिया है। प्रश्न यह है कि क्या सरकार के पास ऐसी कोई योजना है, जिससे नक़ली नोटों को चलन से बाहर किया जा सके? परन्तु इससे पहले प्रश्न यह है कि क्या सरकार को नक़ली नोटों के चलन को लेकर कोई चिन्ता है?