आठ साल के बाद पुरुषों की हॉकी का विश्वकप एक बार फिर भारत में आयोजित किया जा रहा है। यह टूर्नामेंट 28 नवंबर 16 दिसंबर तक भुवनेश्वर में खेला जाएगा। इससे पूर्व
1982 में मुंबई और 2010 में दिल्ली में विश्वकप का आयोजन किया जा चुका है। पर भारत के मैदान अब उसके लिए भाग्यशाली नहीं रहे।
1982 में वह पांचवे और 2010 में आठवें स्थान पर रहा। मेजवानी करते हुए नीदरलैंड्स ने दो बार (1973 और 1998) यह कप जीता और यही कारनामा जर्मनी ने 2006 में किया। देखना है कि क्या भारत इस बार वह करके दिखा सकता है जो उसने 1975 में किया था।
पुरुषों के विश्व कप हाकी शुरूआत 1971 में हुई। महिला विश्व कप हाकी 1974 में शुरू हुआ। पुरुष विश्व कप के इतिहास में पांच टीमों का दबदबा नज़र आता है। पिछले 13 विश्व कप मुकाबलों में से सबसे ज्य़ादा चार पाकिस्तान ने जीते हैं। नीदरलैंड्स और आस्ट्रेलिया तीन-तीन बार यह कप अपने देश ले जा चुके है। इनके अलावा जर्मनी ने इसे दो बार जीता और भारत इसे एक बार 1975 में जीत सका। उस समय टूर्नामेंट कुआलालंपुर (मलेशिया) में खेला गया था और भारतीय टीम ने कप्तान अजीत पाल सिंह थे।
इस विश्व कप की शुरूआत पाकिस्तान के एयर मार्शल नूर खान के प्रयासों से हुई। उन्होंने इसका पूरा मसौदा पैट्रिक रॉली के द्वारा एफआईएच को भेजा। पैट्रिक ‘वल्र्ड हाकीÓ पात्रिका के संपादक थे। इस मसौदे को 26 अक्तूबर 1969 को मान्यता मिल गई। इसके बाद 12 अप्रैल 1970 को ब्रसल्स में एफआईएच की बैठक में इसे अपना लिया गया। फैसला हुआ कि पहला विश्व कप अक्तूबर 1971 में पाकिस्तान में ही खेला जाए। पर राजनीतिक कारणों से ऐसा हो नहीं सका। अंत में यह टूर्नामेंट बर्सिलोना (स्पेन) में खेला गया। 1971 में विश्वकप में 10 टीमों ने हिस्सा लिया था। 1978 में यह संख्या 14 हो गई थी। 2002 में विश्वकप में 16 टीमों ने भाग लेने की अनुमति मिल गई। इनके अलावा जो नौ और विश्व कप खेले गए उनमें 12-12 टीमों ने हिस्सा लिया।
पहले तीन टूर्नामेंट दो-दो साल के अंतराल के बाद खेले गए। 1978 का विश्व कप ऐसा था जो तीन साल के अंतराल के बाद खेला गया। विश्व कप की ट्राफी का ‘डिज़ाइनÓ 27 मार्च 1971 को पाकिस्तानी सेना के बशीर मूजिद ने तैयार किया था। इस ट्राफी की उंचाई 26 इंच (650 मिलीमीटर) और वज़न 11,560 ग्राम है। इसमें 895 ग्राम सोना लगा है।
1971 में खेले गए पहले विश्व कप में 10 टीमों ने हिस्सा लिया। इसमें कुल 30 मैच खेले गए 66 गोल हुए। इस टूर्नामेंट में भारत ने पूल ‘एÓ में अपने सभी मैच जीते। उसने फ्रांस को 1-0 से अर्जेटीना को 1-0 से केन्या को 2-0 में और पश्चिम जर्मनी को 1-0 से पराजित किया। इस प्रकार पूल स्तर पर भारत ने पांच गोल किए जब कि उसके खिलाफ कोई गोल नहीं हुआ। दूसरी ओर पाकिस्तान ने चार में से दो मैच जीते एक हारा और एक बराबर रहा। उसने आस्ट्रेलिया को 5-2 से, जापान को 1-0 से, हराया जबकि नीदरलैंड्स के साथ उसका मैच 3-3 की बराबरी पर छूटा। आखिरी मैच में वह स्पेन से 2-3 से हार गया।
इस प्रकार पूल ‘एÓ में भारत टॉप पर और पश्चिम जर्मनी दूसरे स्थान पर रहा। जबकि पूल ‘बीÓ मे स्पेन शीर्ष पर और पाकिस्तान नंबर दो पर रहा। सेमीफाइनल में पाकिस्तान ने भारत को 2-1 से हराया और स्पेन ने केन्या पर 1-0 जीत दर्ज की यह एक मात्र गोल भी अतिरिक्त समय में आया। फाइनल में पाकिस्तान ने स्पेन को 1-0 से हरा कर पहला विश्व कप जीत लिया। भारत को तीसरा स्थान मिला। उसने अतिरिक्त समय पर चले मैच में केन्या को 2-1 से परास्त किया।
दूसरा विश्वकप 1973 में एमस्टले वीन (नीदरलैंड्स) में खेला गया। इसमें 12 टीमों ने हिस्सा लिया। यहां कुल 42 मैच खेले गए और कुल 124 गोल हुए। इसमें पश्चिम जर्मनी, स्पेन-न्यूजीलैंड केन्या और जापान के साथ भारत को पूल ए मेें रखा गया था। भारत ने खेले पांच मैचों में तीन जीते और दो बराबर रख कर पूल में दूसरा स्थान पाया। पश्चिम जर्मनी पांच में चार मैच जीत और एक बराबर रख कर पूल के शीर्ष पर रहा। भारत ने पहले मैच में जापान को 5-0 से और फिर केन्या को 4-0 से परास्त किया। अगले मैच में वह न्यूज़ीलैंड के साथ 1-1 की बराबरी पर खेला और फिर उसने पिछले उप विजेता स्पेना को 2-0 से परास्त किया।
दूसरी ओर पूल बी में पाकिस्तान ने चार मैच जीत और एक ड्रा खेल कर पूल में शीर्ष स्थान पाया। मेजनान नीदरलैंड्स की टीम दूसरे स्थान पर रही। पाकिस्तान ने अपने पहले मुकाबले में मलेशिया को 4-0 से हरा कर पूरे अंक बटोरे। पाक का दूसरा मैच इंग्लैंड के साथ 2-2 से बराबर रहा। फिर उसने बेल्जियम को 2-0 से और अर्जेटीना को 6-0 से पराजित किया।
सेमीफाइनल में नीदरलैंड्स ने पश्चिम जर्मनी को अतिरिक्त समय में 4-2 से और भारत ने पाकिस्तान को 1-0 से पराजित किया। पर फाइनल मेें भारत 2-0 की बढ़त लेने के बाद और ‘सडनडेथÓ में पेनाल्टी स्ट्रोक चूकने के बाद पेनाल्टी स्ट्रोस में मेजबान नीदरलैंड्स से 2-4 से हार गया।
भारत की एक मात्र सफलता
अब तक खेले गए 13 विश्वकप मुकाबलों में भारत की एक मात्र सफलता 1975 के कुआलालांपुर (मलेशिया) में अंकित की गई। इसमें कुल 12 टीमों ने हिस्सा लिया। कुल 42 मैच खेले गए और 175 गोल हुए। यहां भारत को पूल बी में रखा गया था। उसके साथ पश्चिम जर्मनी, आस्ट्रेलिया, इंग्लैंड, अर्जेटीना और घाना की टीमें भी थी। भारत ने शुरूआत इंग्लैंड के खिलाफ 2-1 की जीत से की। भारत के लिए दोनों गोल वीजे फिलिप ने किए। भारत का दूसरा मैच आस्ट्रेलिया के साथ 1-1 से बराबरी पर छूटा। भारत ने तीसरे मिनट में ही गोबिंदा के गोल से बढ़त बना ली थी जिसे नौ मिनट बाद इरविन ने बराबर कर दिया। घाना की टीम भारत के आगे टिक नहीं पाई और भारत ने यह मुकाबला 7-0 से जीत लिया। लेकिन अर्जेटीना ने भारत की 1-2 से हरा कर सभी को हैरान कर दिया। पर भारत ने जर्मनी को 3-1 से परास्त कर इस नुकसान की भरपाई कर ली। भारत के लिए हरचरण, मोहिंदर और पवार ने गोल किए।
सेमीफाइनल में पाकिस्तान ने पश्चिम जर्मनी को 5-1 से हराया। जबकि भारत और मलेशिया का मैच अत्यंत रोमांच रहा। इस मैच में मलेशिया ने शानदार खेल दिखाया को लोके ने हाफ टाइम से तीन मिनट पहले गोल दाग कर उन्हें 1-0 की बढ़त दिला दी। भारत ने 40वें मिनट में शिवानी पवार के गोल से बराबरी हासिल कर ली (1-1)। शंबुगननाथन ने 42वें मिनट में शानदार गोल कर भारत पर संकट की काली घटाएं डाल दीं। मैच में पूरी कोशिश के बाद भी भारत गोल नहीं उतार पा रहा था। खेल खत्म होने से कोई सात-आठ मिनट पहले भारत ने असलम शेर खान को मैदान पर उतारा और 51वें मिनट में उन्होंने पेनाल्टी कार्नर को गोल में बदल कर भारत को 2-2 की बराबरी पर ला दिया। भारत के लिए विजयी गोल अतिरिक्त समय के नौवें मिनट में लैफ्ट आऊट हरचरण सिंह ने किया। इस प्रकार भारत 3-2 से विजय प्राप्त कर फाइनल में पहुंच गया।
फाइनल में भारत और पाकिस्तान आमने सामने थे। इस मैच में पाकिस्तान की शुरूआत अच्छी थी। मोहम्मद ज़ाहिद ने 17वें मिनट में एक फील्ड से पाकिस्तान को बढ़त दिला दीं(1-0) आधे समय तक पाकिस्तान इस बढ़त को बनाए रखने में सफल रहा। हाफ टाइम के बाद 44वें मिनट में सुरजीत सिंह ने पेनाल्टी कार्नर को गोल में बदल कर बराबरी हासिल कर ली (1-1)। भारत के लिए विजयी गोल हाकी के जादूगर ध्यान चंद के बेटे अशोक कुमार ने 51वें मिनट में किया। इस गोल पर काफी विवाद हुआ। पाकिस्तानी खिलाडिय़ों का कहना था कि गेंद गोल पोस्ट से टकरा कर आई है जबकि भारत का दावा था कि गेंद भीतर बोर्ड से टकरा कर लौटी है। पर अम्पायर जी विजयनाथन (मलेशिया) पाकिस्तान की गोल पोस्ट के काफी निकट थे उन्होंने बेझिझक गोल दे दिया। पाकिस्तान इस गोल को नहीं उतार सका और भारत ने विश्व कप जीत लिया।
विश्व कप में भारत की यह एक मात्र सफलता है। उसके बाद खेले गए 10 टूर्नामेंटस भारतीय टीम कभी अंतिम चार में भी नहीं पहुंची, हालांकि पाकिस्तान ने 1978 में न्यून आयर्स (अर्जेटीना) में आयोजित टूर्नामेंट के फाइनल में नीदरलैंड्स को 3-2 से हरा कर यह खिताब दूसरी बार में जीत लिया। यहां भारत को छठा स्थान मिला। 1982 के मुंबई में खेले गए विश्व कप में भारत पांचवा, 1986 के विश्व कप में भारत पूल स्तर पर ही पिछड़ गया और पांच में से तीन मैच हार और एक जीत व एक ड्रा के सहारे अपने मूल में पांचवे स्थान पर आया। उसे स्पेन ने 2-1 से, आस्ट्रेलिया ने 6-0 से, और पोलैंड ने 1-0 से हराया। पश्चिम जर्मनी के साथ वह 2-2 से बराबर खेले। भारत को एक मात्र जीत कनाडा के खिलाफ मिली जिसे उसने 2-0 से परास्त किया। उधर पाकिस्तान भी केवल एक ही मैच जीत पाया और चार हारा। उसे नीदरलैंड्स ने 2-1 से, अर्जेटीना ने 3-1 से, सोवियत यूनियन ने 2-0 से और इंग्लैंड ने 3-1 से पराजित किया। उसे एक मात्र जीत न्यूज़ीलैंड के खिलाफ मिली जिसे उसने 5-3 से मात दी। इस टूर्नामेंट की सबसे नीचे 11वें स्थान के लिए भारत और पाकिस्तान की टक्कर हुई जिस में पाकिस्तान ने अतिरिक्त समय में 3-2 से हराया। भारत को 12 टीमों में 12वें स्थान मिला। यह टूर्नामेंट आस्ट्रेलिया ने इंग्लैंड को 2-1 से हरा कर जीता।
1990 में भारत को 10वां, 1994 में पांचवां, 1998 में नौंवा, 2002 में 10वां, 2006 में 11वां, 2010 में आठवां और 2014 में नौवां स्थान ही हासिल हुआ।