आजकल परचून की दुकानों, यहाँ तक कि फुटपाथ पर भी मास्क और सैनिटाइजर की बिक्री हो रही है। क्या यह नकली सैनिटाइजर है? एक हौवा लोगों के दिमाग में कोरोना वायरस है बैठ चुका है, जो उन्हें सैनिटाइजर खरीदकर रखने और दिन में कई बार हाथों और इस्तेमाल की चीज़ों, जैसे मोबाइल, कुर्सी-मेज, यहाँ तक कि रूम आदि तक को सैनिटाइज करने को मजबूर कर रहा है। हाथों को धोने की िकल्लत से बचने का यह एक अच्छा तरीका है, जिसका प्रचार कोरोना वायरस के संक्रमण काल में सरकारों द्वारा भी खूब किया गया है। बाज़ारवाद का नियम है कि जब किसी चीज़ की माँग ज़्यादा होती है, तो वह महँगी हो जाती है। मुनाफाखोर इसमें सप्लाई कम करके मुनाफा कमाने की जुगत भिड़ाते हैं; लेकिन माल की आपूर्ति करने के लिए नक्काद सक्रिय हो जाते हैं और नकली माल बाज़ार में धड़ल्ले से उतरने लगता है। इस तरह जनता दो तरीके से ठगी जाती है, एक तो महँगी चीज़ें उसे खरीदनी पड़ती हैं और दूसरी तरफ जानकारी के अभाव में अधिकतर लोगों के हाथ नकली माल लगता है। एक रिपोर्ट के अनुसार, 2019 में पूरी दुनिया में सैनिटाइजर का बाज़ार तकरीबन एक अरब डॉलर था, जो 2020 में बढक़र लगभग छ: अरब डॉलर तक पहुँच गया है।
जून के अंतिम सप्ताह में गुरुग्राम के सेक्टर-49 में ज़िला औषधि नियंत्रक विभाग की टीम और पुलिस टीम ने छापा मारकर एक मेडिकल स्टोर से अमेरिकी कम्पनी का नकली सैनिटाइजर बरामद किया था, जो कि महँगे दामों पर बेचा जा रहा था। पुलिस और औषधि नियंत्रक विभाग ने दो लोगों को गिरफ्तार भी किया था। सूत्रों के मुताबिक, नकली सैनिटाइजर का खेल गुरुग्राम में खूब चल रहा है। पूछताछ के बाद आरोपियों की निशानदेही पर छापेमारी कर रही टीमों ने लक्ष्मण विहार में बने ठिकाने पर छापा मारकर भारी मात्रा में नकली सैनिटाइजर बरामद किया था।
क्या कहते हैं डॉक्टर
इस मामले में लोकनायक हॉस्पिटल में फोन करने पर नाम न बताने की शर्त पर एक डॉक्टर ने बमुश्किल बताया कि बाज़ार में नकली सैनिटाइजर की उन्हें जानकारी नहीं है; लेकिन अगर नकली सैनिटाइजर है, तो वह नुकसान ही करेगा; क्योंकि उसमें मेडिकल फार्मूले से अधिक कैमिकल हो सकता है।
वैंक्टेश्वर हॉस्पिटल के डॉक्टर तरुण भटनागर ने बताया कि नकली सैनिटाइजर ही क्या बहुत-सी नकली चीज़ें बाज़ार में हैं। इस पर सरकार या सम्बन्धित विभाग ही रोक लगा सकते हैं। हमारे पास जो भी मरीज़ आते हैं, उन्हें हम कम्पनी का सैनिटाइजर खरीदने का सुझाव ही देते हैं। वैसे भी कोई भी व्यक्ति जब भी सैनिटाइजर खरीदे, तो मेडिकल स्टोर पर ही जाए और लिए गये पैकेड को अच्छी तरह जाँच ले कि वह किस कम्पनी का है?
डॉक्टर मनीष कुमार का कहना है कि मास्क तो एक बार को कोई बेच भी सकता है; लेकिन सैनिटाइजर केवल वैध लाइसेंस प्राप्त मेडिकल स्टोर वालों को ही बेचने का अधिकार है। मगर इस संक्रमण-काल का फायदा उठाकर जगह-जगह सैनिटाइजर और मास्क बेचे जा रहे हैं। यहाँ तक कि नकली सैनिटाइजर पर ब्रांडेड कम्पनियों के नकली लेबल लगाकर भी सैनिटाइजर बेचा जा रहा है। इस मामले में ड्रग कंट्रोल विभाग हमेशा बेहतर काम करता है। मुझे लगता है कि नकली सैनिटाइजर की जानकारी ड्रग्स विभाग को अभी शायद नहीं होगी, अन्यथा अब तक छापेमारी शुरू हो गयी होती।
कोरोना-काल में बढ़ी विकट माँग
कोरोना वायरस फैलने के साथ-साथ जैसे-जैसे इसके घातक परिणामों के बारे में लोगों को पता चलता गया, सैनिटाइजर और मास्क की माँग बढ़ती गयी। आज अधिकतर लोग सैनिटाइजर इस्तेमाल करते दिखते हैं। जबकि पहले अस्पतालों में डॉक्टर और अन्य स्वास्थ्यकर्मी सैनिटाइजर का इस्तेमाल करते थे या बहुत हुआ तो कुछ खास जगहों पर इसका इस्तेमाल किया जाता था। लेकिन जबसे इसके उपयोग पर ज़ोर दिया गया है, इसकी माँग तेज़ी से बढ़ गयी है। शुरू में सोशल मीडिया पर कई जगह सैनिटाइजर के अनाप-शनाप दाम वसूलने और कम्पनी का लेबल लगाकर नकली सैनिटाइजर बेचने की खबरें आयीं। इनमें कुछ वीडियो तो मेडिकल स्टोर्स की ही थीं। सवाल यह उठता है कि जब मेडिकल स्टोरों पर नकली दवाओं का धन्धा ज़ोरों से चलता है, तो सैनिटाइजर भी नकली बेचे जाने की बात से कौन इन्कार कर सकता है?
त्वचा के लिए नुकसानदायक
डॉ. मनीष कुमार ने बताया कि उनके पास सभी रोगों से पीडि़त मरीज़ आते हैं। पिछले महीने एक बुजुर्ग महिला उनके पास इलाज के लिए आयी, उसके हाथ जख्मी थे। पूछने महिला ने बताया कि उसके हाथ अपने आप जख्मी होने शुरू हो गये। जब यह पूछा गया कि आप हाथ किस चीज़ से धोती हैं, तो बुज़ुर्ग महिला ने बताया कि हाथ तो वह नहाने वाले साबुन से ही धोती है। उससे पूछा गया कि और किस चीज़ का इस्तेमाल करती हैं, हाथों का साफ रखने के लिए? तब उसने बताया कि बाज़ार से सैनिटाइजर खरीदकर लायी थी और उसी को दो-तीन बार बाहर आने-जाने के दौरान हाथों पर लगाती है। ऐसे में यह बात सामने आती है कि अधिक कैमिकल वाला सैनिटाइजर उन्हें नुकसान कर गया, जो कि नकली हो सकता है। क्योंकि हर किसी की त्वचा हर कैमिकल को बर्दाश्त करने की क्षमता नहीं रखती। इसलिए किसी को भी किसी अच्छी कम्पनी का सैनिटाइजर ही इस्तेमाल करना चाहिए। चर्म रोग विशेषज्ञ डॉक्टर वी. कुमार कहते हैं कि हर प्रकार का कैमिकल सेहत के लिए नुकसानदायक ही होता है। त्वचा पर कोई भी कैमिकल अधिक समय के लिए रहेगा, तो वह नुकसान करेगा। इसलिए सैनिटाइजर को अल्कोहल की अधिक मात्रा के सहारे बनाया जाता है। घटिया क्वालिटी का सैनिटाइजर त्वचा के लिए ज़्यादा घातक हो सकता है। ऐसे लोगों को सैनिटाइजर और भी इस्तेमाल नहीं करना चाहिए, जिन्हें चर्म रोग हो या जिनको सैनिटाइजर लगाने या कैमिकल का इस्तेमाल करने से खुजली या अन्य कोई समस्या होती है। ऐसे लोगों को डॉक्टर की सलाह से ही सैनिटाइजर खरीदना चाहिए।
मनमाने दाम और दामों में अन्तर
सबसे बड़ी बात यह है कि सैनिटाइजर के दाम पर कोई नियंत्रण नहीं है। जबकि सरकार द्वारा यह चेतावनी जारी की जा चुकी है कि मास्क और सैनिटाइजर के अनाप-शनाप दाम नहीं वसूले जाने चाहिए। इसके बावजूद मास्क और सैनिटाइजर की कालाबाज़ारी जमकर हो रही है और इन दोनों चीज़ों के मनमाने दाम वसूले जा रहे हैं। वहीं एक ही कम्पनी के नाम पर बिक रहे सैनिटाइजर के दामों में अन्तर देखने को भी बाज़ार में मिल रहा है। अहमदाबाद के विक्रम मेडिकल स्टोर चलाने वाले विक्रम भाई ने बताया कि बाज़ार में नकली सैनिटाइजर की उड़ती-उड़ती खबरें वह भी सुनते रहते हैं। यही वजह है कि वह अच्छी कम्पनियों का ही सैनिटाइजर बेचते हैं। क्योंकि वह किसी की सेहत से खिलवाड़ नहीं कर सकते। उनका कहना है कि ज़्यादा पैसा वसूलना और किसी की सेहत से खिलवाड़ करना उनके उसूलों के खिलाफ है। उनका कहना है कि पता नहीं आदमी कितनी मुश्किल से पैसा कमाकर दवा खरीदता है? हम उसे ठीक होने में मदद करने की जगह और बीमार कर दें, तो यह तो हम पर पाप ही होगा न! वैसे भी गलत तरीके से ज़्यादा पैसा कमाकर कहाँ ले जाएँगे, सब यहीं तो रह जाना है। दिल्ली स्थित शर्मा मेडिकल स्टोर के मालिक ने कहा कि वह इस बारे में कुछ नहीं जानते। वह सिर्फ कम्पनी की दवाइयाँ और अन्य चिकित्सीय चीज़ें बेचते हैं।
अप्रूव्ड होना चाहिए सैनिटाइजर
डॉक्टरों की मानें और असली दवाओं के मानक देखें, तो उनका सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोलर ऑर्गेनाइजेशन (सीडीएससीओ) अप्रूव्ड (स्वीकृत) होना ज़रूरी है। लोगों को सैनिटाइजर खरीदते समय भी एफडीए की स्वीकृति को देख लेना चाहिए। साथ ही इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि सैनिटाइजर में कम-से-कम 60 फीसदी अल्कोहल की मात्रा होनी चाहिए। इसके अलावा सैनिटाइजर लेते समय उसे बनाने के फार्मूले (सूत्र / नुस्खा) को ध्यान से पढ़ लेना चाहिए। यह भी देख लेना चाहिए कि सरकार द्वारा जारी सभी नियमों का पालन सैनिटाइजर बनाने वाली कम्पनी ने किया है या नहीं?
परेशानी होने पर जाएँ डॉक्टर के पास
चर्म रोग विशेषज्ञ डॉक्टर वी. कुमार कहते हैं कि यह समय ऐसा है कि अधिकतर लोग या तो सैनिटाइजर का इस्तेमाल कर रहे हैं या फिर हाथ धोने में बार-बार साबुन का। इसलिए बहुत-से लोगों को त्वचा के रोग, जैसे खुजली, जलन, त्वचा का गिरना, जख्म आदि की समस्या हो सकती है। अगर किसी को ऐसी कोई परेशानी हो, तो उसे तुरन्त डॉक्टर के पास जाना चाहिए। क्योंकि त्वचा के रोगों में ज़रा-सी लापरवाही बड़ी बीमारी का कारण बन सकती है।