1 तोकापाल था और देवभोग के जंगल
केशकाल घाटी जो कांकेर पार आती थी
अम्बिकापुर से सूरजपुर जाओ या उदयपुर
सुकमा जाते हुए चित्रकोट का पानीदेख लो
दंतेवाड़ा या जगदलपुर के जंगलों से जाओ
हर जगह इतना हरा था कि धूल नही थी
2 मुस्काती थी औरतें गरियाबंद के पास बने
खूब ऊंचे शिवलिंग पर ठहाका लगाते हुए
शाम से ही धुएँ की अजीब महक उठती थी
जो अभनपुर तक चली आती साथ साथ
पंडरिया के तेलियापानी में एक बैगा उतरता
पहाड़ से नमक लाने नीचे तो जंगल काँपता
3 पहाड़ी कोरबाओं, मडिया, गौंड, कोरकू
बच्चों के अधनंगे जिस्म याद आते है
मुस्काती तरुणियों की पुकार चीख बन गई
भिलाई का लोहा या रायगढ़ का कारखाना
सुनता ही नही पेट का आर्तनाद, खामोश है
4 जंगल की हवा में अब जहर घुल गया है
पगडंडियाँ चौड़ी हो गई है और पक्की भी
चिडिय़ाएँ अब चहचहाती नही कही अब
मुर्गा लड़ाई , करहल की भाजी नही हाट में
महुआ, चार, आँवला, बर्र, हड़ला, पीहरी
आपने नाम सुना है एक हजार पेड़ों का
5 नही सुनाई देते मांदल के थाप और गीत
घोटुल में बंधी गाय देखने चाँद नही आता
रमुआ कहता है जीवन खत्म हो गया है
धान की खेती में खून देकर सिंचित कर रहें
पंचायत नही, स्कूल नही सब खून में बह गये
6 आमली रायपुर में पंडरी मॉल के सामने खुश
रोती नही
कहती है अच्छा हुआ छह कड़ले जवानों ने जवान बना दिया कच्ची उम्र में
अब यहां धंधा ठीक है
घड़ी चौराहे पर खड़े हो जाओ तो गिराहिक पट जाते है जल्दी
7 रोज दस बारह गांव के लोगों के मरने की खबर आती है
भोपाल में राकेश दीवान, दुनिया में पीवी राजगोपाल
कांकेर में गोपीनाथ जैविक खेती और जल जंगल जमीन के किस्से सुनाते है
अनपढ़ आदिवासी टुकुर टुकुर देख – सुनकर गुड़ाखू दबाए रात गुजार देते है
8 चन्द्रहास बेहार, आलोक शुक्ला रिटायर्ड
शरद बेहार भोपाल कम बैंगलोर में ज्यादा और बिलासपुर तो बहुत कम पाए जाते है
जिझौतिया ब्राह्मण की पीढ़ी
कैसी हो गई, यह भी धान समझाता है
अफसर पाला बदलने के उस्ताद है और डोमा रोता है गिरगिटों की तरह
रमणीय दृश्य वही है पर्यटकों को पुकारता हुआ
जंगल अब व्यापार है फूल नही खिलते यहाँ
9 राहुल पण्डिता, नंदिनी सुंदरम आती नही
कमल शुक्ला, तामेश्वर को बन्द करना आसान है
विनायक नही, इलीना नही
बेला भाटिया नियोगी को याद कर अब भी लड़ती है
बदलाव के लिए हजार साल लगेंगे
यह कहकर दो औरतें चार करोड़ निगल लेती है
रायपुर में और अफ्रीका जाकर संडास हो आती है
10 आप बाहर रहकर नही समझेंगे भूगोल
यहां का समाज और अर्थ शास्त्र अडानी है
जिंदल, अम्बाराम और गंगाराम है जो खुद इनमे शामिल है कुचक्र को ढोता हुआ
दिल्ली, पूना, बेंगलोर, नाशिक सीमा में है
गोलियों की आवाज का असली नाम छत्तीसगढ़ है
भोरमदेव स्वार्थी देव बन गए है कबीरधाम में