जब से भारत सरकार ने ऑनलाइन ट्रांजेक्शन को बढ़ावा दिया है, अधिकतर लोग ऑनलाइन लेन-देन करने लगे हैं। दरअसल, सरकार ने ऑनलाइन ट्रांजक्शन को बढ़ावा यह सोचकर दिया था, ताकि बाज़ारों में नकद लेन-देन कम हो सके, जिससे काला धन इकट्ठा करने वालों पर रोक के साथ-साथ कर प्रक्रिया स्पष्ट हो सके और कर चोरी करने वालों पर लगाम कसी जा सके। लेकिन कहते हैं कि जब कोई कानून बनता है, तो भारत में उस कानून को तोडऩे की योजनाएँ पहले बन जाती हैं। यही हाल ऑनलाइन ट्रांजेक्शन बढऩे के बाद भी हुआ है। जबसे ऑनलाइन ट्रांजेक्शन का चलन बढ़ा है, बैंक खातों की सुरक्षा भी खतरे में पड़ी है। इस बात को लेकर भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) से लेकर अन्य सभी बैंक चिन्तित रहे हैं और बैंक खाता धारकों की सुरक्षा के लिए अनेक सुरक्षित नियम बनाने के साथ-साथ समय-समय पर सूचनाएँ और चेतावनियाँ जारी करते रहे हैं।
हाल ही में पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) ने अपने ग्राहकों को चेतावनी दी है कि वे अनावश्यक एप से अपने बैंक खाते को लिंक न करें, अन्यथा उनके खाते में सेंध लग सकती है। यह पहली बार नहीं है, जब किसी बैंक ने अपने ग्राहकों को चेताया है। इससे पहले स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) और अन्य कई बैंक भी अपने-अपने ग्राहकों को चेता चुके हैं। यहाँ तक कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) भी समय-समय पर ऐसे मामलों में अलर्ट जारी करता रहता है। यह अलग बात है कि बैंकों के आम खाता धारकों को बहुत कुछ पता नहीं होता। आरबीआई की गाइडलाइन में तो यहाँ तक कहा जाता है कि किसी भी व्यक्ति या कम्पनी को अपने खाते अथवा अपने डेबिड/क्रेडिट कार्ड से सम्बन्धित गोपनीय जानकारी, जैसे कि खाता नम्बर, खाते की आन्तरिक जानकारी, ब्लैंक और अनक्रास्ड चेक, डेबिट/क्रेडिट कार्ड नम्बर, सीवीवी नम्बर, एटीएम पिन आदि की जानकारी न दें। पीएनबी ने कुछ दिन पहले ही अपने ग्राहकों को एक ट्वीट करके सलाह दी है कि बैंक कभी भी फोन पर आपसे पर्सनल या बैंकिंग डिटेल्स, जैसे- बैंक खाता नम्बर, आधार नम्बर, जन्मतिथि, डेबिट/क्रेडिट कार्ड की जानकारी, यूपीआई भुगतान की जानकारी, किसी तरह के भुगतान की जानकारी, ईमेल पता, बैंक से लिंक मोबाइल नम्बर इत्यादि नहीं माँगता है। बता दें कि आप किसी भी बैंक के खाता धारक हों, हर बैंक इसी तरह तब-तब सचेत करता रहता है, जब-जब आप उसके ग्राहक सेवा केंद्र यानी कस्टमर केयर नम्बर पर सम्पर्क करते हैं। फिर भी हम देखते हैं कि अनेक लोग आये दिन हैकर्स का बड़ी आसानी से शिकार हो जाते हैं और उनके खाते से पैसा उड़ा लिया जाता है।
पीएनबी की चेतावनी
पीएनबी ने हाल ही में जारी की अपनी चेतावनी में ग्राहकों से कहा है कि वे (ग्राहक) सोशल मीडिया पर अपनी बैंक की जानकारी किसी के साथ साझा न करें। ग्राहकों की समस्याएँ जल्द से जल्द हल हो सकें और उन्हें बैंक तक अपनी बात पहुँचाने में परेशानी न हो, इसके लिए बैंक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स का इस्तेमाल कर रहा है। बैंक ने चैतावनी दी है कि कुछ ग्राहक, जो इस सुविधा के ज़रिये जालसाजों को बुलावा दे रहे हैं, नासमझी न करें, अन्यथा उनके खाते में सेंध लग सकती है।
कौन से एप्स न करें डाउनलोड?
इस चेतावनी में पीएनबी ने कुछ एप्स के नाम भी बताये हैं, जिन्हें डाउनलोड करना या उनका इस्तेमाल करना खतरे से खाली नहीं है। इन एप्स में एनीडेस्क, क्विकसपोर्ट, वीएनसी, अल्ट्रावीएनसी, टीम वीवर, एम्मी, सीस्क्रीन, बीएनीव्हेयर, लॉगमीनशामिल हैं। बैंक ने चेतावनी दी है कि भूल से भी बैंक खाता धारक इन एप्स को मोबाइल में न तो डाउनलोड करें और न ही इन एप्स का इस्तेमाल करें। बैंक ने कहा है ऑनलाइन पेमेंट के दौर में मोबाइल वॉलेट एप्स काफी ज्यादा यूज हो रहे हैं; लेकिन इनके उपयोग के दौरान खतरा भी उतना ही रहता है। इसी खतरे को देखते हुए ग्राहक हित में रिजर्व बैंक समय-समय पर चेतावनी जारी करता रहता है। ऐसे ही एक एप को लेकर रिजर्व बैंक ने चेतावनी जारी की है, जिसमें बैंक ने कहा है कि एनीडेस्क का उपयोग करना ग्राहकों को भारी पड़ सकता है।
आरबीआई सभी बैंकों को कर चुका है सचेत
हाल ही में आरबीआई ने सभी बैंकों को एक चेतावनी जारी की थी। इस चेतावनी में कहा गया है कि यूपीआई यानी यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस में फर्ज़ी लेन-देन बढ़ रहा है, इससे बचने के लिए वे अपने ग्राहकों को बताएँ कि वे फर्ज़ी एप्स न तो डाउनलोड करें और न ही उनके ज़रिये कोई लेन-देन करें। आरबीआई ने कहा है कि एक मोबाइल एप एनीडेस्क का इस्तेमाल ग्राहकों के खातों में सेंध लगाने के लिए किया जा रहा है। इसके अलावा आरबीआई ने यह भी कहा है कि बैंक ग्राहकों को बताएँ कि वे किसी भी सुझाये गये एप को इंस्टॉल नहीं करें, ताकि उनका खाता सुरक्षित रह सके।
किसी को न बताएँ ओटीपी
अक्सर हम देखते हैं कि जब हम अपने बैंक खाते अथवा किसी कार्ड के ज़रिये कोई ऑनलाइन भुगतान करते हैं, तो हमें बैंक की ओर से एक वन टाइम पासवर्ड यानी ओटीपी नम्बर आता है, जो कि बेहद गोपनीय होता है। कई बार देखा गया है कि जब हमें किसी दूर बैठे व्यक्ति को अपने डेबिट/क्रेडिट कार्ड से कोई भुगतान करना होता है, तो हम उसे अपना कार्ड नम्बर, कार्ड की एक्सपायरी डेट, कार्ड पर पड़ा अपना नाम और यहाँ तक कि सीवीवी नम्बर भी बता देते हैं। वैसे तो यह जानकारी भी किसी को भी नहीं देनी चाहिए, चाहे वह कितना भी करीबी दोस्त या जानने वाला क्यों न हो। …और ओटीपी नम्बर तो किसी भी कीमत पर किसी से शेयर नहीं करना चाहिए।
क्यों किसी को न दें ओटीपी नम्बर?
जब इस बारे में पड़ताल की तो नाम न बताने की शर्त पर रेलवे टिकट कराने वाले एक एजेंट (दलाल) ने बताया कि उसके पास अनेक ऐसे लोग टिकट कराने आते हैं, जो अपने डेबिट/क्रेडिट कार्ड से टिकट कराने की विनती करते हैं। ऐसे में जब हम उनका टिकट करते हैं, तो हमें उनके डेबिट/क्रेडिट कार्ड का नम्बर, एक्सपायरी डेट, सीवीवी नम्बर आदि की जानकारी लेनी पड़ती है। जब हम ग्राहक के डेबिट/क्रेडिट कार्ड से भुगतान की सारी प्रक्रियाएँ पूरी कर लेते हैं, तब उसके मोबाइल पर एक ओटीपी आता है, जिसे ग्राहक को न चाहते हुए भी हमें बताना ही होता है। एजेंट ने बताया कि इस नम्बर के बाद यदि वह चाहे, तो किसी के बैंक अकाउंट अथवा क्रेडिट कार्ड से पैसा निकाल सकता है; लेकिन वह बहुत ईमानदारी से अपना काम करता है, इसलिए वह किसी के साथ चीटिंग नहीं करता। अन्यथा वह चाहे तो अगली बार बिना ग्राहक को सूचना मिले उसके बैंक अकाउंट या क्रेडिट कार्ड से पैसा निकाल सकता है। जब उससे यह पूछा गया कि एक बार ओटीपी नम्बर देने से अगली बार आप पैसा कैसे निकाल सकते हैं। तब एजेंट ने बताया कि एक बार ओटीपी मिलने पर वह ऐसा कुछ कर सकता है, जिससे जब अगली बार वह उस ग्राहक के डेबिट/क्रेडिट कार्ड से भुगतान लेगा, तो ओटीपी उसके मोबाइल पर न जाकर हम जिस मोबाइल नम्बर पर चाहेंगे, उस पर ही पहुँचेगा और जैसे ही हमें ओटीपी नम्बर मिलेगा, हम पैसा निकाल सकते हैं। क्योंकि बाकी जानकारी हमारे पास ग्राहक द्वारा आ ही चुकी होती है। जब उस एजेंट से पूछा कि पैसा निकालने का अलर्ट तो ग्राहक को मिलता ही है, तब पता चल जाएगा कि उसके डेबिट/क्रेडिट कार्ड से कहाँ, किस समय किसने भुगतान लिया है। तब उसने बताया कि भुगतान कटने का मैसेज (संदेश) भी ग्राहक तक नहीं जाएगा। ग्राहक को तभी पता चलेगा, जब वह बैंक से अपना बैलेंस (शेष राशि) पूछेगा अथवा बैंक उससे अपना भुगतान वापस माँगेगा।
यह चौंकाने वाली बात है कि ज़रा सी असावधानी आपको बर्बाद कर सकती है।
आपका बड़ा दुश्मन है एंड्रायड फोन
आजकल अधिकतर लोग एंड्रायड फोन का इस्तेमाल करते हैं। सॉफ्टवेयर इंजीनियर पवन बताते हैं कि लगभग 90 प्रतिशत लोग एंड्रायड फोन का सही इस्तेमाल नहीं कर पाते। ऐसे में वे कई बार ऐसी गलतियाँ कर बैठते हैं, जो उन्हें भारी पड़ जाती हैं। क्योंकि एंड्रायड फोन में कई एप्स खुद-ब-खुद होते हैं और कुछ एप्स स्वत: डाउनलोड हो जाते हैं या वे ऐसी स्थिति में ग्राहक के सामने आते हैं कि वह चाहे-अनचाहे या जाने-अनजाने उन्हें क्लिक कर लेता है। बस इन एप्स को क्लिक करना लोगों को भारी भी पड़ सकता है। दूसरी बात यह है कि आजकल तकरीबन हर आदमी कोई-न-कोई सोशल साइट्स का इस्तेमाल करता ही करता है। ऐसे में उसकी बहुत-सी जानकारियाँ स्वत: ही सार्वजनिक हो जाती हैं, जिससे उसकी गोपनीय जानकारियों में सेंध लग ही जाती है। ऐसे में सचेत रहना ही बचाव का सबसे बड़ा उपाय है। पवन कहते हैं कि अगर आप एंड्रायड फोन का सही इस्तेमाल जानते हैं, तो आपको कोई खतरा नहीं है।
ऑनलाइन भुगतान से कई लोगों को लग चुका है चूना
आजकल बहुत से लोग पेटीएम, भीम एप, गूगल पे, यूपीआई, एनईएफटी जैसे कई विश्वसनीय माध्यम से लेन-देन करते हैं। ये तरीके काफी सुरक्षित हैं, लेकिन फिर भी कई बार अनेक लोगों को चूना लग चुका है। बैंक खातों में सेंध लगने की खबरें हम आये दिन सूचना के माध्यमों से पढ़ते-सुनते रहते हैं। हाल ही में एक महिला ग्राहक के साथ ऐसा ही हुआ, उसने एक दुकान से 150 रुपये का सामान खरीदा और जैसे ही पेटीएम किया, उसके खाते से 15 हज़ार रुपये उड़ गये। हालाँकि, बाद में उसे उसके बाकी पैसे वापस मिल गये; लेकिन अनेक बार ऐसा भी हुआ है, जब ग्राहक को उसका पैसा वापस ही नहीं मिला है।
सेंध लगने पर लें पुलिस की मदद
वैसे तो जब आपके बैंक अकाउंट अथवा डेबिट/क्रेडिट कार्ड के ज़रिये आपको सेंध लगा देता है, तो आप बैंक में सम्पर्क करके सहायता माँगते हैं। लेकिन ऐसा होने पर आपको पुलिस की भी मदद लेनी चाहिए, ताकि सेंध लगाने वाले अपराधियों को पुलिस गिरफ्तार कर सके। इसके लिए आप पुलिस को 100 नम्बर पर तत्काल कॉल कर सकते हैं। नज़दीकी पुलिस स्टेशन में शिकायत दे सकते हैं। लेकिन एक एप भी है, जो आपको पुलिस की मदद मुहैया कराता है। इस एप का नाम है- इंडियन पुलिस ऑन कॉल एप। यह एप नज़दीकी पुलिस थाने को ढूँढने में आपकी मदद करता है। इस एप में पुलिस थाने की आपसे दूरी, उसका रूट आदि की जानकारी बड़ी आसानी से मिलती है। इसके अलावा ज़िले के कंट्रोल रूम की संख्या और एसपी कार्यालयों से सम्पर्क के माध्यम भी इस एप पर मिलते हैं।