बिशप फ्रांको मुलाक्कल के खिलाफ गली-गली में नन जलूस निकाल रही हैं कि कौन कथित बलात्कारी को बचा रहा है। काफी पहले यानी 28 जून को जलंधर के कैथोलिक बिशप के खिलाफ एक एफआईआर दर्ज हुई थी। जब मिशनरीज ऑफ जीसस की एक नन ने उस बिशप पर आरोप लगाया था कि बिशप ने उसके साथ 2014 से 2016 तक तेरह बार बलात्कार किया।
अभी हाल में वेटिकन के भारतीय प्रतिनिधि को भेजे गए पत्र में नन ने लिखा है कि बिशप अब अपना सारा पैसा और ताकत लगा कर इस मामले को खत्म करने में जुटे हैं। वे इन आरोपों से बचने में यह सब खर्च कर रहे हैं। दुखद यह है कि 80 दिन बाद भी आरोपी गिरफ्तार नहीं किया जा सका है और अब 19 सितंबर को उसे केरल में पुलिस के सामने बुलाया जा सकता है।
बलात्कार की शिकार नन का आरोप है कि उसे दिल्ली के आर्क बिशप अनिल कोटो और जार्ज एलेनकेरी जो कोच्चि में सीरियो मला बार चर्च के अध्यक्ष हैं उनको भी शिकायत की लेकिन कुछ नहीं हुआ। दरअसल बिशप मुलाक्कल पीडि़ता पर लांछन लगाते रहे और राष्ट्रीय टीवी चैनेल और अखबारों में यह दावा करते रहे कि उनके खिलाफ बलात्कार की शिकायत सिर्फ बदला लेने की भावना के चलते है। वे बलात्कार की शिकार महिला के खिलाफ आरोप लगाते रहे और उसकी इज्जत को मटियामेट करते रहे।
सून्जार के एक बड़बोले विधायक पीसी जार्ज ने तो नन को ‘वेश्या’ कहा जिसने ’12 बार तो आनंद लिया और तेरहवीं बार उसे बलात्कार’ बताया। कानून बनाने वाले विधायक ने यह तक कहा कि ‘यदि यह बलात्कार था तो उसने पहली ही बार शिकायत क्यों नहीं दर्ज कराई?’
मिशनरीज ऑफ जीसस कांग्रिगेंशन ने भी नन का समर्थन करने की बजाए बिशप का समर्थन किया और आरोप लगाया कि उस नन के एक स्थानीय टैक्सी ड्राइवर और एक संबंधी के पति से भी आपत्तिजनक संबंध थे। उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि नन बिशप मुलाक्कल के साथ एक आयोजन में भी शामिल हुई।
बलात्कार की यह शिकायत सिर्फ एक नन की नहीं बल्कि चार और नन की भी है जो उसके समर्थन में आ खड़ी हुई हैं और केरल में चल रहे विरोध प्रदर्शन में शामिल हुई। जहां एक नन ने आरोप लगाया कि बिशप ने उसके साथ तेरह बार बलात्कार किया है। वहीं दूसरी नन ने कहा कि बिशप ने उसके साथ छेड़छाड़ की।
तीसरी नन ने कहा कि बिशप ने अपने पद का दुरूपयोग किया जबकि चौथी नन ने आरोप लगाया कि बिशप ने उसे जबरन आलिंगन में लिया। पांचवीं नन ने कार्डिनाल को इस बिशप के बारे में लिखा भी। आज चर्च विश्वसनीयता के दौर से गुजर रहा है। यह एक स्पष्ट मामला है जहां नन का अपना ही संस्थान उसे बदनाम कर रहा है। मान भी लें कि यदि बिशप बेगुनाह है तो वह क्यों नहीं इस्तीफा देता और जांच में सहयोग करता।
क्या बिशप कानून से ऊपर है? हम पुलिस की बात न भी करें, तो चर्च ने भी कोई कार्रवाई करने से इंकार कर दिया है। इससे जाहिर है कि इसने अपनी विश्वसनीयता को अपवाद के दायरे में डाल दिया है। इसे इस विवाद में खरा उतरना ही होगा। यदि ऐसा नहीं हुआ तो लोगों का भरोसा धार्मिक संस्थाओं पर से उठ जाएगा। सच्चाई का यही मौका है कैथोलिक चर्च के सामने।