भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के साथ मिलकर भारत बायोटेक की स्वदेशी रूप से विकसित ‘कोवैक्सीन’ को रविवार को ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) ने आपात इस्तेमाल के लिए मंजूरी प्रदान कर दी है। सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की वैक्सीन ‘कोविशील्ड’ को एक्सपर्ट कमेटी ने शुक्रवार को हरी झंडी दे दी थी। डीसीजीआई ने आज कहा कि दोनों कंपनियों ने ट्रायल रन के आंकड़े जमा कर दिए हैं और दोनों को ‘सीमित उपयोग’ की मंजूरी दी गयी है।
एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) बीजी सोमानी ने कहा कि सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया और भारत बायोटेक को इसके ‘सीमित उपयोग’ की मंजूरी दी गयी है। प्रेस कांफ्रेंस में सोमानी ने कहा – ‘यदि सुरक्षा संबंधी थोड़ी आशंका भी होगी हम किसी भी चीज की अनुमति नहीं देंगे। हम कह सकते हैं कि दोनों वैक्सीन 100 प्रतिशत सुरक्षित हैं।’
इस तरह भारत में कोरोना वायरस वैक्सीन को लेकर लंबा इंतजार ख़त्म हो गया है। डीसीजीआई ने कहा है कि कोविशील्ड और कोवैक्सीन पूरी तरह से सुरक्षित हैं। टीकाकरण के दौरान इन वैक्सीन की 2-2 डोज दी जाएंगी। उन्होंने इसके साथ ही जायडस कैडिला की वैक्सीन ‘जाइकोव-डी’ को तीसरे चरण के क्लिनिकल ट्रायल के लिए मंजूरी देने की जानकारी भी दी है।
भारत बायोटेक की कोवैक्सीन को ‘क्लिनिकल ट्रायल मोड’ में इमरजेंसी हालात में बहुत सावधानी के साथ इस्तेमाल की मंजूरी मिली है। इसका अर्थ ये वैक्सीन लगाते वक्त वही सारे प्रोटोकॉल फॉलो होंगे जो क्लीनिकल ट्रायल करते वक्त होते हैं। इसमें ‘वैक्सीन देने के पैमाने और न देने के पैमाने’ तय हैं। जैसे यदि किसी व्यक्ति को कोरोना हो चुका है तो उसको यह वैक्सीन नहीं दी जा सकती है।
कोविड-19 वैक्सीन को मंजूरी मिलने के बाद पीएम मोदी ने देश को बधाई देते हुए कहा कि सीरम इंस्टीटयूट और भारत बायोटेक की वैक्सीन को की मंजूरी मिलने के बाद कोरोना मुक्त राष्ट्र होने का रास्ता साफ हो गया है। बता दें कि वैक्सीन की सिफारिश के लिए बनाई गई सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमेटी ने शनिवार को भारत बायोटेक के कोविड टीके कोवैक्सीन को कुछ शर्तों के साथ आपात इस्तेमाल के लिए मंजूरी देने की सिफारिश की थी।
सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की वैक्सीन कोविशील्ड को एक्सपर्ट कमेटी ने शुक्रवार को हरी झंडी दे दी थी। कमेटी ने एक और दो जनवरी को बैठक की और भारत के औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) को मंजूरी पर विचार करने और इस पर अंतिम निर्णय के लिए सिफारिशें भेजी थीं। याद रहे कोवैक्सीन को भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के साथ मिलकर भारत बायोटेक ने स्वदेशी रूप से विकसित किया है। पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने ऑक्सफोर्ड की कोरोना वैक्सीन के उत्पादन के लिए एस्ट्रेजेनेका के साथ करार किया है।