चीन की भारत के प्रमुख लोगों की जासूसी करने के खुलासे से देश में हंगामा मच गया है। इस खुलासे के अनुसार चीन ने हाल के समय में भारत के प्रमुख लोगों, जिनमें राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, पीएम मोदी, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, गांधी परिवार, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, पूर्व पीएम मनमोहन सिंह, प्रधान न्यायाधीश बोबडे, ममता बनर्जी और गहलोत जैसे मुख्यमंत्री, ब्यूरोक्रेट्स, पत्रकार, बिजनेसमैन आदि शामिल हैं। इस खुलासे के बाद संवेदनशील जानकारियों को लेकर कई सवाल खड़े हो गए हैं।
इस जासूसी का भंडाफोड़ अंग्रेजी अखबार ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ ने किया है। एक्सप्रेस ने अपनी लीड स्टोरी में बताया है कि चीनी सरकार और चीनी कम्युनिस्ट पार्टी से जुड़ी टेक्नॉलजी कंपनी के जरिए चीन 10 हजार से ज्यादा हस्तियों और संगठनों की जासूसी करवा रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक ‘हाइब्रिड वारफेयर’ के नाम से जेनहुआ डेटा इन्फॉर्मेशन टेक्नॉलजी कंपनी यह काम कर रही है।
सीमा पर चीन के साथ तनाव के बीच यह बड़ी चौंकाने वाली खबर है। रिपोर्ट के मुताबिक चीन जिन लोगों की जासूसी करवा रहा है उनमें सत्ता पक्ष और विपक्ष के कई बड़े नेता, कई राज्यों के मुख्यमंत्री, सांसद, विधायको, खिलाड़ी, पत्रकार और संगठन शामिल हैं।
एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक जासूसी के दायरे में जिन प्रमुख लोगों को रखा गया है उनमें राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, पूरा गांधी परिवार और उसके सदस्य, बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत, पंजाब के अमरिंदर सिंह, महाराष्ट्र के उद्धव ठाकरे, ओडिशा के नवीन पटनायक, एमपी के शिवराज सिंह चौहान, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ बिपिन रावत, सेना के कम से कम 15 पूर्व प्रमुख, कई केंद्रीय मंत्री, प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे, सीएजी जीसी मूर्मू, स्टार्टअप टेक उद्यमी जैसे भारत पे के संस्थापक निपुण मेहरा, ऑथब्रिज के अजय तेहरान, देश के बड़े उद्यमी रतन टाटा और गौतम अडाणी और कई पत्रकार भी शामिल हैं।
इसके अलावा चीन देश के कई अहम क्षेत्रों की हस्तियों और संस्थाओं, अहम पदों पर बैठे नौकरशाह, जज, वैज्ञानिक, विद्वान, पत्रकार, अभिनेता, खिलाड़ी, धार्मिक हस्ती, कार्यकर्ता की भी जासूसी करवा रहा है। यहाँ तक कि आर्थिक अपराध, भ्रष्टाचार, आतंकवाद, ड्रग्स तस्करी, सोना, हथियार या वन्यजीव तस्करी के सैकड़ों आरोपियों का भी पूरा डेटाबेस चीन ने जुटाया है। इस बीच जेनहुआ ने चाइनीज इंटेलिजेंस, सेना और सिक्यॉरिटी एजेंसियों के साथ काम करने की बात कबूली है।
एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक उसने बिग डेटा टूल्स के जरिए दो महीने से अधिक समय तक जेनहुआ ऑपरेशंस के मेटा डेटा की जांच की और विशाल लॉग फाइल्स से जासूसी की जद में आए भारतीयों के नाम हासिल किए। कंपनी इसे ओवरसीज की इन्फॉर्मेशन डेटाबेस नाम दिया है। इसमें अमेरिका, ब्रिटेन, जापान, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, जर्मनी, यूनाइटेड अरब अमीरात का डेटा भी है।
अखबार के मुताबिक इसे शोधकर्ताओं के एक नेटवर्क के जरिए कंपनी से जुड़े एक सूत्र से हासिल किया गया, जोकि दक्षिण-पूर्व चीन के गुआनदोंग प्रांत में है। जोखिम और खतरे की वजह से सूत्र ने नाम गोपनीय रखने को कहा है। सूत्र ने वियतनाम के एक प्रफेसर के जरिए ऑस्ट्रेलिया, इटली, और लंदन के अखबारों को भी जानकारी मुहैया कराई है। चीन का मकसद इस जासूसी के जरिये हाइब्रिड वॉर के लिए डाटा जुटाना है। इसके जरिए वह असैन्य तरीकों से अपना प्रभुत्व जमाना चाहता है और दूसरे देशों को नुकसान पहुंचाना चाहता है। कंपनी ने खुद इसे ‘इन्फॉर्मेशन पलूशन, परसेप्शन मैनेजमेंट एंड प्रोपेगैंडा’ नाम दिया है। अखबार ने रिपोर्ट में कहा है कि जब उसने पहली सितंबर को मेल पर कई सवाल पूछे, तो उनका जवाब तो नहीं दिया गया, बल्कि 9 सितंबर को उसने वेबसाइट ही बंद कर दी। कंपनी अप्रैल 2018 में पंजीकृत हुई थी और उसके अलग-अलग देशों और क्षेत्रों में 20 प्रोसेसिंग सेंटर हैं। उसने चीनी सरकार और सेना को भी अपना ग्राहक बताया है।