कोरोना वायरस फैलाने में नोटों-सिक्कों की भूमिका!

कोरोना वायरस जैसे खतरनाक संक्रमणों, जिनमें हाल में बड़े पैमाने पर तबाही करने वाला कोविड-19 का संक्रमण भी शामिल है; को फैलाने में मुद्रा (नोटों और सिक्कों) की भूमिका का होना एक वैज्ञानिक जाँच का विषय है। पिछले कुछ वर्षों, खासकर वर्तमान में इस चर्चा ने बल भी पकड़ा है। नोट और सिक्के संक्रमण का कारण कैसे हो सकते हैं? इस रिपोर्ट में बता रहे हैं वाई.के. कालिया :-

साल 2013-14 में किये गये एक विस्तृत वैज्ञानिक अध्ययन, जिसकी रिपोर्ट जर्नल ‘फ्यूचर माइक्रोबियल’ में 2014 में प्रकाशित हुई; में यह निर्णायक रूप से कहा गया था कि भोजन करने के समय या उससे पहले कागज़ी मुद्रा और सिक्के को हाथ से पकडऩा स्वास्थ्य के लिए बहुत जोखिम भरा हो सकता है। खासकर अस्पतालों की कैंटीन आदि से ऐसा संक्रमण फैलने का बहुत खतरा रहता है। अस्पतालों से बरामद नोटों (कागज़ी मुद्रा) का अध्ययन यह ज़ाहिर करता है कि ऐसे नोट बैक्टीरिया (चमड़ी, नाक, मवाद आदि से जनित) से भरे हो सकते हैं।

साल्मोनेला प्रजाति, एस्चेरिचिया कोली और एस ऑरियस जैसे संक्रमण वाले विषाणु आमतौर पर फूड आउटलेट से नोटों के ज़रिये आ जाते हैं। प्रयोगशाला में ऐसे नोटों की जाँच से पता चला कि मेथिसिलिन प्रतिरोधी एस ऑरियस सिक्कों पर आसानी से जीवित रह सकता है। जबकि ई-कोलाई, साल्मोनेला प्रजातियाँ और वायरस- जिनमें मानव इन्फ्लूएंजा वायरस, नोरो वायरस, राइनो वायरस, हेपेटाइटिस-ए वायरस और रोटा वायरस भी शामिल हैं; हाथ से सम्पर्क में आने से मानव के भीतर प्रवेश कर सकते हैं।

दुनिया भर के 10 देशों के बैंक नोटों और सिक्कों पर किये गये इस अध्ययन में, भारत के बैंक (कागज़ी) नोटों में सबसे बड़ी संख्या एस. ऑरियस आइसोलेट्स की मौज़ूदगी दिखी। यह नोट अस्पतालों से इकट्ठे किये गये थे। इस तरह अस्पतालों से मिली यह कागज़ी मुद्रा रोगजनितों (संक्रमण फैलाने) के सम्भावित स्रोत के रूप में काम कर सकती है।

लम्बे समय तक रहते हैं दूषित तत्त्व

सिक्कों और नोटों में इस्तेमाल किये जाने वाले धातु और इनकी बनावट के बीच अन्तर के कारण, कागज़ के नोट विभिन्न प्रकार के संक्रमणों को कहीं ज़्यादा समायोजित कर सकते हैं, और ये दूषित तत्त्व लम्बे समय तक इनमें बने रह सकते हैं। निष्कर्ष यह कि प्रयोगशाला जाँच से पता चलता है कि बैक्टीरिया नोटों और सिक्कों पर जीवित रहने में सक्षम हैं, और इनके माध्यम से उनके फैलने की क्षमता सम्भव है।

मानव इन्फ्लूएंजा वायरस नोटों पर जमा होने के बहुत दिनों बाद तक जीवित और संक्रामक बने रहने में सक्षम थे। इन्फ्लुएंजा से दूषित हाथ वायरस को अन्य सतहों या वस्तुओं में स्थानांतरित कर सकते हैं। वायरल स्रावों के साथ निष्क्रिय सतहों के सम्पर्क में आने से इन्फ्लूएंजा से हाथ दूषित हो सकते हैं।

यह रोगी की देखभाल के दौरान हाथ की स्वच्छता, अनुसंधान और शिक्षा रणनीतियों के लिए एक गतिशील मॉडल प्रस्तावित करता है। 10 विभिन्न देशों में खाद्य दुकानों से प्राप्त बहुत बड़ी संख्या में नोटों का परीक्षण किया गया। हालिया अध्ययन में नोटों पर फिंगर ट्रांसफर दक्षता पर कम और उच्च सापेक्ष आद्र्रता के प्रभाव का परीक्षण किया गया था। इस अध्ययन में यह पाया गया कि नोटों पर इन्फ्लूएंजा वायरस जीवित रह सकता है।

भविष्य का नज़रिया

नोटों, सिक्के और संक्रमण फैलाने वाले पदार्थों के रोगजनित एजेंट्स के रूप में बढऩे की क्षमता 21वीं सदी में एक बड़ी चुनौती है। यह सम्भव है कि कॉटन नोटों की जगह सब्सट्रेट सामग्री से बने नोट बैक्टीरिया की उपस्थिति को कम करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।

कई खाद्य संचालक सफाई पर ज़्यादा ध्यान नहीं देते हैं और इन फूड हैंडलर्स से मिली मुद्रा अत्यधिक दूषित थी। नतीजतन, मुद्रा में रोगजनितों की उपस्थिति, जैसे कि ई-कोलाई और साल्मोनेला प्रजातियाँ हानिकारक साबित हो सकती हैं। ई-कोलाई और साल्मोनेला एसपीपी अस्वच्छता के संकेतक हैं। नोसोकोमियल संक्रमण के प्रसार में हाथ सबसे महत्त्वपूर्ण कारक है। हाथों को अल्कोहल से साफ करने की आदत इसमें सुधार कर सकती है और रोगजनित एजेंटों के संचरण को कम कर सकती है। इसके अलावा नोसोकोमियल रोगजनितों के प्रसार को नियंत्रित करने के लिए नियमित सतह कीटाणुशोधन करना महत्त्वपूर्ण है।

खाद्य जनित प्रकोप को रोकने के लिए एक आवश्यक उपाय खाद्य संचालकों के लिए स्वच्छता प्रशिक्षण है। पैसे के आदान-प्रदान से भोजन के अशुद्ध होने की सम्भावना को इस आधार पर देखा जा सकता है कि भोजन (खाद्य पदार्थ) को कैसे सँभाला और बेचा जा रहा है और इसी आधार पर इसमें बदलाव लाना चाहिए। उपयुक्त और नियमित रूप से हाथ की सफाई, विशेष रूप से शौचालय जाने और पैसे को सँभालने के बाद, यह ज़्यादा महत्त्वपूर्ण है। इसके अलावा भोजन से जुड़े उपकरण इसके दूषित होने से बचाने में बड़ा रोल अदा कर सकते हैं, जो धन और भोजन के आदान-प्रदान के दौरान हो सकते हैं; खासकर तब, जब कार्यकर्ता कार्यों के बीच हाथ नहीं धोते हैं।  आमतौर पर स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के उपयोग किये जाने वाले नोसोकोमियल रोगजनितों जैसे सेल फोन, टॉयलेट पेपर, पेन, स्टेथोस्कोप, पेपर मनी, सिक्के, यूनिफॉर्म, कम्प्यूटर की-बोर्ड, किताबें, पेपर फाइलें और बेड और चादर जैसे उपकरण भी रोग पैदा करने में अहम भूमिका निभाते हैं।

इस संदर्भ में एफएसएसएआई (फूड स्टैंडर्ड एंड सेफ्टी अथॉरिटी ऑफ इंडिया) ने वर्ष 2018 में एक एडवाइजरी जारी की थी, जिसमें सभी राज्यों / केंद्रशासित प्रदेशों के खाद्य सुरक्षा आयुक्तों को बुलाकर सभी नागरिकों में जागरूकता पैदा करने के लिए एक व्यवस्थित अभियान शुरू करने का निर्देश दिया गया था। भोजन और मुद्रा नोटों / सिक्कों की एक साथ हैंडलिंग को हतोत्साहित करने को कहा गया था। क्योंकि यह देखा गया था कि खाद्य संचालकों, खाद्य विक्रेताओं और अन्य लोगों ने नंगे हाथों से एक साथ मुद्रा और भोजन को सँभाला। लिहाज़ा उन्हें दस्ताने आदि का उपयोग करने और मुद्रा को सँभालने के बाद साबुन-पानी से धुलाई की सलाह दी गयी थी। यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में संक्रमण फैलने से बचने के लिए आवश्यक था, क्योंकि असुरक्षा रखने से कई प्रकार की बीमारियाँ पैदा होती हैं।

हाल में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने सम्भावित संक्रामक नोटों को सँभालने के दौरान बड़े पैमाने पर जनता को सावधानी बरतने के लिए आगाह किया है। डब्ल्यूएचओ के एक प्रवक्ता ने एक सवाल के जवाब में कहा कि यह बहुत सम्भव था, क्योंकि पैसे का बार-बार आदान-प्रदान होता है। सभी तरह के बैक्टीरिया और वायरस इस तरह की चीज़ों से आ सकते हैं। इसलिए डब्ल्यूएचओ ने लोगों को सलाह दी कि वे मुद्रा के लेने-देने के बाद अपने हाथों को अच्छी तरह धोएँ और हाथों से अपने चेहरे को छूने से बचें। सम्भव हो तो सम्पर्क रहित भुगतान (ऑनलाइन पेमेंट) अपनायें, जो कि एक बेहतर विकल्प है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने लोगों से सम्पर्क रहित भुगतान का उपयोग करने के लिए ज़ोर देने के बावजूद स्पष्ट किया कि उसने नकदी के उपयोग के बारे में कोई चेतावनी या बयान जारी नहीं किया है। इसके बजाय यह दोहराया गया है कि लोगों को पैसे  सँभालने के बाद अच्छी तरह हाथों को धोना चाहिए, खासकर अगर आप खाना खा रहे हैं या उसे किसी कारण छू रहे हैं।

कोविड-19 इस परिवार (कोरोना) के अन्य वायरस की तरह, मनुष्यों में श्वसन के ज़रिये संक्रमण का कारण बनता है। हालाँकि, ऐसा करने के लिए वायरस को मुँह या नाक के माध्यम से शरीर में प्रवेश करने की आवश्यकता होती है। इसका मतलब है कि संक्रमण का सम्भावित ट्रांसमिशन दूषित बिल या सिक्के को छूने के बाद किसी भी व्यक्ति के अपने चेहरे को छूने से सम्भव है। यह दुनिया भर में देखा गया है कि कोरोना वायरस कई दिन तक तत्त्वों के सम्पर्क में आने वाली सतहों पर संक्रामक रह सकते हैं।

हाल के अध्ययनों से पता चलता है कि मानव कोरोना वायरस, सीवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम (सार्स) कोरोना वायरस, मिडल ईस्ट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम (मर्स) कोरोना वायरस या एंडेमिक ह्यूमन कोरोनविर्यूज (एच5वी ) की तरह धातु, काँच या प्लास्टिक जैसी निर्जीव सतहों पर 9 दिन तक जीवित रह सकता है। हालाँकि कोरोना विषाणु के कागज़ या नोटों और सिक्कों पर अस्तित्व को लेकर कुछ अध्ययन हुए हैं; फिर भी सार्स पर किये गये एक अध्ययन से ज़ाहिर होता है कि कोरोना वायरस प्रेस पेपर पर 72 घंटे और कपड़े पर 96 घंटे तक संक्रामक रहता है।

कोरोना वायरस के बीच संरचनात्मक समानता के आधार पर, यह एक उचित निष्कर्ष लगता है कि नये कोविड-19 के मामले में भी ऐसा ही हो सकता है। इस कारण डब्ल्यूएचओ की सिफारिश है कि सामान्य रूप से पैसे (मुद्रा) के लेन-देन से निपटने के बाद अच्छी तरह हाथ धोना संक्रमण से बचने का बेहतर उपाय है। हालाँकि सम्भावित रूप से संक्रमित मुद्रा के खिलाफ सबसे अच्छा बचाव है- नकदी (मुद्रा) लेने के बाद बिना हाथ धोये किसी भी सूरत में चेहरे को नहीं छूना और भोजन नहीं करना। यह किसी के लिए भी बहुत ही ज़रूरी है कि मुद्रा के लेन-देन के बाद वह बहुत अच्छी तरह अपने हाथों को धो लें।

सतहों पर रोगजनितों की मौज़ूदगी

कई बैक्टीरिया और वायरस सतहों पर जीवित रह सकते हैं। जैसे :-

नोटों पर

कॉटन-आधारित बैंकनोट एक रेशेदार सतह वाले होते हैं, जो बैक्टीरिया के जीवन के लिए पर्याप्त अवसर प्रदान करते हैं और जितने अधिक समय तक एक कागज़ का नोट प्रचलन में रहता है, उतनी ही अधिक सम्भावना इसके दूषित होने की होती है।

दुनिया भर में विभिन्न बैक्टीरिया, खमीर, कवक, अल्सर और आँतों के परजीवी के अण्डाणु को पैसे से अलग किया गया है।

सिक्कों पर

सिक्कों की धातुओं में बड़े पैमाने पर ताँबे की उपस्थिति साधारणतया सिक्कों पर बैक्टीरिया के अस्तित्व को सीमित करती है।

दुनिया भर में विभिन्न बैक्टीरिया, खमीर और कवक को सिक्कों से अलग किया गया है।

अस्पतालों में बेड और कीबोर्ड जैसी सतहों, जिनका हाथों से सीधा सम्पर्क होता है; क्रॉस-ट्रांसमिशन के लिए नोसोकोमियल रोगजनितों और विषाणु के जनक स्थलों के रूप में काम करते हैं।

नोट रोगजनितों के एक सम्भावित स्रोत के रूप में काम कर सकते हैं और अस्पतालों से मिले कागज़ के नोट बड़े पैमाने पर स्टैफिलोकोकस ऑरियस आइसोलेट्स से दूषित थे।

खाद्य जनित प्रकोपों के प्रसार में फेमाइट्स और मुद्रा

साल्मोनेला प्रजातियाँ, एस्चेरिचिया कोली और एस ऑरियस साधारणतया फूड आउटलेट से नोटों में आती हैं।

सलाद, सैंडविच और बेकरी आइटम, जैसे- तैयार खाद्य पदार्थ आदि अक्सर वायरल खाद्य जनित बीमारी के प्रकोप से जुड़े होते हैं।

नोटों और सिक्कों से रोगजनित हस्तांतरण के प्रायोगिक साक्ष्य

प्रयोगशाला सिमुलेशन में सिद्ध हुआ है कि मेथिसिलिन प्रतिरोधी एस ऑरियस सिक्कों और नोटों पर आसानी से जीवित रह सकते हैं।

प्रयोगात्मक मॉडल में सिद्ध हुआ है कि इन्फ्लूएंजा वायरस, नोरोवायरस, राइनोवायरस, हेपेटाइटिस ए-वायरस और रोटावायरस को मनुष्य हाथ से सम्पर्क के माध्यम से प्रेषित करने में सक्षम थे।

निवारण

हाथ धोने और कीटाणुशोधन की तकनीकों में प्रशिक्षण सहित स्वच्छता प्रशिक्षण, नोसोकोमियल और खाद्य जनित प्रकोप को रोकने के लिए एक आवश्यक उपाय है।