आम लोगों के बीच ये अवधारणा बन रही है कि कोरोना वायरस विदेश से फ्लाइट में अमीर लेकर आये और अब देशभर में इसका खामियाजा गरीब भुगत रहे हैं। लॉकडाउन के बीच सड़कों पर उतरा गरीबों का हुजूम परेशान है। उसके पास न काम है, न ही साधन और सन्साधन। कोई ठोस आश्वासन भी नहीं है।
सब्जी भाजी और ज़रूरत कि चीज़ें दिन ब दिन और महंगी होती जा रही हैं। इससे गरीबों का परेशान होना और उनकी मजबूरी को नज़रअंदाज़ करना अच्छी संकेत नहीं हैं। अब ये मजदूर मेट्रो शहरों से निकलर बीच में फंस गए कुछ सीएमओं में। आगे इनका भगवान ही मालिक है। सरकार पर लोगों को भरोसा नहीं, हैं कुछ अच्छे लोग और अफसर ज़रूर हैं, जिनमें मानवता बाकी है। जिससे एक आस जगती है। आगे वही आस इनको ज़िंदा रखने में मददगार होगी। वाइरस से तो नहीं, सरकारों के तरीकों से ज़रूर लाखों जानें सांसत में आ गई हैं।
अमनावीयता : बरेली में लोगों को किया डिसइन्फेक्ट
जहां दुनिया भर में कोरोना का कहर बरपा है, अपने यहां संवेदनहीनता से जुड़ी खबरें सामने आ रही हैं। पुलिस प्रशासन के अमानवीय चेहरे का ताजा मामला उत्तर प्रदेश के बरेली का है। बरेली में कर्मचारियों ने दूसरी जगहों से आए बच्चों, महिलाओं और पुरुषों को सैनिटाइज करने का अनोखा तरीका अपनाया। सभी को सड़क पर बैठाकर उनको डिसइंफेक्ट किया जा रहा है। इसका एक वीडियो सामने आया है, फिलहाल प्रशासन की ओर से अभी इस बारे में कोई स्पष्टीकरण नहीं आया है।
बरेली ज़िले में दिल्ली, हरियाणा,नोएडा से आए सैकड़ों मज़दूरों और बच्चों को ज़मीन पर बैठा कर उनके ऊपर छिड़काव कर सनीटाइज़ किया गया। इससे बच्चों को बहुत दिक्कत हुई।