देश में कोरोना के रेकॉर्ड मामलों और आक्सीजन और बिस्तरों की भयंकर कमी के बीच सर्वोच्च न्यायालय ने गुरूवार को स्थिति पर स्वत: संज्ञान लेते हुए कहा है कि देश में नेशनल इमरजेंसी जैसी स्थिति है। सर्वोच्च अदालत ने साथ ही इस मामले में केंद्र सरकार को नोटिस भेजा है। अदालत ने राज्यों को लॉक डाउन लगाने का अधिकार देने को भी कहा है।
सीजेआई एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की तीन-न्यायाधीशों की पीठ ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को कोविड पर एक राष्ट्रीय योजनाबनाकर इसे पेश करने या सूचित करने के लिए कहा है। मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि देश को ऑक्सीजन की सख्त जरूरत है। सुप्रीम कोर्ट ने ऑक्सीजन की आपूर्ति और आवश्यक दवाओं के मुद्दे पर स्वत: संज्ञान लिया है।
सुनवाई के बाद सीजेआई एसए बोबडे ने कहा कि अदालत इस मामले की सुनवाई कल (शुक्रवार) करेगी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोवि़ड-19 संबंधित मुद्दों पर छह अलग-अलग हाईकोर्ट्स का सुनवाई करना किसी तरह का भ्रम पैदा कर सकता है। सुप्रीम कोर्ट ऑक्सीजन, आवश्यक दवाओं की आपूर्ति और टीकाकरण के तरीकों से जुड़े मुद्दों पर राष्ट्रीय नीति चाहता है।
देश की सबसे बड़ी अदालत ने कोरोना से निपटने से अलग-अलग चार मुद्दों पर स्वत: संज्ञान लेते हुए गंभीर टिप्पणी की है। अदालत ने कहा कि देश में हालात राष्ट्रीय आपातकाल जैसे हो गए हैं। कोर्ट ने कहा कि वो ऑक्सीजन की सप्लाई, जरूरी दवाओं की सप्लाई, वैक्सीन लगाने का तरीका-प्रक्रिया और लॉकडाउन के मुद्दे पर विचार करेगा। सीजेआई ने इस मुद्दे पर केंद्र को नोटिस भेजकर जवाब मांगा है।
सीजेआई ने सुनवाई के दौरान कहा कि हम आपदा से निपटने के लिए नेशनल प्लान चाहते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इन मुद्दों पर देश के छह हाईकोर्ट में सुनवाई हो रही है लिहाजा हम आगे देखेंगे कि क्या इन मुद्दों को हम अपने पास रख सकते हैं। कोर्ट ने माना कि ये सुनवाई अच्छे संदर्भ में हो रही है लेकिन साथ ही ये भी कहा कि इससे भ्रम फैल सकता है और संसाधन डाइवर्ट हो सकते हैं।
बता दें देश में गुरुवार को कोविड-19 के अब तक के सर्वाधिक 3.14 लाख से ज्यादा मामले आने के साथ ही संक्रमितों की संख्या बढ़कर 1,59,30,965 हो गयी है। दुनिया के किसी भी देश में एक दिन में कोरोना वायरस संक्रमण का यह सर्वाधिक आंकड़ा है।