आज विश्व मलेरिया दिवस है, ओर ये जग जाहिर है। कि ये बीमारी मच्छर के काटने से फैलती है । पर कोरोना वायरस के कहर के कारण मलेरिया जैसी बामारी पर किसी भी सरकारी सिस्टम ओर स्वास्थ्य महकमें का कोई खास ध्यान व जागरूकता अभियान देखने को नहीं मिला है। गौरतलब है कि मलेरिया भी एक घातक बीमारी के साथ – साथ एक संक्रमित बीमारी है। इस बीमारी में भी बचाव के तौर पर मच्छर मार दवा का छिडकाव किया जाता रहा है। लेकिन इस बार तो किसी भी सरकारी ओर निजी अस्पताल में देखने को नहीं मिला है।डाक्टरों का मानना है कि कोरोना वायरस के साथ –साथ अगर मौसमी बीमारियों पर गौर ना किया गया। तो ये बीमारी भी घातक रूप धारण कर सकती है।
बताते चले कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डाँ हर्षवर्धन ने गत दिनों पहले स्वास्थ्य महकमें ओर डाक्टरों को मौसमी बीमारियों के प्रति सतर्क रहने की बात भी कहीं थी । पर आज ऐसा कुछ भी देखने को नहीं मिला है ।इस बारे में डीएमए के पूर्व अध्यक्ष डाँ अनिल बंसल ने बताया कि कई बार स्वास्थ्य महकमा काफी लापरवाही कर जाता है । जो बाद में काफी घातक होता है। जैसे आजकल सारा सिस्टम सिर्फ कोरोना वायरस पर लगा हुआ है। इसके कारण अन्य बीमारियों पर गौर तक नहीं कर रहा है।उऩ्होंने बताया कि मलेरिया का प्रकोप भी कई बार देश व्यापी रूप धारण करता है।जिसकी चपेट में बच्चें, युवा ओर बुजुर्ग सभी वर्ग के लोग आते है।एम्स के डाँ आलोक कुमार का कहना है कि कई बार ये लापरवाही घातक होती है कि बडी बीमारी के कारण उन बीमारियों को नजरअंदाज कर जाते है जो देश में पहले से भी घातक रही है।उन्होंने सरकार को आगाह के तौर पर सतर्कता बरतनें को कहा है कि आने वाले दिनों मलेरिया, डेंगू ओर स्वाइन फलू भी दस्तक दें सकतें है। क्योंकि मई बाद के देश में वारिस होना शुरू हो जाती है। ऐसे में अब सरकार को विशेष सावधानी के तौर पर देश भर जागरूकता पर बल देने की आवश्यकता है।क्योंकि कोरोना वायरस के साथ – साथ अगर मौसमी बीमारियों का मिश्रण हो गया तो काफी घातक स्थिति बन सकती है। गौर तलब है कि जून महीने के बाद डेंगू ओर स्वाइन फलू से दिल्ली , मुम्बई , चैन्नई सहित तामाम राज्यों में लोगों की मौतों के मामले काफी सामने आये है।