देश में कोरोना के मामलें हर रोज कम हो रहे है। ये राहत वाली बात है। वहीं दिल्ली में भी कोरोना के मामलें भी कम आ रहे है। ऐसे में सरकार ने 7 फरवरी से दिल्ली के स्कूलों के साथ सरकारी दफ्तरों में को भी शत-प्रतिशत के साथ खोला है। लेकिन 7 फरवरी को बाजारों व स्कूलों के बाहर जो भीड़ देखने को मिली है। उससे इतना जरूर भय लगता है। कि अगर लोगों ने लापरवाही बरती तो कोरोना का संक्रमण फिर से न बढ़ने लगें।
बताते चलें ज्यादात्तर लोगों में कोरोना को लेकर ये भ्रम है कि कोई कोरोना जैसी बीमारी को मान रहा है तो, कोई कोरोना को नहीं मान रहा है। ऐसे में कोरोना गाईड लाईन की धज्जियां उड़ाई जा रही है। दिल्ली में लोगों ने मान लिया है कि अब तो स्कूल तक खुलने लगे है। यानि कोरोना पूरी तरह से चला गया है।
इस बारें में एम्स के वरिष्ठ डॉ आलोक कुमार का कहना है कि कोरोना एक संक्रमित बीमारी है। इस में जरा सी लापरवाही घातक हो सकती है। इसलिये घर से निकलें तो मुंह मास्क लगाकर और हो सकें तो दो गज की दूरी का पालन करें। भीड़-भाड़ वालें इलाकें में जाने से बचें। सर्दी–जुकाम और बुखार को नजरअंदाज न करें। क्योंकि अभी कोरोना के मामलें जरूर कम हुये है।
लोकिन कोरोना अभी गया नहीं है। उन्होंने बच्चों के अभिभावकों को सलाह देतें हुये कहा कि है कि अगर उनके बच्चों को कोई बीमारी है तो बच्चों को स्कूल भेजने से पहले डाँक्टरों से परामर्श जरूर ले लें। ताकि कोरोना जैसी बीमारी की चपेट में न आ सकें। क्योंकि सावधानी ही कोरोना में इलाज है।