कोरोना महामारी के वो दिन फिर से याद आने लगे । जब 2020 के अप्रैल माह में लगे, सम्पूर्ण लाँकडाउन के दौरान देश के मजदूर पैदल चल कर अपने-अपने, घर –गाँव जाने को मजबूर थे। तपती गर्मी के दिनों में सिर पर अपना सामान लेकर जाते हुये लोग जिसमें महिलायें, पुरूष और बच्चे भी शामिल थे। लेकिन इस बार वैसा नजारा तो नहीं है। पैदल आने-जाने वाले कम ही देखें जा रहे है।लेकिन दिल्ली के रेलवे स्टेशनों और बस अड्डों में बिहार, यूपी और मध्य प्रदेश जाने वालों की संख्या भी अधिक देखी जा रही है। जाने वाले लोगों का कहना है कि भले ही आज देश में सम्पूर्ण लाँकडाउन ना लगा हो लेकिन माहौल लाँकडाउन से ज्यादा डरावना है।
मध्य प्रदेश के जिला छतरपुर निवासी जुगल किशोर ने बताया कि मध्य प्रदेश में कोरोना का कहर बढ़ रहा है और दिल्ली में भी। मध्य प्रदेश के कई जिलों में लाँकडाउन लगने से और दिल्ली में रात के कर्फ्यू लगने से , उनके परिवार वालों और दोस्तों का दबाव है। कि घर –गांव आ जाओं । ताकि कल लाँकडाउन लगे तो फिर किसी प्रकार कोई परेशानी हो सकें। उन्होंने 2020 के अप्रैल माह की बातों को याद करते हुये जुगल ने बताया कि उनको अपने घर- गाँव जाना पड़ा था। जिसमें कुछ पैदल चलना पड़ा, तो कुछ जगह तक ट्रैक्टर से तो किसी दूध वाले की मोटर साईकिल से जाना पड़ा था।जिसके चलते तामाम परेशानियों का सामना करना पड़ा था। ऐसे में उन्हें फिर डरा सता रहा है। इसलिये वो अपने परिजनों के साथ सराय कालें खाँ बस अड्डे से बस के रास्ते घर जा रहे है।
बिहार निवासी रजत रंजन ने बताया कि उनको रेल में रिजर्वेशन नहीं मिला तो, वो आनंद बिहार बस अड्डा में जाकर बस का आँनलाईन टिकट बुक करवा कर आये है। क्योंकि आज देश में कोरोना से ज्यादा सियासत के दांव -पेंच से डर लगता है।उनका कहना है कि जिस प्रदेश में चुनाव है वहां कोरोना नहीं है। ऐसे में चुनाव होते ही कोरोना के मामले बढ़ सकते है। 2 मई को जब चुनाव परिणाम घोषित किये जायेगे। फिर उसके बाद कोरोना के मामले बढने की संभावना है। जो लाँकडाउन लगने का कारण बन सकता है। ऐसे में पहले से ही घर –गांव जाना ठीक होगा। ताकि पिछले साल की तरह किसी प्रकार की परेशानी ना सकें।