जैस-जैसे देश में कोरोना का कहर बढ़ रहा है, वैसे-वैसे देश में कोरोना के इलाज के नाम पर गली-कूचों में फिर से नीम –हकीमों की दुकानें सजने लगी है। भोले –भाले लोगों को कोरोना से बचाव के तौर पर जड़ी-बूटियां बेची जा रही है। जो कोरोना जैसी संक्रमित बीमारी को कम करने के बजाय बढ़ा सकती है। सरकार को इस मामले में गंभीरता से कार्रवाई करनी चाहिये । ताकि लोगों को इलाज करने पर ठगने वालों को रोका जा सकें। बतातें चले एक ओर तो सरकार लोगों को सोशल डिस्टेंसिंग की बात करती है। और जो बिना मास्क लगाये सड़कों पर पकड़े जाते है। उनका 2 हजार रूपये का चालान काटती है। वहीं नीम हकीम इन दोनों गाइड लाईन का उल्लघंन कर लोगों को ठग ही नहीं रही है, बल्कि लोगों की जान से खेल रही है।
सबसे गंभीर बात तो ये है कि ये नीम हकीम कोरोना जैसी घातक बीमारी का इलाज के नाम पर अपना –प्रचार प्रसार करते है। जो मेडिकल एक्ट में गलत है। कानूनी तौर पर अपराध की श्रेणी में है। फिर भी ऐसा हो रहा है। इस बारे में डीएमए के पूर्व अध्यक्ष डाँ अनिल बंसल का कहना है कि कोरोना बीमारी हो या अन्य कोई और बीमारी हो। अगर क्वालीफाइड डाँक्टर के अलावा कोई करता है तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई होनी चाहिये।
नीम हकीमों के विरोध अभियान चलाने वाले सुभाष कुमार का कहना है कि देश में जो कोरोना बीमारी कम नहीं हो रही है उसकी जड़ में देखा जाये तो नकली डाँक्टरों द्वारा इलाज का किया जाना शामिल है। उन्होंने बताया कि कोरोना जैसी बीमारी के इलाज के नाम पर ये लोग ठग रहे है। उन्होंने बताया कि चाहे कैंसर की बीमारी हो या मधुमेह अन्य बीमारी हो सबका इलाज करने के नाम पर ये लोग अपनी दुकान खोलकर बैठ जाते है। सस्ते इलाज के नाम पर लोगों को अपने जाल में फंसाकर जमकर चांदी काटते है।