सरकारी और निजी अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवायें इस कदर चरमरा रहीं है, कि लोगों के बीच एक साफ मैसेज ये पहुंच रहा है, कि चरमराती स्वास्थ्य सेवा के बीच कैसे ठीक हो सकते है। ऐसे हालात में लोग अब या तो अप्रोच के सहारे इलाज कराने को मजबूर है या फिर निजी अस्पतालों में भी महंगे से महंगे अस्पतालों में इलाज कराने की कोशिश कर रहे है। बताते चलें देश में केन्द्र और राज्य सरकारों ने कोविड सेन्टर तो बनवाये है। वहां पर भले ही बेहत्तर इलाज चल रहा है, फिर भी लोगों में कोविड सेन्टर में इलाज कराने से लोग डर रहे है।
मौजूदा वक्त में जिस तरीके –अंदाज से आँक्सीजन की किल्लत और दवाईयों का टोटा रहा है। उससे ये बात तो ऊभर कर आयी है कि लोगों में अस्पतालों की स्वास्थ्य सेवाओं पर विश्वास कम हुआ है। इस बारे लोकनायक अस्पताल के वरिष्ठ डाँक्टरों का कहना है कि जिस तरीके से वैज्ञानिकों द्वारा और शोध संस्थानों द्वारा कयास लगाये जा रहे है कि तीसरी लहर में कोरोना का भयकंर रूप सामने आ सकता है। उससे तो हमें पहले ही और चौकस रहना होगा।अन्य़था स्थिति काबू में नहीं आयेगी। सबसे चौकानी वाली बात तो, ये है कि लाँकडाउन के दौरान ही देश में लाखों की संख्या में कोरोना के मामले सामने आ रहे है और हजारों की संख्या में लोगों की कोरोना से मौतें हो रही है।
जबकि जानकारों का कहना है कि कोरोना के बढ़ते मामलों में आँकड़ें सही नहीं पेश किये जा रहे है। क्योंकि अगर मामले कम हो रहे होते तो लाँकडाउन में शक्ति ना हो रही होती बल्कि लाँकडाउन में ढ़िलाई दी जाती लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। जो अपने आप में शंका पैदा करता है कि आँकडों में कुछ हेर –फेर है।