दिल्ली में मजदूरों के साथ-साथ उन पढ़े लिखे लोगों को का पलायन जारी है। जिनकी नौकरी चली गयी या जिनकी जाने को है। सुबह से ही दिल्ली नेशनल हाईवे पर ये नजारा देखने को मिलता है। तहलका संवाददाता को दिल्ली से जाने वाले उन युवा लोगों ने अपनी- अपनी व्यथा बतायी। जो दिल्ली में एक दशक से अधिक समय से जमे थे। जीवन –यापन भी आराम से सम्मान के साथ कर रहे थे। 2020 मार्च में जब लाँकडाउन लगा था। तब सरकार से राहत के तौर पर कुछ उम्मीद थी। नौकरी घर बैठे आँनलाइन चलती रही। वेतन कम मिला लेकिन मिलता रहा। ऐसे में युवाओं ने माना की महामारी है। निकल जायेगी। साहस और हिम्मत के साथ महामारी में युवा काम करते रहे।
लेकिन अब 2021 में तो हालत ऐसे है। कि मौजूदा सिस्टम ही हर क्षेत्र में जवाब दे रहा है। लोगों में नौकरी जाने से ज्यादा अपनी जान की चिंता सतायी जा रही है। पेशे से सिविल इंजीनियर सौरभ ने बताया कि वे कंट्रक्शन कंपनी में काम करते थे। लेकिन बाजार में आयी मंदी से काम रूक गया है।ऐसे में कंपनी ने फिलहाल काम पूरी तरह से रोक दिया ,जिससे अब उनकी नौकरी चली । दूसरी कंपनी में अभी नौकरी नहीं मिली है। ऐसे में दिल्ली में अपने मकान का किराया ना देने से बचने के लिये, वे अब दिल्ली छोड़कर जा रहे है।फेशन डिजाइनर गौकुल प्रकाश ने बताया कि उनका परिवार और वे शादियों में साज-सज्जा का काम करते थे अच्छा – खासा कमा लेते थे । लेकिन अब पिछली साल की तरह इस साल तो काम पूरी तरह से बंद है। लोगों ने तो कोरोना के डर के मारे रिश्ते या तो तोड़ दिये है। या फिर कुछ समय के लिये आगे बढ़ा दिये है। ऐसे हालात में उनको अब काम ना मिलने से आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा है। इसी तरह तामाम लोगों ने कोरोना के कहर में अपनी नौकरी जाने और जान बचाने की पीड़ा बतायी है। इन्हीं विषम परिस्थियों में लोगों को पलायन करने को मजबूर होना पड़ रहा है।