प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राष्ट्र को अपने सम्बोधन में कोरोना वायरस का अपने स्तर पर सामना करने के लिए आपसी दूरी (सोशल डिस्टेंसिंग) बनाये रखने पर ज़ोर देने के साथ-साथ घर से काम (डब्ल्यूएफएच) का सुझाव दे चुके हैं। प्रधानमंत्री के इस सम्बोधन से स्पष्ट है कि प्रत्येक नागरिक को इस वायरस से लडऩे के लिए सुरक्षित जगह में रहना है। इसके अलावा प्रधानमंत्री ने जनता कफ्र्यू और कोविड-19 इकोनॉमिक रिस्पॉन्स टास्क फोर्स के रूप में दो और बिन्दु सामने रखे, जो भविष्य की किसी भी चुनौती के लिए तैयार रहने के साफ संकेत हैं।
इस पखवाड़े के ‘तहलका’ के अंक में विशेष संवाददाता राकेश रॉकी की आवरण कथा हमारे संकल्प, धैर्य और एक वृहद् सामाजिक लक्ष्य के लिए आपसी दूरी के संदेश के साथ है; ताकि प्रकोप से बचाव के सकारात्मक नतीजे सामने आ सकें। कई राज्यों ने कोरोना वायरस से बचाव के लिए लॉकडाउन (बन्द) किया है और समूह बनाने पर प्रतिबन्ध लगाया है। ऐसे में इकोनॉमिक रिस्पॉन्स टास्क फोर्स की बहुत ज़रूरत है। क्योंकि कोरोना वायरस ने न केवल यात्रा, पर्यटन, विनिर्माण क्षेत्र को प्रभावित किया है, बल्कि शेयर बाज़ार की भी कमर तोड़ दी है।
इसलिए यह लड़ाई कोरोना वायरस को फैलने से रोकने और भविष्य सुरक्षित करने के लिए है। यदि एकाध महीने में यह महामारी नियंत्रण में आती है, तो पहले से ही बहुत खराब जीडीपी में सुधार किया जा सकेगा और नुकसान से बचा जा सकेगा। अन्यथा यह केंद्र सरकार की आर्थिक परेशानियों को बढ़ा सकता है। तथ्य यह है कि वर्तमान में दुनिया भर की सरकारें एक अभूतपूर्व संकट में हैं। लेकिन सबसे ज़्यादा संकट में मज़दूर, दैनिक वेतन भोगी और स्टार्टअप वर्ग हैं। ऐसे में सरकार को चाहिए कि वह कम-से-कम इस वर्ग की बुनियादी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए हर सम्भव सहायता प्रदान करे; चाहे यह वर्ग शहरों में हो या गाँवों में। भारतीय रिजर्व बैंक को भी वस्तुओं की महँगाई और शेयर बाज़ार में मंदी को रोकने के लिए कदम उठाना होगा। कोरोना वायरस ने दुनिया के अधिकांश देशों में लाखों लोगों को प्रभावित किया है और बड़ी संख्या में मौतें हुई हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने वायरस को महामारी घोषित किया है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) प्रमुख ने चेतावनी दी है कि कोरोना वायरस से बचने के रास्ते कम होते जा रहे हैं। इटली, ईरान और अमेरिका में जिस तरह कोरोना ने मौत का जाल फैलाया है, उससे सबक लेकर भारत ने इस चुनौती को गम्भीरता से लिया है। चीन ने भी महामारी पर अंकुश लगाने के लिए आपसी दूरी (सोशल डिस्टेंसिंग) को अपनाया है। भारत ने वायरस के इस खतरे की जड़ को पकड़ा है और घर से काम और आपसी दूरी की अवधारणा को अपनी आक्रामक कार्रवाई में शामिल किया है; ताकि इस खतरनाक वायरस को फैलने से रोका जा सके। विदेश से लौटने वाले लोगों को तुरन्त एकांत (क्वारनटाइन) में रखने का काम किया गया है। एक तथ्य यह भी है कि संक्रमित लोगों का पता लगाने के लिए महज़ तापमान देखना (थर्मल स्क्रीनिंग) पूर्ण प्रामाणिक तरीका नहीं हो सकता। हममें से किसी भी स्वस्थ व्यक्ति कोकिसी भी संक्रमित व्यक्ति से हर कीमत पर दूरी बनाये रखनी है, एक-दूसरे को छूने से बचना है और साफ-सफाई रखनी है। क्योंकि इस बीमारी से बचने के लिए अपनी तरफ से आपसी दूरी बनाने से बेहतर तरीका और कोई नहीं हो सकता। समय कोरोना के खिलाफ आक्रामक होने का है, डर जाने का नहीं!