कोरोना काल, विपदा काल है। लोगों का जीवन अस्त –व्यस्त है, लाँकडाउन है। ऐसे में शासन –प्रशासन की अनदेखी का फायदा स्वास्थ्य सेवा से जुड़े जो, भी महकमें है। वे जमकर उठा रहे है। जहां देखों अफरा-तफरी है। अस्पतालों में कोरोना के डर से आये मरीजों को वे -बजह जांचें लिखी जा रही है। जिसमें सीटी स्कैन की जांच को अनिवार्य ही कर दी है। ऐसे में गरीब मरीजों का हाल बेहाल है। मरीजों को आँक्सीजन के नाम पर अस्पतालों में लूटा जा रहा है। कोई सुनवाई नहीं है। निजी अस्पताल वालों ने तो सारे रिकार्ड तोड़ दिये है। अपने मनमाफिक तरीके से मरीजों से पैसा वसूल रहे है। ये हाल देश के महानगरों, शहरों और कस्बों का है। अगर कोई मरीज को एम्बुलेंस की जरूरत है। तो एम्बुलेंस वाले कई –कई गुना पैसा मरीजों से एडवांस वसूल रहे है।
तहलका संवाददाता को उत्तर प्रदेश के झांसी, बांदा और नोएडा के लोगों ने बताया कि सरकार की कोरोना को लेकर क्या नीतियां है। क्या योजना है ? आम जनमानस को कुछ पता नहीं है। लाँकडाउन के नाम पर आँटो वाले, बस वाले और टैक्सी वाले जमकर औने –पौने दाम वसूल रहे है।अगर कोई कुछ कहे, तो कहते है,कि लाँकडाउन चल रहा है। शासन-प्रशासन से शिकायत करने का कोई असर ना ही कोई सुनवाई हो रही है।
नोएडा के निवासी अभिषेक पांडे ने बताया कि उनके जीजा रमन को बुखार और खांसी आने की शिकायत पर एक निजी अस्पताल ले गये तो डाँक्टर ने पहले जांच के नाम पर 23 हजार से ज्यादा का बिल बना दिया। लेकिन मरीज को कोई लाभ नहीं हुआ तो डाँक्टर ने कहा कि इनको कोरोना है। सरकारी अस्पताल ले जाओं। सरकारी अस्पताल ले गये तो वहां ना तो बैड मिला ना ही आँक्सीजन ऐसे में मरीज को भटकना पड़ा। फिर किसी सलाह पर दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में भर्ती कराया गया। नोएडा से दिल्ली तक आने में एम्बुलेंस वाले 11 हजार रूपये लिये।झांसी और बांदा में तो सरकारी स्वास्थ्य सेवायें चरमराई हुई है। निजी अस्पताल में पैसा की दम पर मरीज अपना जो भी इलाज मिल रहा है, करवा रहे है।
झांसी में राजू ने बताया कि कोरोना को लेकर जो गाईड लाईन बनी है। उसका उल्लघंन तो निजी अस्पताल वाले ही कर रहे है। बहुत ही कम मास्क लगाये मरीज जाते है। यही हाल पैरामेडिकल वालों का है ।बांदा के लोगों का कहना है कि लाँकडाउन में निजी वाले ही नहीं बल्कि सरकारी उत्तर प्रदेश बस वाले ही लाचार वेबस वालों से किराया –किराया से अधिक बसूल रहे है। कही सामान के नाम पर तो कहीं लाँकडाउन के नाम पर । और तो और बस भी आने-जाने का कोई समय ही निश्चित नहीं है। ऐसे में मरीज, गरीब जनता लुट रही है।