कोरोना वायरस के कहर के कई साइड इफेक्ट आने वाले हैं। इससे पूरी दुनिया प्रभावित है, इसलिए वैश्विक स्तर पर संबंधों पर भी असर पड़ना तय है। पूरी दुनिया में चीन के प्रति गुस्सा भी बढ़ा है। फिलहाल खुलकर ब्रिटेन सामने आया है, संक्रमण के चलते ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन आईसीयू से बाहर आ चुके हैं।
ब्रिटेन की खुफिया एजेंसी का मानना है कि उनके देश को चीन के साथ रिश्तों का फिर से मूल्यांकन करने का समय आ चुका है। हाई-टेक तथा रणनीतिक उद्योग में चीनी निवेश पर नियंत्रण होना चाहिए। चीन पश्चिमी देशों को प्रतियोगिता के रूप में देखता है। ब्रिटेन में कोरोना वायरस से अब तक 10 हजार से अधिक लोग अपनी जान गंवा चुके हैं।
गार्जियन की रिपोर्ट के मुताबिक, चीन ने दावा किया है कि वह महामारी से सफलतापूर्वक निपटा है और अब वह अपनी वन-पार्टी मॉडल का बचाव करेगा। खुफिया एजेंसियों का कहना है कि बोरिस जॉनसन और अन्य मंत्रियों को यथार्थवादी सोच अपनानी होगी और उन्हें विचार करना होगा कि ब्रिटेन अब चीनी संबंध पर आगे क्या रुख करते हैं। अब ये आने वाला समय बताएगा कि क्या यूके डिजिटल कम्युनिकेशन व आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस जैसी कंपनियों पर बैन लगाएगा।
ब्रिटेन के गृह मंत्री प्रीति पटेल, रक्षा मंत्री बेन वॉलेस, संसद में लीडर ऑफ हाउस जैकब रीस-मॉग भी चीन को संदेह की नजर से देखते हैं। हालांकि, डेविड कैमरन और जॉर्ज ऑस्बोर्न की सरकारों में चीनी निवेश को महत्वपूर्ण बताया गया था।