केन्द्र सरकार आिखरकार अपने चहेतों को फायदा पहुँचाने के लिए न जाने क्यों दशकों पुरानी संस्था, जो सरकार को समय-समय पर लाभ देती है; उसको निजी हाथों में सौंपने को आमादा है। बता दें कि कंटेनर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (कॉनकोर) इंडियन रेलवे की एकमात्र कम्पनी है, जिसको लॉजिस्टिक के क्षेत्र में नवरत्न स्टेटस हासिल है। कॉनकोर 1988 में करीब 65 करोड़ रुपये की लागत से शुरू किया गया था और आज पूरे देश में 83 टर्मिनल के साथ देश के आयात- निर्यात को सुचारू एवं व्यवस्थित सहयोग में अपना योगदान दे रही है। 65 करोड़ की कम्पनी करीब 20 साल में 8000 करोड़ रुपये कमाकर सरकार को दे चुकी है और 35000 करोड़ रुपये के कैपिटल के साथ बाज़ार में काम कर रही है। फिर भी न जाने क्यों सरकार फायदा पहुँचाने वाली इस कम्पनी को निजी हाथों में सौंपना चाहती है। कॉनकोर एम्प्लाई यूनियन से जुड़े पदाधिकारियों का कहना है कि अगर सरकार निजी हाथों में सौंपती है, तो निश्चित तौर पर सरकारी सम्पत्ति की लूट-खसूट मचेगी और यहाँ पर काम रहे कर्मचारियों का निजी हाथों में जाने से दोहन होगा।
यूनियन के अध्यक्ष विनय कुमार का कहना है कि देश की एकमात्र कम्पनी कानॅकोर, जिसे प्राइवेट कम्पनी आज तक कम्प्टीशन नहीं दे पा रही है, इसकी वजह कॉनकोर के कर्मचारियों की मेहनत है। रेलवे को एडवांस फ्रेट देकर रेलवे के वार्षिक घाटे को कम करने का काम किया है, जो किसी अन्य प्राइवेट लॉजिस्टिक कम्पनी ने नहीं किया है। उन्होंने बताया कि 600 वैगन रेल कोच फैक्ट्री से लगातार पाँच वर्षों से खरीदकर राष्ट्र के मेक इन इंडिया योजना में दे रही है। प्राइवेट कम्पनी देश के आयातक को ज़बरदस्त कॉटेज बनाकर नुकसान पहुँचाएँगे एवं देश का व्यापार बाधित होगा इतना ही नहीं, कॉनकोर के शेयर बेचने से जो कर्मचारी रात-दिन मेहनत करके इसे सँवारा है, उनके साथ विश्वासघात होगा। क्योंकि आज कॉनकोर के पास सरकारी शेयर 54.08 प्रतिशत है, अगर इसे कम किया गया और 51 प्रतिशत से नीचे आया, तो कम्पनी का स्टेटस बदल जाएगा। यह देश का नवरत्न पीएसयू अपने 30 वर्ष में ही खत्म हो जाएगा। क्योंकि 51 प्रतिशत से नीचे आते ही इसका सीपीएसयू का दर्जा समाप्त हो जाएगा। कॉनकोर के महासचिव देवाशीष मजूमदार का कहना है कि सरकार की ऐसी योजना कर्मचारियों को झझकोरने वाली है, जो फायदे में होने के बावजूद निजी हाथों में सौंप रही है। उन्होंने बताया कि जब से प्राइवेट कम्पनी को रेल चलाने का लाइसेंस मिला है, तब लगातार कॉनकोर के िखलाफ साजिशें हो रही हैं। एशियाड खेलों का बहाना बनाकर इसके बड़े डई पोर्ट आईसीडी तुगलकाबाद को बन्द करने की सा•िाश की गयी है। उन्होंने बताया कि 6 मई, 2017 को एक बड़े सा•िाश के तहत कंटेनर में गैस लीक का बहाना बनाकर सारी दिल्ली के महकमों एवं सम्बन्धित कार्यालयों को गुमराह किया गया, जिसकी जाँच की गयी, तब सारे मापदंडों पर कॉनकोर सही पाया गया। इन सारे आरोपों के बाद भी सारे मापदंडों को ध्यान में रखते हुए लगातार काम कर रही है और औद्योगिक विकास में अपना विकास जारी रखे हुए है। ट्रैंड का विश्वास लगातार बढ़ रहा है। इसका उदाहरण कम्पनी का लगातार बढ़ता हुआ टर्नओवर है, जो इस प्रकार है- 2015-16 में 2924026, 2016-2017 में 3102211, 2017-18 में 3531900 और 2018-19 में 3829419 टीयू (20 के बराबर कंटेनर) माल ढुलाई की है। ऐसे में करोड़ों के फायदे में चल रही संस्था को बेचने से सरकार कर्मचारियों के साथ खिलवाड़ कर रही है। कर्मचारियों का कहना है कि जो लोग इस कॉनकोर को खरीदना चाहते हैं, उनकी नज़र स्वयं को फायदा तो पहुँचाना ही है साथ ही सरकार की अरबों-खरबों की ज़मीन पर कब्ज़ा करना है। उन्होंने कहा कि इस सा•िाश के विरोध में कई बार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से लेकर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल को अवगत कराया है, फिर सुनवाई नहीं होने से कॉनकोर जैसी फायदे वाली कम्पनी को चौपट करने में लगे हैं।
देवाशीष मजूमदार का कहना है कि किसानों के लिए कॉनकोर का योगदान है। बनारस एवं राजघाट में सब्ज़ी हाट खोलने का निर्णय, नासिक में फूल के लिए महाराष्ट्र सिंधुग्रह में आम के लिए, हरियाणा के सोनीपत में मसाले एवं ड्राई फ्रूट्स के लिए, आज़ादपुर (दिल्ली) में फल एवं सब्ज़ी के लिए, बंगाल सिन्दूर में किसान प्रोडक्ट के लिए और कोल्ड स्टोरेज एवं दादरी (उत्तर प्रदेश) में रेफर पार्क पर लगातार काम कर रही है। करीब एक साल से ड्राई आइस बैटरी के तहत सौर ऊर्जा के द्वारा किसान उत्पाद को संरक्षित कर रही है। सीधे बाज़ार के पास ले जाकर हर किसान को सीधा फायदा कैसे हो इसका प्रयास कर रही है; जिससे सबको फायदा हो। जबकि फेक करेंसी प्रतिबंधित गुड्स, जो इंडिया में लाना अपराध है प्राइवेट कंटेनर यार्डों में सरकारी मशीनरियों द्वारा पकड़ा जाता रहे है; लेकिन कॉनकोर के टॢमनल सीआईएसएफ और डीजीआर एक्स मैन गार्ड के द्वारा रक्षा की जाती है। कोई पार्टी दुस्साहस नहीं करती एवं प्रतिबंधित सामान को लाने का इसके अलावा रक्षा मंत्रालय की सुरक्षा सामग्री, वोङ्क्षटग मशीन, मुद्रा, यूरेनियम एवं सामरिक सुरक्षा का हर सामान कॉनकोर ही ढोता है।
उन्होंने सरकार से अपील की है कि विनिवेश को रोककर सरकारी संपत्ति के साथ छेड़छाड़ न करें अन्यथा कॉनकोर के कर्मचारी सडक़ से लेकर संसद तक अपनी माँगों को लेकर प्रदर्शन करेंगे।