कैप्टेन अमरिंदर दिल्ली और सीएम केजरीवाल पंजाब में  

 

पंजाब कांग्रेस के बीच चल रही खींचतान के बीच मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह दिल्ली पहुंच गए हैं। पहले उन्हें और नवजोत सिद्धू को 20 को दिल्ली बुलाने का  कार्यक्रम था, लेकिन अब इसे बदल दिया गया है और कैप्टेन दिल्ली पहुँच गए हैं। उनकी कल सोनिया गांधी की बनाई समिति से बैठक होगी। उधर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल आज पंजाब के अमृतसर पहुंच रहे  हैं। पार्टी पंजाब में पिछले विधानसभा चुनाव में अच्छी सीटें जीतने में सफल रही थी और उसने अकाली दल को तीसरे नंबर पर धकेल दिया था, लेकिन उसके बाद पार्टी अपने लोगों को एकजुट नहीं रख पाई है।
पंजाब में अगले साल होने वाले चुनाव से पहले सभी दलों में सरगर्मियां देखने को मिल रही हैं। कांग्रेस में कैप्टेन बनाम सिद्धू जंग को ख़त्म करने के लिए कांग्रेस आलाकमान पूरी ताकत से जुटी है। अब मुख्यमंत्री कैप्टेन अमरिंदर सिंह दिल्ली पहुंचे हैं। उनकी मंगलवार को सोनिया गांधी की बनाई समिति से दोबारा मुलाकात संभावित है। वे समिति के रिपोर्ट सौंपने से पहले भी उससे मिले थे। उनके अलावा सिद्धू और पार्टी के सभी विधायक और बड़े नेता समिति से मिले थे और अपनी-अपनी राय रखी थी।
सिद्धू को लेकर पेंच फंसा हुआ है। वे कैप्टेन की सरकार में काम नहीं करना चाहते। कैप्टेन उन्हें प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद पर नहीं देखना चाहते। ऐसे में आलाकमान के सामने पेचीदी स्थिति बनी हुई है। अब ऐसा लगता है कि कैप्टेन से आलाकमान अपने फैसले को लेकर बात करना चाहती है, साथ ही संभावित मंत्रिमंडल फेरबदल/विस्तार पर भी बात हो सकती है जिसमें किसी दलित को बड़ा पद (उप-मुख्यमंत्री) देने की बात शामिल है। यह भी हो सकता है कि किसी दलित को पार्टी प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बना दे और सिद्धू को अगले चुनाव के लिए प्रचार समिति का मुखिया बना दिया जाए।
सिद्धू अब खुले रूप से कैप्टेन की आलोचना करने लगे हैं। हाल के दिनों में सीएम अमरिंदर को भी सिद्धू के खिलाफ गोलबंदी करते देखा गया है और वे वरिष्ठ विधायकों को अपने साथ जोड़कर सिद्धू के खिलाफ ब्यान दिलवा रहे हैं। इनमें प्रताप सिंह बाजवा का नाम सबसे प्रमुख है, जिन्होंने सबसे बड़ी बात यह कही है कि सिद्दू महत्वपूर्ण हैं लेकिन उन्हें इन्तजार करना सीखना चाहिए क्योंकि उनसे पहले कई वरिष्ठ कांग्रेस नेता हैं। सिद्धू के साथ भी काफी विधायक दिखते हैं जिनमें ज्यादातर युवा हैं। इसे नए-पुराने की लड़ाई भी कहा जा सकता है। पार्टी के बीच इसे ‘सोनिया-राहुल समर्थकों की लड़ाई’ कहा जा रहा है।
कांग्रेस आलाकमान सिद्धू को खोना नहीं चाहती और कैप्टेन को उनके पद पर बनाये रखना चाहती है। ऐसे में जाहिर है कोई बीच का रास्ता ही निकाला जाएगा। अभी यह साफ़ नहीं कि क्या सिद्धू को भी दिल्ली तलब किया जा रहा है। ज्यादा संभावना यही है कि हफ्ते के आखिर तक कुछ साफ़ संकेत पंजाब कांग्रेस को लेकर मिल सकते हैं।
उधर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी दोपहर बाद पंजाब के अमृतसर पहुंच रहे हैं। आप ने पिछले विधानसभा चुनाव में तब बड़ी संभावना दिखाई थी जब
पंजाब की 117 सीटों में से कांग्रेस की 77 सीटों के मुकाबले उसने पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ते हुए तब सत्ताधारी अकाली दल से भी ज्यादा 20 सीटें जीत ली थीं और मुख्य विपक्षी दल बन गयी थी। अकाली दल के खाते में 15 ही सीटें आई थीं।
लेकिन पार्टी अपनी यह रफ़्तार नहीं बना रख सकी और उसके कुछ विधायक टूट गए। तीन हाल में कांग्रेस से जा मिले थे। केजरीवाल का कहना है कि पंजाब बदलाव चाहता है और सिर्फ आम आदमी पार्टी ही जनता की इकलौती उम्मीद है। पंजाब में आप के सबसे बड़े नेता सांसद भगवंत मान ने केजरीवाल के दौरे के लिए ख़ास तैयारी की है और संभावना है कि कुछ जाने माने लोग, जिनमें पूर्व पुलिस अधिकारी कुंवर विजय प्रताप सिंह भी हैं, आप में शामिल किये जाएंगे।
केजरीवाल अब दिल्ली से बाहर भी आप का आधार बनाने की तैयारी करते दिख रहे हैं। गुजरात और यूपी के बाद वे पहले से आधार वाले राज्य पंजाब आ रहे हैं। केजरीवाल मार्च में भी पंजाब गए थे और अमरिंदर सरकार पर हमला किया था। किसानों के आंदोलन में साथ रहने के कारण कांग्रेस के अलावा आप ही पंजाब में ऐसी पार्टी है जिसका किसान विरोध नहीं करते। उधर अमृतसर में केजरीवाल के विरोध यह में युवा कांग्रेस ने होर्डिंग्स लगवाए हैं। कांग्रेस का आरोप है कि केजरीवाल की यह यात्रा केवल ‘राजनीतिक स्टंट’ है।