राफेल लड़ाकू विमान सौद्दे पर ”कैग” की रिपोर्ट तो गुरुवार को संसद में पेश कर दी गयी लेकिन इसके बाद भी वो सबसे बड़ा सवाल अनुतरित रह गया है जिसपर विपक्ष सबसे ज्यादा सवाल उठाता रहा है। ”कैग” की इस रिपोर्ट में राफेल की कीमत का कोइ जिक्र नहीं किया गया है। हालाँकि रिपोर्ट में यह ज़रूर कहा गया है कि इसे यूपीए के मुकाबले सस्ता खरीदा गया है।
वैसे रिपोर्ट में राफेल लड़ाकू विमान खरीद प्रक्रिया की पड़ताल की गई है लेकिन कीमत का कहीं जिक्र नहीं है। एक जगह यू-१ जैसे शब्द लिखे गए हैं लेकिन इसके मायने सम्भवता यह हैं – अज्ञात यूरो (यू मतलब अननोन?) यह साफ़ नहीं है। सोलह पन्नों की रिपोर्ट में ”कैग” ने सरकार की प्रक्रिया और उसके जवाबों का जिक्र ज्यादा किया है। इसी अननोन मिलिन यूरो के आधार पर नई डील को पुरानी डील से सस्ता बताया गया है हालाँकि यह सवाल ही रह गया कि असल खरीद राशि है कितनी !
बाद में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कैग रिपोर्ट पर कहा कि ”सत्यमेव जयते” और कहा साफ़ हो गया है कि मोदी सरकार ने राफेल यूपी के मुकाबले सस्ते खरीदे। उन्होंने कहा – ”सुप्रीम कोर्ट ने क्लीन चिट दी, कैग ने क्लीन चिट दी लिहाजा कांग्रेस का चेहरा बेनकाब हो गया है।”
वैसे संसद में राफेल एयर कैग रिपोर्ट को लेकर हंगामा रहा। विपक्षियों ने खूब हल्ला किया और सरकार पार कई आरोप लगते हुए वहिर्गमन किया। वैसे तो मोदी सरकार ने बहुत पहले खुद ही संसद में एक सवाल के जवाब में बिना हथियारों वाले एक राफेल विमान की कीमत ५७० करोड़ बताई थी लेकिन असली विपक्षी विरोध ”हथियारों से लैस राफेल विमान” की कीमतों पर रहा है।
आज सदन में पेश रिपोर्ट में कैग ने ३६ राफेल विमानों की नई डील को यूपीए सरकार में हुए १२६ विमानों वाली पिछली डील से सस्ता बताते हुए कहा है कि पुरानी डील में बदलाव कर सरकार ने देश की १७.०८ प्रतिशत रकम बचा ली। रिपोर्ट में कहा गया है कि पहले १८ राफेल विमानों का डिलीवरी शेड्यूल उस शेड्यूल से पांच महीने बेहतर है, जो १२६ विमानों के लिए किए गए सौदे में प्रस्तावित था।
उधर राफेल पर ”कैग” रिपोर्ट पेश होने से पहले कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, यूपी चेयपर्सन सोनिया गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने बुधवार सुबह संसद भवन स्थित गांधी प्रतिमा के पास प्रदर्शन किया। इस दौरान कांग्रेस के बड़े नेता भी प्रदर्शन में शामिल थे और ज्यादातर ने हाथ में कागज़ के राफेल पकड़ रखे थे।