दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उपराज्यपाल अनिल बैजल के बीच तकरार अभी भी जारी है।
ये बात एक बार फिर तब साबित हुई जब केजरीवाल ने एक कार्यक्रम में दिल्ली में सीसीटीवी प्रोजेक्ट से जुड़ी उपराज्यपाल कमेटी की रिपोर्ट को सरेआम यह कहकर फाड़ दिया कि जनता यही चाहती है।
दिल्ली के मुख्यमंत्री ने उपराज्यपाल द्वारा गठित कमेटी की रिपोर्ट फाड़ते हुए यह भी दावा किया कि सोमवार को सबसे पहले वह 1.40 लाख सीसीटीवी कैमरे लगाने की फाइल पास करेंगे।
केजरीवाल ने कहा इसके बाद सीसीटीवी लगाने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।
“जनता की मर्जी है कि भई इस रिपोर्ट को फाड़ दो। जनता जनार्दन है इस जनतंत्र में…” यह कहते हुए उन्होंने सीसीटीवी प्रोजेक्ट से जुड़ी उपराज्यपाल कमेटी की रिपोर्ट के चार टुकड़े कर दिए।
असल में सीसीटीवी प्रोजेक्ट पर उपराज्यपाल कमेटी की रिपोर्ट में ये कहा गया है कि यदि कोई व्यक्ति सुरक्षा की दृष्टि से खुद के खर्चे पर सीसीटीवी कैमरे लगवाना चाहता है तो उसे पुलिस से लाइसेंस लेना होगा।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि घर, दुकान, कंपनी, मार्केट आदि में सीसीटीवी लगाने के लिए दिल्ली पुलिस उपायुक्त (लाइसेंसिंग) से अनुमति लेनी होगी।
इस रिपोर्ट को ग़लत बताते हुए केजरीवाल ने कहा कि इस तरह के फरमान से यही साबित होता है कि थानों के भीतर पैसा चढ़ाओ और लाइसेंस ले जाओ।
उन्होंने कहा कि पुलिस से हथियारों के लाइसेंस देने का काम तो ठीक तरह से हो नहीं रहा है। एलजी साहब! उन्हें सीसीटीवी लगवाने का काम और देना चाहते हैं।
उन्होंने आरोप लगाया कि इस कमेटी में पुलिस अधिकारी शामिल हैं, जिसकी वजह से थानों से लाइसेंस लेने की बाध्यता डाली जा रही है।
केजरीवाल ने उपराज्यपाल बैजल पर हमला बोलते हुए कहा, ‘एलजी की केमेटी की रिपोर्ट जिसके सदस्य पुलिसकर्मी हैं, कहते हैं कि अगर कोई दिल्ली में सीसीटीवी कैमरा लगाएगा, चाहे वे अपने पैसे से ही लगाए, उन्हें पुलिस से लाइसेंस लेना होगा। लाइसेंस का मतलब है पैसा चढ़ाओ, लाइसेंस ले जाओ।’
जबकि उपराज्यपाल अनिल बैजल का कहना है कि हमारा उद्देश्य महज सीसीटीवी लगाना नहीं बल्कि लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है।