सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने कहा कि जम्मू-कश्मीर का संविधान भारत के संविधान के अधीन है और जम्मू-कश्मीर की संविधान सभा वास्तव में कानून बनाने वाली विधानसभा थी।
बता दें जम्मू-कश्मीर में धारा-370 हटाए जाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है। और 11वें दिन सोमवार को केंद्र सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि, “आज भी दो राजनीतिक दल इस अदालत के समक्ष अनुच्छेद 370 और 35ए का बचाव कर रहे हैं। फरवरी 2019 में पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर जिहादी हमले के बाद केंद्र सरकार ने यह महसूस किया कि धारा-370 को खत्म करने जरूरी हैं।”
सॉलिसिटर जनरल ने आगे कहा कि, “42वे संविधान संशोधन के बाद समाजवादी और धर्मनिरपेक्ष शब्द जम्मू-कश्मीर पर लागू नहीं किये गए। अखंडता, मौलिक कर्तव्य शब्द भी वहां नहीं थे जो कि भारतीय संविधान में मौजूद हैं।”
वहीं प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की पीठ ने मेहता से कहा कि, “इस तर्क के दूसरे हिस्से को स्वीकार करना कठिन होगा कि जम्मू-कश्मीर की संविधान सभा वास्तव में अनुच्छेद 370 के प्रावधान के रूप में एक विधानसभा थी।”
इस पीठ में न्यायमूर्ति संजय किशन कौल, न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति सूर्यकांत भी शामिल थे।