पेट्रोल-डीजल की कीमतों में रोज़ उछाल पर छिटपुट घटनाओं को छोड़कर भारत बंद सफल रहा। बंगाल, तेलंगाना, चंडीगढ़ में ज़रूर बंद कामयाब नहीं रहा। कैलाश मान सरोवर तीर्थयात्रा से लौटे कांग्रेस के अध्यक्ष राहुल गांधी ने वहां से लाए जल को राजघाट पर गांधी समाधि पर चढ़ाया फिर वहीं भारत बंद की घोषणा की। उन्होंने रोज पेट्रोल -डीजल के दाम में बढ़ोतरी, महंगाई, नोटबंदी, जीएसटी से रोज़गार छिनने, छोटे उद्योग धंधों के बंद होने, बैंकों से भारी घपलों किसान आदि के लिए नरेंद्र मोदी की चार साल की सरकार को जम कर कोसा। राजघाट से एक किलोमीटर दूर इंडियन ऑयल के पेट्रोल पंप तक गए। वहां उन्होंने तीन घंटे धरना दिया।
कांग्रेस के नेतृत्व में तकरीबन 21 पार्टियों ने ‘भारत बंद’ (दस सितंबर) को कामयाब बनाया। यह ज़रूर है कि तृणमूल बहुजन समाज और समाजवादी पार्टी इस बंद में शामिल होने से हिचकते रहे। वामपंथी नेताओं को पुलिस ने गिरफ्तार भी किया। उधर केंद्र सरकार ने यह साफ कर दिया है वह पेट्रोल-डीजल के दामों में कोई कटौती नहीं करेगी। भले राज्य सरकारें इसमें अपनी ओर से कमी करें। याद रहे केरल सरकार और पश्चिम बंगाल सरकार ने एक रु पए प्रति लीटर कटौती घोषित की है।
कर्नाटक में सरकारी बसें नहीं चलीं। महाराष्ट्र में नवनिर्माण सेना के एक गुट ने पुणे में म्यूनिसिपल कारपोरेशन की एक बस के साथ तोड़ फोड़ की। बाढ़ प्रभावित क्षेत्र केरल में सरकारी बसें नहीं चलीं। सड़कों पर शांति थी। दुकानों, बाजारों और कार्यालयों में बंद था।
बिहार के कई हिस्सों में राष्ट्रीय जनता दल और वामपंथी दलों की अपील पर बंद कामयाब रहा। पश्चिम बंगाल और तेलंगाना में बंद बहुत कामयाब नहीं रहा। इस ‘भारत बंद’ का सबसे व्यापक असर यह ज़रूर दिखा कि पूरी सरकारी व्यवस्था के बाद भी बड़ी तादाद में लोगों ने अपनी गाडिय़ां बाहर न निकाल ‘भारत बंद’ का समर्थन किया।