केंद्र सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में एक याचिका दाखिल कर क्यूरेटिव पिटीशन की समय सीमा तय करने की मांग की है। बुधवार को केंद्र ने यह याचिका दायर की है।
निर्भया मामले में दोषियों को मौत की सजा मिलने में देरी को देखते हुए केंद्र ने यह याचिका दायर की है। केंद्र ने अपनी याचिका में कहा है कि सर्वोच्च न्यायालय दोषियों को क्यूरेटिव पिटीशन दायर करने के लिए एक निश्चित समयसीमा तय करे। साथ ही यह भी तय किया जाए कि मौत की सजा की घोषणा हो जाने के सात दिन के अंदर दोषी दया याचिका दायर कर सकें।
केंद्र सरकार ने ये भी मांग की है कि कोर्ट के साथ-साथ राज्य सरकार और जेल अधिकारी को भी डेथ वारंट जारी करने का अधिकार दिया जाए। फिलहाल सिर्फ मजिस्ट्रेट ही डेथ वारंट जारी कर सकते हैं। सरकार का याचिका में कहना है कि मोटर की सजा में दया याचिका दायर करने की समयसीमा को १४ दिन से घटाकर सात दिन कर दिया जाए।
सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से यह मांग भी रखी है कि इन मामलों में रिव्यू और क्यूरेटिव पिटीशन दायर करने के लिए भी एक समयसीमा निर्धारित की जाए। अपनी याचिका में सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से साल २०१४ में शत्रुघ्न चौहान केस में दिए फैसले में बदलाव करने का अनुरोध किया है।
गौरतलब है कि चौहान मामले में कोर्ट ने दया याचिका को सालों तक लटकाए जाने पर नरम रुख अपनाया था। साथ ही कहा था कि यह इंतजार कैदी के लिए एक सजा ही है। कोर्ट ने जेल प्रशासन को आदेश दिया था कि यह सुनिश्चित किया जाए कि दया याचिका के खारिज होने और फांसी दिए जाने के दिन के बीच १४ दिन का अंतर हो।