केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने नेशनल मीडिया सेंटर में पर्यावरण मंत्रालय से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारियां साझा की। उन्होंने बताया पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान व उत्तर प्रदेश इन पांच राज्यों के साथ मिलकर प्रदूषण को कम करने व लोगों की प्रदूषण से होने वाली तकलीफों को कैसे कम किया जाए इसकी योजना 2016 में बनाई थी, जिसमें कई बैठके हो चुकी है व इस साल की बैठक 1 अक्टूबर को होगी। यह मीटिंग वर्चुअल होगी, जिसमें सभी पांच राज्यों दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, और उत्तर प्रदेश के पर्यावरण मंत्री, पर्यावरण सचिव, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष व संबंधित राज्यों के अधिकारीयों के साथ-साथ कॉर्पोरेशन सिटीस व डीडीए, एनडीए ऐजेंसीयों के प्रमुख इस मीटींग में सभी उपस्थित रहेंगे।
1 अक्टूबर को होने वाली मीटींग में प्रकाश जावडेकर ने बताया की सभी ऐजेंसीयों को हमनें 2016 शॉर्ट टर्म, मिड टर्म और लौंग टर्म प्लान बनाने की अनुमति प्रदान की थी। उनके द्वारा पिछले दो सालों में किए गए काम का रिव्यू 1 अक्टूबर को होने वाली मीटींग मे किया जाएगा, जिससे सभी राज्यों और ऐजेंसीयों को पता चलेगा कि उन्होंने क्या किया और आगे क्या करना है।
वर्ष 2016 में नेशनल एअर क्वालिटी इंडेक्स पहली बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा लौंच किया गया था। इससे पहले यह प्रदूषण की गिनती एअर क्वालिटी इंडेक्स की रूप में नहीं होती थी।
इस साल कैबिनेट सेक्रेटरी की अध्यक्षता में एक बैठक हुई, प्रीसिंपल सेक्रेटरी की अध्यक्षता में एक बैठक हुई, एडवाइजर पी.के.सिन्हा की अध्यक्षता में एक बैठक हुई, पर्यावरण सचिव की एक बैठक, और सीपीसीबी (केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड) ने चार बैठके की है।
इन बैठकों में केंद्र सरकार द्वारा प्रमुख मुद्दा प्रदूषण नियंत्रण था जिसमें प्रदूषण नियंत्रण करने के लिए बदरपुर पॉवर प्लांट बंद किया गया और एनसीआर में जो पॉवर प्लांट इमपेक्ट करते है उन्हें भी बंद किया गया जिसमें सोनीपत का पॉवर प्लांट भी शामिल है।
मोदी सरकार ने 15 साल से लंबित पेरीफेरल एक्सप्रेसवे का काम किया जिसमें 8000 ट्रक जिनका दिल्ली में किसी भी प्रकार का काम नहीं होता था और वे केवल दिल्ली से गुज़रते थे दूसरे राज्यों मे जाने के लिए जिससे दिल्ली में प्रदूषण होता था इन सभी ट्रको पर भी रोक लगाई गई है। इसके साथ-साथ प्रदूषण पर नियंत्रण करने के लिए BS- 6 वाहन व तेल भी लाए गए थे जिससे प्रदूषण में कमी भी आई है। देश में आज 3 लाख इलैक्टीक वाहन आ गए है। दिल्ली में इनकी संख्या ज्यादा है। इसके साथ ही इलैक्ट्रीक ई-रिक्शा और ई-टू-विलर सबसे ज्यादा आए है। जिससे प्रदूषण को रोकने में मदद मिली है।
वर्ष 2016 में कंस्ट्रक्शन और डेमोलिशन के रूल भी लाए गए जिसमें भवन निर्माण और तोड़ते समय उड़ने वाली धूल को ढक कर कार्य किया जाए जिससे धूल बाहर तक ना उड़े व भवन के तोड़ने पर निकलने वाला रोड़ा केवल फैक्ट्रीयों में भेजा जाए ।
3000 ईंट बट्टों का झिक-झैक टैक्नोलोजी से एक काम ऐसा किया है जिससे ईंट-भट्टों के प्रदूषण में कमी आई है। 3000 उद्योगों को पाईप एंड नेचुरल गैस दिया जा रहा है। जिसके कारण प्रदूषण में कमी आई है। हाउसिंग मिनिस्ट्री ने नगर निगम को इन क्षेत्रों में 400 करोड़ से अधिक योजना मंजूर की है जिसके माध्यम से और अधिक स्वीपर्स लगेंगे और धूल का निपटारा होगा।