कृषि बिल किसानों के डेथ वारंट जैसे: राज्य सभा में बिल पेश होने के बाद कांग्रेस के बाजवा ने कहा

देशभर में विवाद में फंस चुके कृषि बिल रविवार को राज्यसभा में पेश कर दिए गए।  कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बिल पेश करते हुए कहा कि इस बिल का एमएसपी से कुछ लेना देना नहीं है। हालांकि, कांग्रेस के प्रताप सिंह बाजवा ने इस बिल को किसानों के लिए ‘डेथ वारंट’ जैसा करार दिया और कहा कि उनकी पार्टी इसका पुरजोर विरोध करती है। उधर, मोदी सरकार में मंत्री हरसिमरत कौर, जिन्होंने दो दिन पहले कृषि बिल के खिलाफ इस्तीफा दे दिया था, के पंजाब में गांव बदल में एक किसान ने बिल के विरोध में आत्महत्या कर ली। वहां किसान लगातार धरना भी दे रहे हैं।

उधर राज्य सभा में इस बिल को पास करवाने के लिए अल्पमत के बावजूद भाजपा और सरकार कुछ दलों से समर्थन की कोशिश कर रही है। बिल पेश करते हुए कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि इस बिल का विरोध करने के कोई मायने नहीं है। उन्होंने कहा कि एमएसपी के बिल का कुछ लेने देना नहीं क्योंकि यह दोनों अलग-अलग चीजें हैं। उन्होंने कहा कि एमएसपी आगे भी जारी रहेगी। राज्य सभा में भाजपा के पास बहुमत नहीं है, लिहाजा वह दूसरे कुछ दलों से समर्थन की कोशिश कर रही है।

इस बीच आज राज्य सभा में कांग्रेस ने यह बिल लाने के लिए सरकार को जमकर घेरा। कांग्रेस सदस्य प्रताप सिंह बाजवा ने कहा कि सरकार इस बिल से जिन्हें फायदा पहुंचाने की बात कह रही है, वे सड़कों पर हैं। सरकार की सहयोगी अकाली दल, जो कभी किसानों की पार्टी थी, इस बिल का जबरदस्त विरोध करते हुए अपनी मंत्री हरसिमरत कौर से इस्तीफा दिला चुकी है। ‘ऐसे में यह बिल सरकार किसके लिए ला रही है ? बताइए इसका फायदा किसे मिल रहा है?’

बाजवा ने राज्यसभा में कहा कि कांग्रेस इस बिल का विरोध करती है। उन्होंने कहा – ‘ये बिल किसानों की आत्मा पर हमला करने जैसा है। इस बिल पर सहमति किसानों के डेथ वारंट पर हस्ताक्षर करने जैसा है। बाजवा ने कहा, ये बिल हिंदुस्तान और विशेष तौर से पंजाब, हरियाणा और वेस्टर्न यूपी के जमींदारों के खिलाफ है। पंजाब और हरियाणा के किसानों का मानना है कि ये बिल उनकी आत्मा पर हमला है। किसान एपीएमसी और एमएसपी में बदलाव के खिलाफ हैं।’

बता दें मोदी सरकार के संसद में लाए गए कृषि विधेयकों के ख़िलाफ़ भारत के दो कृषि प्रधान राज्यों पंजाब और हरियाणा के किसानों में जबरदस्त आक्रोश है। वे इन विधेयकों के विरोध में लगातार धरना दे रहे हैं। उधर पंजाब में बठिंडा के बादल गांव, जो पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल का गांव है, में शनिवार को एक किसान ने आत्महत्या कर ली। किसान का नाम प्रीतम सिंह (60) था। प्रदर्शनकारी किसानों ने उन्हें शहीद करार दिया है। याद रहे मोदी सरकार में मंत्री हरसिमरत कौर, जिन्होंने दो दिन पहले कृषि बिल के खिलाफ इस्तीफा दे दिया था, के गांव बदल में एक किसान ने बिल के विरोध में किसान लगातार धरना भी दे रहे हैं।

आज राज्य सभा में भाजपा नेता भूपेंद्र यादव ने कहा कि कांग्रेस की सोच अब भी पुरानी है। सपा सांसद रामगोपाल यादव ने कहा कि डिजिटल कृषि की बात कही जा रही है, लेकिन सरकार ये बताएं कि डिजिटल के फ्रॉड को कैसे रोक सकती है? कांग्रेस सदस्य केसी वेणुगोपाल ने बिल के विरोध में कहा है कि यह बहुत स्पष्ट है कि इस सरकार का मकसद हमारे किसानों को नष्ट करना और कॉर्पोरेट क्षेत्र की मदद करना है। हमारी पार्टी ने कृषि विधेयक का विरोध करने का निर्णय किया है। सरकार को विधेयकों पर पुनर्विचार करना होगा, कम से कम उन्हें इसे चुनिंदा समिति को भेजना चाहिए।

बिल पेश करते हुए राज्यसभा में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि दोनों बिल  ऐतिहासिक हैं और किसानों के जीवन में क्रांतिकारी बदलाव लाने वाले हैं। बिल के माध्यम से किसान अपनी फसल किसी भी जगह पर मनचाही कीमत पर बेचने के लिए आजाद होंगे। इन विधेयकों से किसानों को महंगी फसलें उगाने का अवसर भी मिलेगा। याद रहे यह बिल लोकसभा में पहले ही पास हो चुका है।