तीनों कृषि कानून वापस होना तो बहाना है। देश में चुनाव भी तो जीतना है। बतातें चलें, अगले साल 2022 में उत्तर प्रदेश और पंजाब सहित तीन अन्य राज्यों में विधानसभा चुनाव है।
भाजपा की किसान आंदोलन को लेकर बड़ी किरकिरी हो रही थी। और विपक्ष की एकता में एकजुटता भी बढ़ रही थी। इसी सियासत को भाजपा आलाकमान समझ चुका था।
भाजपा सूत्रों का कहना है कि भाजपा में करीब दो महीनें से मंथन चल रहा था कि अगर चुनाव में दमदार जीत चाहिये तो, तीनों कृषि कानूनों को वापस लेकर किसानों की नराजगी को दूर करना होगा। गुरू नानक पर्व के अवसर पर पंजाब के लोगों की नाराजगी को दूर करने के लिये प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक तीर से कई निशानों को साधा है।
प्रधानमंत्री मोदी ने सुबह-सुबह देश के नाम संबोधन में कहा कि, हमारी तपस्पा में शायद ही कोई कमी रह गयी थी। इसलिये किसान कानून को वापस लेते है। आगामी संसद सत्र में संवैधानिक प्रक्रिया के तहत कानून को वापस ले लिया जायेगा।
देश के किसानों का कहना है कि, सरकार ने देर से सही पर सही फैसला लिया है। अगर सरकार ने एक साल पहले काला कानून को वापस ले लिया होता तो 700 से अधिक किसानों की जान को बचाया जा सकता था।
गाजीपुर और सिंधू बार्डर पर बैठे किसान परमजीत सिंह का कहना है कि सरकार ने माना तो किसान जायज कानून को लेकर आंदोलन कर रहे थे। वहीं गाजीपुर पर बैठे किसान भूपेन्द्र सिंह धौना का कहना है कि अब किसानों की मांगों को पूरा मान लिया जाये ताकि किसान निर्भीकता के साथ आंदोलन को वापस कर अपने–अपने घरों में जा सकें।किसानों ने कहा कि अब किसान आंदोलन के नाम पर सियासत बंद होना चाहिये।