4 दिसंबर को 164 तीर्थों पर जलेंगे हज़ारों दीप
देश में धार्मिक पर्यटन बढ़ रहा है। धर्मनगरी कहे जाने वाले कुरुक्षेत्र की 48 कोस भूमि प्राचीन कुरुक्षेत्र की धरोहर है, जहाँ महाभारत का युद्ध लड़ा गया था। 19 नवंबर से यहाँ अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव शुरू हो चुका है। भारतीय संस्कृति के कई रंग देखने को मिल रहे हैं। धर्म की छटा के साथ-साथ रोज़गार, शिल्प कौशल, मनोरंजन और लोक संस्कृति के दर्शन हो रहे हैं। ज्ञानवर्धन के लिए पुस्तक मेला भी लगाया गया है। विश्व में शान्ति और भाईचारे का वातावरण बने, इसके मद्देनज़र 4 दिसंबर को कुरुक्षेत्र के 164 तीर्थों पर हज़ारों दीप जलाये जाएँगे। गीता महोत्सव में देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू भी शामिल होंगी।
महोत्सव में धार्मिक सौहार्द के लिए ब्रह्मसरोवर पर संध्याकाल में भजन गायन और महाआरती का आयोजन हो रहा है। तो दूसरी तरफ़ देश के प्रतिष्ठित सन्त मोरारी बापू राम कथा के माध्यम से श्रद्धालुओं को धर्म-अध्यात्म का दर्शन करा रहे हैं। महोत्सव में ज़्यादा-से-ज़्यादा लोग आएँ, इसके लिए प्रदेश सरकार ने रोडवेज की बसों के किराये में 50 प्रतिशत की छूट दी है। मेले में 80 प्रतिशत स्टाल मुफ़्त में उपलब्ध कराये गये हैं, जबकि 20 प्रतिशत कॉमर्शियल किये गये हैं। मीडिया सेंटर भी स्थापित किया गया है, जहाँ दिन भर मीडियाकर्मियों के लिए चाय नाश्ते की व्यवस्था की गयी है। साफ़-सफ़ाई और पुलिस की व्यवस्था ठीक-ठाक कही जा सकती है।
वर्ष 2016 से हरियाणा सरकार गीता जयंती समारोह को अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव के रूप में मना रही है। इस अवसर पर लाखों लोग कुरुक्षेत्र आते हैं। इसकी सफलता को देखते हुए मॉरिशस में फरवरी 2019, लंदन में अगस्त 2019 और कनाडा में सितंबर 2022 में अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव का आयोजन किया गया। कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड के सीईओ चंद्रकांत कटारिया द्वारा उपलब्ध करायी गयी जानकारी के अनुसार मॉरिशस और लंदन में आयोजित हुए महोत्सव में कई अंतरराष्ट्रीय आध्यात्मिक नेताओं और गीता मनीषियों ने भाग लिया। यह प्लेटफार्म वास्तव में वैश्विक स्तर पर गीता के आध्यात्मिक सन्देश को फैलाने का एक बड़ा अवसर है।
महोत्सव की विशेषताएँ
सर्वप्रथम गीता मैराथन का आयोजन किया जाता है, जिसमें महिला-पुरुष और विद्यार्थी भाग लेते हैं। महोत्सव का विधिवत् शुभारम्भ ब्रह्मसरोवर के पुरुषोत्तमपुरा बाग़ में मंत्रोच्चारण और शंखनाद के बीच गीता यज्ञ एवं पूजन से होता है। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय गीता संगोष्ठी का आयोजन किया जाता है। एक दिन के लिए सन्त सम्मेलन होता है, जिसमें देश भर के प्रमुख सन्त और विद्वान धर्म और दर्शन पर चर्चा करते हैं। गीता की जन्मस्थली ज्योतिसर और सरोवर के तटों पर सम्पूर्ण गीता पाठ होता है। छ: दिन मुख्य पंडाल में सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं, जिनमें देश के प्रसिद्ध कलाकार अपनी प्रस्तुति देते हैं। कार्यक्रमों का विषय श्रीकृष्ण, श्रीमद्भगवद्गीता, महाभारत, कुरुक्षेत्र या पौराणिक विषय रहता है।
विश्व को जोडऩे की कोशिश
गीता जयंती के दिन 4 दिसंबर को शहर में शोभायात्रा निकाली जाती है। इसके अलावा वैश्विक गीता पाठ महोत्सव का ख़ास आकर्षण होता है। इसमें गीता के अठारह अध्यायों में से चुनिंदा श्लोकों का ऑनलाइन उच्चारण किया जाता है। इसका उद्देश्य वैश्विक शान्ति बनाये रखना है। पिछले कई वर्षों से 48 कोस कुरुक्षेत्र की भूमि के सभी तीर्थों पर इस दिन सायंकाल को दीपोत्सव मनाया जाता है।
कुरुक्षेत्र को कहते हैं धर्मक्षेत्र
लगभग 5,159 साल पहले यहाँ लड़े गये महाभारत युद्ध के अन्तिम दौर से पहले श्रीकृष्ण ने अर्जुन को उपदेश देकर धर्म का जो पाठ पढ़ाया था, वह दुनिया के दार्शनिक और आध्यात्मिक इतिहास में एक मील का पत्थर है। कुरुक्षेत्र का नामकरण ऋषि राजा कुरु के नाम पर पड़ा था। यहाँ सरस्वती नदी के तट पर वेद-पुराण की रचना और संकलन हुआ था। कुरुक्षेत्र को सूर्य पूजा के प्रमुख केंद्रों में से एक माना जाता है।
प्रशासनिक व्यवस्था
गीता महोत्सव की उचित व्यवस्था के लिए लगभग 300 के क़रीब प्रशासनिक अधिकारी और 1,000 के क़रीब पुलिसकर्मी लगे हुए हैं। 29 नवंबर से इनकी संख्या और बढऩे वाली है। कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड के सीईओ चंद्रकांत कटारिया का कहना है कि व्यवस्था और कामकाज में ट्रांसपेरेंसी लाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं। जैसे रेवेन्यू मॉडल ला रहे हैं; लेकिन कई स्तर पर मुश्किल भी हो रही है। उन्होंने कहा कि पुराने ढर्रे को बदलने में समय तो लगेगा ही। बजट की बात पर उन्होंने बताया कि महोत्सव का कुल प्रोजेक्ट तीन से चार करोड़ रुपये का है। सन् 2019 में 6-6.5 करोड़ रुपये का था। इस बार भी उस स्तर पर आने की कोशिश रहेगी। उन्होंने बताया कि राष्ट्रपति के दौरे को ध्यान में रखते हुए 19 नवंबर से धारा-144 लागू है।
गीता महोत्सव में दो-तीन दिन तक घूमकर यह जानने का प्रयास किया गया कि आम जनमानस में गीता का सन्देश व्यवहारिक रूप में कितना गूँज रहा है, ज़्यादातर लोगों से बात कर सन्तोषजनक जवाब नहीं मिला।
कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड का कार्य
कुरुक्षेत्र की प्राचीन विरासत और सदियों पुरानी परम्पराओं के संरक्षण के लिए हरियाणा सरकार ने 1 अगस्त, 1968 को कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड का गठन किया था। बोर्ड के सीईओ चंद्रकांत कटारिया ने बताया कि इस प्रयास में हरियाणा के पाँच ज़िलों कुरुक्षेत्र, करनाल, पानीपत, जींद और कैथल में स्थित 164 तीर्थों के दस्तावेज़ तैयार किये जा रहे हैं। इसके अलावा धार्मिक, ऐतिहासिक इमारतों की सुरक्षा, रखरखाव। नवीनीकरण और आने वाले तीर्थयात्रियों, पर्यटकों को नागरिक सुविधाएँ प्रदान करना शामिल है।