देश में असुरक्षा का माहौल इस कद्र बढ़ गया है कि शिक्षण संस्थानों के बाद अदालतें तक खुद को सुरक्षित महसूस नहीं कर रही हैं! इसे सुप्रीम कोर्ट की ताजा टिप्पणी से समझा जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को केंद्र सरकार से कहा कि वह आगे अप्रिय घटनाओं से बचने के लिए कुछ अदालतों में सीआईएसएफ के स्पेशल कैडर की तैनाती की संभावना पर विचार करे।
प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे के अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि दिल्ली की अदालत में अगर सीआईएसएफ तैनात होती तो पुलिस-वकील वाली वह घटना शायद नहीं हुई होती।
शीर्ष अदालत की पीठ संभवता तीस हजारी की हालिया घटना का जिक्र कर रही थी। नवंबर 2019 में तीस हजारी अदालत परिसर में वकीलों और पुलिस कर्मियों के बीच हिंसक झड़प हुई थी। इसके बाद वकीलों के साथ ही पहली बार दिल्ली पुलिस ने धरना-प्रदर्शन किया था।
सीजेआई के साथ इस पीठ में जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सूर्यकांत भी हैं। पीठ ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि सीआईएसएफ का एक अलग कैडर होना चाहिए जो प्रधान न्यायाधीश के फैसले के बाद कुछ न्यायालयों में सुरक्षा मुहैया कराए।
इस मामले में न्यायमित्र के रूप में पेश हुए वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ लूथरा ने कहा कि वकीलों के लिए समस्या हो सकती है और यह उचित होगा कि इस मामले में बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) से भी विचारविमर्श किया जाए।
इसके बाद पीठ ने अदालतों में सीआईएसएफ की तैनाती पर विचार जानने के लिए बीसीआई को नोटिस जारी किया।