किसान बिलों के खिलाफ आज़ाद के नेतृत्व में विपक्ष का मार्च, 5 बजे राष्ट्रपति कोविंद से मिलेंगे

किसान बिलों के खिलाफ माहौल गर्माता जा रहा है। पंजाब और हरियाणा के किसान बड़े पैमाने पर सड़कों पर आंदोलन कर रहे हैं तो उधर दिल्ली में कांग्रेस नेता गुलाम नबी आज़ाद के नेतृत्व में विपक्षी दलों ने मार्च निकाला। यह सभी विपक्षी दल शाम 5 बजे कृषि बिलों को एकतरफा तरीके से राज्य सभा में पास करवाने के खिलाफ मिलने भी जा रहे हैं।

संसद परिसर में बुधवार को प्रदर्शन के दौरान विपक्षी पार्टियों ने किसान बचाओ, मजदूर बचाओ के साथ-साथ लोकतंत्र बचाओ के नारे लगाए। नेताओं ने अपने हाथ में पोस्टर भी लिए हुए थे। प्रदर्शन की अगुवाई कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्य सभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद ने की। इस प्रदर्शन में ममता बनर्जी की टीएमसी से डेरेक ओब्रायन और एनसीपी पार्टी से प्रफुल्ल पटेल और अन्य नेता मौजूद थे।

किसान बिल को लेकर विपक्षी दलों के नेता आज शाम पांच बजे राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात करेंगे। राष्ट्रपति भवन ने विपक्षी दलों के पांच नेताओं को  मुलाकात के लिए मंजूरी दी है। इस दौरान कोविड-19 से जुड़े प्रोटोकॉल का पालन किया जाएगा। विपक्ष नेताओं ने राष्ट्रपति से मिलने की अनुमति माँगी थी।

इस बीच राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने अपना चौबीस घंटे का उपवास आज खत्म कर दिया। राज्य सभा से निलंबित एक सांसद ने बुधवार को आरोप लगाया कि उपसभापति हरिवंश का निलंबित सदस्यों को चाय लेकर जाना पूरी तरह प्रायोजित था क्योंकि वे मीडिया को साथ लेकर गए थे। विपक्ष ने आरोप लगाया है कि उपसभापति ने कृषि बिलों को लेकर सदन में निष्पक्षता नहीं दिखाई और बिना विपक्ष की मंजूरी के पहले सदन का समय बढ़ाया और फिर बिलों के लिए विपक्ष की मांग के बावजूद मतविभाजन नहीं करवाया जो बिलकुल नियमों के खिलाफ है।

इस बीच आज कांग्रेस सहित 18 विपक्षी दलों के वहिष्कार के बीच सरकार ने कई बिल पास करवा लिए। राज्य सभा को अब अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया गया है। संसद का यह सत्र समय से बहुत पहले ही समाप्त किया जा रहा है।
उधर विपक्षी पार्टियां अब आगे की रणनीति को लेकर एक साझा बैठक करने की तैयारी में हैं। विपक्षी पार्टियों ने राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू को पत्र लिखकर अपील की थी कि वे  विपक्ष के गैर मौजूदगी में श्रम संबंधित तीन विधेयकों को सदन में पास न होने दें। ये तीनों विधेयक ध्वनिमत से पास हो गए जिसके बाद विपक्ष का आक्रोश चरम पर है। कांग्रेस 25 सितंबर को इंसानों के हक़ में पूरे भारत में आंदोलन करने जा रही है।

कृषि बिलों का इतना विरोध होगा इसकी कल्पना शायद सरकार और भाजपा ने नहीं की थी। शायद यही कारण है कि किसान बिल के विरोध में जन आक्रोश बढ़ता देख पीएम मोदी ने एक दिन पहले मामला संभालने की कोशिश करते हुए कहा कि किसानों को भ्रमित करने में बहुत सारी शक्तियां लगी हुई हैं। उन्होंने किसानों को  आश्वस्त करने की कोशिश की कि एमएसपी और सरकारी खरीद की व्यवस्था बनी रहेगी। हालांकि, इसका असर होता नहीं दिखा है क्योंकि किसान आंदोलन लगातार तेज होता जा रहा है।