नंदीग्राम में खेला होबे, नंदीग्राम और सिंगूर में किसान महापंचायत का होगा अयोजन
पश्चिम बंगाल में सियासी घमासान बढ़ता ही जा रहा है। एक ओर जहां भाजपा और तृणमूल कांग्रेस एक दूसरे पर हिंसा के जरिये राजनीतिक फायदा उठाने की फिराक में हैं, तो दूसरी ओर किसान संगठनों ने भी केंद्र सरकार के खिलाफ लगता है हर मोर्चे पर कमर कस ली है। शायद इसी को देखते हुए अब दिल्ली की सीमाओं पर डटे किसानों का एक बड़ा दल पश्चिम बंगाल में सियासी माहौल में गरमी पैदा करने पहुंच गया है। राकेश टिकैत, मेधा पाटकर और योगेंद्र यादव जैसे दिग्गज बंगाल की जमीन पर पहुंचकर भाजपा के खिलाफ माहौल बनाने के लिए किसान पंचायतों का आयोजन कर रहे हैं।
भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने शनिवार को ट्वीट किया-बंगाल में मुट्ठी भर चावल मांगने वाले दूसरे राज्यों में किसानों को धान मूल्य नहीं देते एक अन्य टवीट में उन्होंने कहा कि कन्याकुमारी से कश्मीर तक यात्रा करने वाले समूह को तमिलनाडु पुलिस द्वारा गिरफ्तार कर यात्रा रोकी गई। देश का हर किसान इसकी निंदा करता है।
बंगाल के सियासी घमासान में अब किसान आंदोलन की एंट्री होने के साथ राकेश टिकैत शनिवार को कोलकाता के भवानीपोरा में आयोजित किसान महापंचायत में शामिल हुए। इस दौरान टिकैत ने कहा कि आप भाजपा को वोट मत दीजिए, भले चाहे किसी और पार्टी को दे दीजिए। हम यहां क्रांतिकारियों की धरती से अपनी लड़ाई आगे बढ़ाने आए हैं। जब तक कानून वापसी नहीं, तब तक घर वापसी नहीं।
टिकैत यहीं नहीं रुके, उन्होंने कहा कि जब पूरी सरकार दिल्ली छोड़कर बंगाल में चुनाव प्रचार करने में व्यस्त है। इसीलिए हमारे सारे नेता भी यहां पहुंच गए हैं। सरकार किसानों से बात नहीं कर रही। हम आंदोलन पूरे साल चलाने के लिए तैयार हैं। जब सरकार आंदोलन वापस नहीं ले लेती, हमारा आंदोलन जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि जहां-जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जाएंगे, हम उन्हें फॉलो करेंगे।
किसानों की महापंचायत नंदीग्राम और सिंगूर व आसनसोल में आयोजित होनी है। नंदीग्राम इस बार का हॉट केंद्र बन गया है। यहां से ममता बनर्जी के साथ उनके खास रहे अब भाजपाई शुभेंदु अधिकारी के बीच मुख्य मुकाबला है। यानी बंगाल का खेला होबे का केंद्र नंदीग्राम हो गया है। यहां शुक्रवार शाम को ही टिकैत महापंचायत को संबोधित करेंगे। किसान मोर्चा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि हम बंगाल के किसानों से अपील करते हैं कि वे भाजपा का बहिष्कार करें और उसे वोट न दें। चुनाव में करारी हार के बाद भाजपा सरकार कृषि कानून वापस लेना ही पड़ेगा।
इस मौके पर योगेंद्र यादव ने कहा कि हम किसी पार्टी का समर्थन नहीं कर रहे हैं और न ही लोगों से किसी पर्टिकुलर पार्टी को वोट देने के लिए कह रहे हैं। हमारा मकसद है कि भाजपा को सबक सिखाया जाए। उन्होंने कहा कि सरकार के कानों तक हमारी बात पहुंचाने के लिए जरूरी है कि आगामी चुनाव में उसे नुकसान पहुंचे।
सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर ने कहा कि सरकार कुछ कॉरपोरेट्स के हाथों देश को बेचने की कोशिश कर रही है। उन्होंने लोगों से आग्रह किया कि वे सावधानी से अपने मताधिकार का प्रयोग करें। किसानों का अपमान करने के लिए केंद्र की निंदा करते हुए पाटकर ने कहा कि ब्रिटिश शासकों ने भी इसका सहारा नहीं लिया था, जिसे मौजूदा सरकार कानून का रूप दे रही है।