कृषि कानून, जिन्हें मोदी सरकार ने संसद में पास करवाया है, के खिलाफ आंदोलन अब देश के अन्य हिस्सों में भी फैलने लगा है। बता दें राष्ट्रपति ने भी इन बिलों को मंजूरी दे दी है जिसके बाद अब यह क़ानून बन गए हैं। पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह आज कृषि क़ानून के खिलाफ धरने पर बैठे, वहीं दिल्ली में युवा कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने एक ट्रैक्टर जला दिया जिसके बाद पुलिस ने 5 लोगों को गिरफ्तार किया है। उधर कर्नाटक, तमिलनाड और महारष्ट्र में भी किसान संगठनों का आंदोलन जोर पकड़ गया है। कांग्रेस ने 2 अक्टूबर को गांधी जयंती पर देशव्यापी प्रदर्शन की योजना बनाई है।
पंजाब में कृषि कानूनों के खिलाफ सत्तारुढ़ कांग्रेस ने शहीद-ए-आजम भगत सिंह की जयंती पर उनके जन्मस्थान पर धरना दे रही है। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह, पंजाब कांग्रेस प्रभारी महासचिव और उत्तराखंड के पूर्व सीएम हरीश रावत, पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष सुनील जाखड़ के साथ मंत्री, विधायक और कांग्रेस कार्यकर्ता भगत सिंह के गांव खटकर कलां में धरने पर बैठ गए हैं।
अमरिंदर ने भगत सिंह की प्रतिमा के आगे श्रद्धांजलि अर्पित की। पंजाब प्रभारी बनने के बाद पहली बार पंजाब पहुंचे हरीश रावत ने स्वर्ण मंदिर में माथा टेककर अपने दौरे की शुरुआत करनी थी लेकिन बाद में उनका कार्यक्रम पंजाब में कृषि कानून को लेकर उग्र विरोध प्रदर्शन को देखते हुए धरने में बैठने का बनाया गया।
पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने कहा – ‘रावत को यहाँ (खट्करकलाँ) लाने का मकसद किसानों की ऊर्जा को दिशा देना है। वह एक परिपक्व नेता हैं और केंद्र के खिलाफ किसानों की नाराजगी को रास्ता दिखाकर अब इसका हल ढूंढ़ने पर जोर दिया जा रहा है। जाखड़ के मुताबिक कांग्रेस 2 अक्टूबर को देशभर में प्रदर्शन की योजना बना रही है।
इस बीच राजधानी दिल्ली में इंडिया गेट पर पंजाब यूथ कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने कृषि कानून के खिलाफ उग्र प्रदर्शन किया। कार्यकर्ताओं ने ट्रैक्टर जला दिया। इस दौरान पुलिस ने कार्यकर्ताओं पर लाठीचार्ज भी किया। प्रदर्शन और ट्रैक्टर जलाने के मामले में पांच लोगों को गिरफ्तार किया गया है। ये सभी पंजाब के रहने वाले हैं।
जम्मू कश्मीर में भी कृषि कानून के खिलाफ कांग्रेस ने प्रदर्शन किया है। जम्मू कश्मीर के सांबा में ऑल जेके किसान संघ ने नए कृषि कानून का विरोध में प्रदर्शन किया। कानून का विरोध करते हुए कार्यकर्ताओं ने कहा कि देश के 70 फीसदी लोग खेतीबारी करते हैं लेकिन सरकार ने मात्र पांच फीसदी लोगों को खुश करने के लिए किसान विरोधी कानून पास किया है। छत्तीसगढ़ किसान यूनियन पांच अक्टूबर को अपना विरोध दर्ज करेगी।
तमिलनाड में कृषि कानून के खिलाफ किसान विरोध में उतर आये हैं। डीएमके अध्यक्ष एमके स्टॉलिन भी किसानों के साथ विरोध में शामिल हुए। उन्होंने कहा – ‘पड़ोसी राज्य केरल कानून के खिलाफ कोर्ट जाने की तैयारी कर रहा है। हम भी अपनी सरकार से इस मामले को कोर्ट में ले जाने की बात करेंगे और नहीं तो सारे विपक्षी दल मिलकर कोर्ट जाएंगे।’
उधर कर्नाटक में कृषि बिल, भूमि सुधार अध्यादेशों, कृषि उपज मंडी समिति में संशोधन और श्रम कानूनों के विरोध में, आज किसान संगठनों ने जबरदस्त प्रदर्शन किया। राज्य सरकार ने कहा कि बंद के दौरान सरकारी दफ्तर खुले हैं और आवश्यक सेवाएं जारी हैं।
इस बीच महाराष्ट्र सरकार ने राज्य में नये कृषि कानून को लागू नहीं करने का एलान किया है। सरकार ने कहा – ‘यह किसान विरोधी कानून है इसलिए इसे राज्य में लागू नहीं किया जाएगा। महाविकास अगाड़ी भी राज्य में इस कानून के लागू होने का विरोध कर रहा है। महाराष्ट्र के राजस्व मंत्री बाला साहब थोराट ने कहा – ‘हम सभी एक साथ बैठकर इसके लिए रणनीति तैयार करेंगे।’